प्रेम कोई शब्द नहीं,
यह तो आत्मा की मौन धड़कन है।
जहाँ बोल थम जाते हैं,
वहाँ आँखें पूरी कहानी कह देती हैं।
यह न मिलने की तड़प भी है,
और मिलन का सुकून भी।
यह अधूरी चाहत की पीड़ा है,
और सम्पूर्ण समर्पण का वरदान भी।
प्रेम वह दीप है,
जो अंधकार में भी उजाला करता है।
यह वह नदी है,
जो हर पथरीले किनारे को चूमकर बहती जाती है।
प्रेम में हार नहीं होती,
क्योंकि प्रेम त्याग है।
यह अपना नहीं, पराए को
अपना बनाने का जादू है।
प्रेम की गहराई को शब्दों में बाँधना असम्भव है,
क्योंकि यह अनंत है |
सागर की तरह, आकाश की तरह,
और आत्मा की तरह ||
C M Jadav