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अध्याय 1 – पहाड़ों की यात्रा
जब मैंने पहली बार पहाड़ों की चढ़ाई शुरू की, तो मुझे ज़्यादा जानकारी नहीं थी कि यह अनुभव कैसा होगा। लेकिन जैसे-जैसे मैं ऊँचाई की ओर बढ़ रही थी, अचानक बादलों का आपस में टकराना, फिर हल्की-हल्की बूंदों का गिरना—यह सब मेरे लिए एक नया और अद्भुत अनुभव था।
यह मेरे जीवन का पहला अवसर था जब मैं जम्मू-कश्मीर की वादियों में पहुँची। वहाँ पहुँचकर मुझे लगा जैसे कोई अनमोल चीज़ मिल गई हो। पहले मैं सोचती थी कि प्रकृति का मतलब सिर्फ पेड़-पौधे, नदियाँ, फूल, खेत-खलिहान ही हैं। यही मेरी समझ की सीमा थी।
लेकिन जब मैंने उन वादियों को अपनी आँखों से देखा, तो महसूस हुआ कि प्रकृति सिर्फ हमारे आसपास नहीं, बल्कि आकाश तक अपनी पकड़ रखती है। उसकी सुंदरता और रहस्य इतने गहरे हैं कि उन्हें पूरी तरह समझ पाना शायद संभव नहीं। प्रकृति अपनी अनंत गोद में हमें बस कुछ झलकियाँ ही दिखाती है, और बाकी रहस्य अपने पास रखती है।