जब मोहब्बत टूट जाए, तो तुम चुप हो जाना…
जब मोहब्बत टूट जाए
तो तुम चुप हो जाना,
शिकायतों की भीड़ में
ख़ुद को मत खो जाना।
हर जवाब ज़रूरी नहीं होता,
हर सवाल का भी नहीं,
कुछ दर्द ऐसे होते हैं
जो लफ़्ज़ों के क़ाबिल नहीं।
चुप्पी को अपनी ढाल बनाना,
आँसुओं को रात सौंप देना,
जो समझ न सका तुम्हारी ख़ामोशी
उसे सफ़ाई क्या देना।
वक़्त को अपना काम करने देना,
ज़ख़्मों को थोड़ा साँस लेने दो,
जो चला गया उसे रोकने से बेहतर
ख़ुद को फिर से पाने दो।
याद रखना—
जब मोहब्बत टूट जाए
तो तुम चुप हो जाना,
क्योंकि कुछ टूटने के बाद
ख़ामोशी ही सबसे बेहतर मरहम होती है।
आर्यमौलिक