सजल**
समांत- आर
पदांत - आर फिर तुम पाओगे।
रोला छंद
यति- 11+ 13=24
बाॅंटोगे यदि प्यार, प्यार फिर तुम पाओगे।
अगर करोगे वार, वार फिर तुम पाओगे।।
जीवन की है रीति, प्रेम से खुशियाँ मिलतीं।
ठानोगे यदि रार, रार फिर तुम पाओगे।।
अवसादों से दूर, नींव को सुदृढ़ कर लें।
खुशियाँ मिलें अपार, पार फिर तुम पाओगे।।
दूजों का सम्मान, ध्यान रखना भी सीखो ।
पहनाओगे हार, हार फिर तुम पाओगे।।
मुश्किल में ईमान, कर्म का चोला पहनो।
खुशियाँ बहतीं-धार, धार फिर तुम पाओगे।।
मनोजकुमार शुक्ल मनोज
14/8/25