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🎵 गीत शीर्षक: "परिवार – जीवन की सबसे बड़ी दौलत"
(लेखिका – पूनम कुमारी)
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🎶 भूमिका (आरंभिक भाव):
कौन कहता है कि दौलत सोने-चाँदी में होती है,
सच्ची दौलत तो अपने लोगों की मुस्कुराहट में होती है।
जहाँ हर सुबह अपनेपन की रोशनी हो,
वहीं बसता है एक परिवार – जीवन की असली जन्नत।
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🌺 पहला अंतरा:
माँ की ममता जैसे सागर का किनारा,
हर दर्द को चूम लेती, देती सहारा।
पिता की छाया जैसे घना बरगद,
थक जाओ तो सिर पर रखे अपना हाथ।
भाई की बातें जैसे ठंडी हवा का झोंका,
बहन की मुस्कान जैसे फूलों का टोका।
दादी की गोद में कहानियों का संसार,
नाना की आँखों में अनुभव की बहार।
💫 इन सबके बीच ही तो जीवन खिलता है,
💫 हर रिश्ता अपनेपन से मिलता है।
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🌷 कोरस (मुख्य भाव):
🎵 परिवार ही जीवन का आधार है,
यही तो दिल की असली दीवार है।
जहाँ हो सब साथ, वहीं है सुकून,
वहीं चमकता है जीवन का पूर्ण चाँद-सूरज-जून। 🎵
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🌻 दूसरा अंतरा:
जब थक जाता है मन दुनिया की दौड़ में,
तो लौटता है दिल उस छत के मोड़ में।
जहाँ माँ के हाथों की रोटी की खुशबू,
हर आँसू को मिटा दे बस एक झपक में रू-ब-रू।
पिता का विश्वास जैसे दीवार की ईंटें,
हर संकट में जो बन जाएं नींव की सीढ़ियाँ।
बहन की दुआएँ जैसे चाँदनी रातें,
भाई की रक्षा जैसे बिन माँगी बरसातें।
🌼 परिवार वो मंदिर है जहाँ प्रेम की आरती जलती है,
🌼 जहाँ हर सुबह किसी की मुस्कान से नई किरण निकलती है।
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🌺 तीसरा अंतरा:
कभी कोई रूठे, तो सब मनाने आ जाएँ,
छोटी सी गलती पर भी गले लग जाएँ।
यही तो परिवार की पहचान है,
जहाँ हर रिश्ता ईश्वर का वरदान है।
जब दुख हो तो सब आंसू पोछते हैं,
जब सुख हो तो साथ में हँसते हैं।
बिन कहे सब एक-दूजे को समझते हैं,
यही तो सच्चे रिश्तों की पहचान रहते हैं।
✨ घर नहीं वो दीवारें, जो ईंटों से बनें,
✨ घर तो वो दिल हैं, जो प्यार से जुड़ें।
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🌹 कोरस दोहराएँ:
🎵 परिवार ही जीवन का आधार है,
यही तो दिल की असली दीवार है।
जहाँ हो सब साथ, वहीं है सुकून,
वहीं चमकता है जीवन का पूर्ण चाँद-सूरज-जून। 🎵
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🌻 चौथा अंतरा (भावनात्मक शिखर):
कभी सोचो अगर ना होता परिवार,
कितना सूना होता यह संसार।
ना हँसी होती, ना खुशियों की धुन,
बस होता अकेलापन, और अधूरी धड़कन।
परिवार ही तो है जो सिखाता है जीना,
गिरो तो थाम लेता है, सिखाता है उठना।
हर रिश्ते में छिपा है एक सबक गहरा,
जो बना देता है इंसान को सुनहरा।
🌸 माँ के आँचल में विश्वास की छाँव है,
🌸 पिता के कदमों में संसार का गाँव है।
🌸 बहन की बातों में बचपन की महक है,
🌸 भाई के हँसी में अपनेपन की लहर है।
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🌺 पाँचवाँ अंतरा:
जब दूर चला जाए कोई अपना,
तब समझ आता है, क्या होता है सपना।
हर छोटी याद जैसे आशीर्वाद बने,
हर पुरानी हँसी जैसे ताजमहल बने।
हर झगड़े के पीछे भी प्यार छिपा है,
हर तकरार में भी अपनापन लिखा है।
हर "ना" में भी एक "हाँ" छिपी रहती है,
हर “डाँट” में भी चिंता बसती है।
🌼 यही परिवार की पहचान निराली,
🌼 जिसमें हर बात में बसती खुशहाली।
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🎶 कोरस (आखिरी बार):
🎵 परिवार ही जीवन का आधार है,
यही तो दिल की असली दीवार है।
जहाँ हो सब साथ, वहीं है सुकून,
वहीं चमकता है जीवन का पूर्ण चाँद-सूरज-जून। 🎵
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🌟 समापन भाव (गीत का संदेश):
परिवार वो जड़ है जिससे पेड़ फलता है,
परिवार वो सूरज है जिससे मन जलता है।
परिवार के बिना जीवन बंजर भूमि है,
परिवार के साथ जीवन स्वर्गभूमि है।
🙏 जो परिवार का सम्मान करता है,
🙏 वो वास्तव में ईश्वर का मान करता है