बचपन में जब मैं छोटी सी थी न एक दम मासूम सी प्यारी सी ...
तब मेरे पास एक एक बोतल हुआ करती थी केटली जैसी ब्राउन क्रीम कलर की ।
बहुत प्यारी थी मुझे वो...इतनी प्यारी की मैं उस बोटल से किसी को भी पानी नहीं पीने देती थी। स्कूल में साथ लेकर जाती और घर पर भी बड़े ख्याल से उसे खोल कर मटकी के पास सूखने के लिए रख देती थी ।
कई बार उसे साबुन से धोया करती...एक दम से चमक सी जाया करती थी वो...उसकी चमक मेरे चेहरे पर विचित्र सी खुशी और चमक बिखेर दिया करती थी। उस वक्त जब मुझसे कोई पूछा करता मुझे इस दुनियां में सबसे प्यार क्या है तो मैं हमेशा यही कहती थी कि ये बोतल।
मैने तो घर वालों से भी कह रखा था कि जब में मर जाऊ तो ये बोतल मेरे साथ रखना...चाहे जला दो चाहे दफना दो।
कमाल का लगाव था मुझे उस बोटल से। अब कभी दिवाली की साफ सफाई में वो बोतल सामने आ जाती हैं तो बस उसे छू कर वापस रख देती हूं उन्हीं पुराने सामान के बीच और बीते वो खूबसूरत पल याद आ जाते है जब वो मेरे लिए सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट थी...मुझे सबसे ज्यादा लगाव था...पर वक्त के साथ हमेशा कुछ न कुछ बदल जाता है।
जो चीज हमें इस वक्त बहुत प्यारी है वो जिंदगी के हर मोड पर ही हमारे लिए जरूरी हो...ये तो जिंदगी नहीं है।
वक्त बदलता है और हमारे लिए प्राथमिकताएं बदल जाती है।कई चीजे, कई लोग और कई रिश्ते जो हमें इस वक्त बहुत जरूरी लग रहे है , हो सकता है आने वाले वक्त में वो बस एक याद बन कर रह जाए , एक धुंधली सी याद और यादें हमेशा ही सुखद हो ये तो जरूरी नहीं। हो सकता है आज जो अजीज हो वो कल हो न हो...इसलिए खुद को प्राथमिकता दें क्योंकि जब तक जीवित हो तब तक तो ये देह आपका साथ देगी ही भले लोग न दे और मर भी जाओगे तो भी देह एक सुखद याद ही रहेगी ।
ArUu ✍️