ये प्यारी सी छुअन तेरी, हया लगती है मुझको।
ज़िंदगी अब तो एक मीठी दुआ लगती है मुझको।।
वो पहली बार जब तुमने, मेरा हाथ थामा था।
वो मौसम आज तक जैसे, नया लगती है मुझको।।
हर इक लम्हा गुज़रता है, तिरी यादों के साए में।
ये तन्हाई भी अब अपनी, सज़ा लगती है मुझको।।
नज़र भर देख लो इक बार, तो सुकूँ आ जाए दिल को।
ये दुनिया तेरे बिन अब तो, फ़ना लगती है मुझको।।
तुम्हीं से रात की रौशन, तुम्हीं से सुबह की रंगत।
तेरी आवाज़ इक मीठी, सदा लगती है मुझको।।
जो तेरे पास होने का, भरम रह जाए साँसों में।
तो ये बे-नाम सी धड़कन, जिया लगती है मुझको।।
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