यहाँ पर मैंने 10 पदों (परिच्छेदों) की एक हिंदी कविता लिखी है — विषय “इंटरनेट और नई पीढ़ी”:
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🌐 इंटरनेट और नई पीढ़ी
✍️ विजय शर्मा एरी
1.
इंटरनेट की दुनिया न्यारी,
हर उँगली पर चलता जादू,
नई पीढ़ी की साँस बनी है,
सपनों का अब खुला दरबारू।
2.
ज्ञान का है असीम समंदर,
हर सवाल का मिलता उत्तर,
गाँव-गाँव में पहुँची रोशनी,
अब न कोई है बिल्कुल अनपढ़।
3.
पढ़ाई, नौकरी, कारोबार,
सबकुछ मोबाइल में सिमटा,
ऑनलाइन क्लासें चलती हैं,
शिक्षा का दीपक अब है जगमग।
4.
नई पीढ़ी उड़ती है आगे,
सोशल मीडिया है परछाई,
हर तस्वीर में दिखता चेहरा,
हर पल दुनिया संग है भाई।
5.
दोस्त हजारों बन जाते हैं,
पर दिल से कोई पास नहीं,
भीड़ भरे इस आँगन में भी,
अक्सर लगता उदास कहीं।
6.
गेमिंग, चैटिंग, रीलों का जाल,
मन को खींचे, आँखें थकाएँ,
कभी किताबें छूट न जाएँ,
बस यही सबको याद दिलाएँ।
7.
इंटरनेट का सही इस्तेमाल,
बना सकता है जीवन उज्ज्वल,
गलत राह पर भटक गए तो,
भविष्य बन जाए बिल्कुल धुंधल।
8.
नई पीढ़ी के हाथों में है,
कल का भारत, कल का सपना,
इंटरनेट बन जाए सहारा,
ज्ञान से हो जीवन अपना।
9.
तकनीक से रिश्ता गाढ़ा हो,
पर इंसानियत न छूटे साथ,
ममता, रिश्ते, स्नेह बचाएँ,
यही जीवन का है सच्चा रास्त।
10.
इंटरनेट वरदान है बेशक,
अगर चलाएँ संयम के संग,
नई पीढ़ी चमकेगी जग में,
ज्ञान, संस्कारों का हो रंग।
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