दिल से दिया गया श्राप जरूर असर करता है। चंदा बाबू ने कोर्ट के चक्कर लगाते लगाते थककर एक टीवी चैनल पर रोते हुए कहा था कि यह कोर्ट-कचहरी तो इंसानी हैं। जिस तरह से शहाबुद्दीन ने मेरे दोनों बच्चों को तेजाब में डुबोकर मारा है, यह आसान मौत नहीं मरेगा, यह एड़िया रगड़ रगड़ कर तड़प तड़प कर मरेगा और चिल्ला चिल्ला कर मरेगा, जैसे मेरे बच्चे चिल्लाए होंगे। और ईश्वर का न्याय देखिए, कोविड के खतरनाक लहर में शहाबुद्दीन के दोनों फेफड़े नाकाम थे, ऑक्सीजन नहीं मिली और हॉस्पिटल में प्रत्यक्षदर्शी बता रहे थे कि यह चिल्ला चिल्ला कर एड़िया रगड़ रगड़ कर घंटों तक तड़पा और चिल्लाकर कहता था कि मुझे चंदा बाबू का श्राप लग गया है और अंत में उसी हालत में यह पापी एड़ियां रगड़ते रगड़ते हुए मर गया। कौन कहता है भगवान न्याय नहीं करते? 🤔💭👏