कविता: आत्मिक बदलाव
शीर्षक: नए सवेर की ओर
अंधेरों में जब खोई थी राह,
मन के कोने में थी एक सुनी सदा।
पर वक्त ने दिया नई सोच का एहसास,
अभी भी है भीतर, एक नई शुरुआत का अहसास।
बीते कल की पीड़ा, अब नहीं रोकती,
हर अनुभव ने मुझे फिर से जोड़ा।
अहंकार और डर को पीछे छोड़,
मैं चल पड़ा, आत्मा की ओर।
हर दिन नया, हर सोच नया,
अतीत की परछाई को छोड़,
मैंने पाया शांति का रास्ता,
आत्मिक बदलाव—जीवन का सबसे प्यारा उपहार।