जिंदगी मे बदलाव
------------------------------------
जिंदगी खुबसुरत और
बडी लगने लगेगी जब ।
मै, मेरा, मुझे, मेरे लिए,
इन को जगह नही होगी।
होगा यहा सब ,अपना,
सबका, हर एक के लिए..।
दृष्टिकोन को तुम बदलो,
छोटीसी ज़िंदगी, छोटीसी दुनिया,
बडी बडी खुशियों भरी होगी....।
नजर मे बदलाव, सोच मे बदलाव
लाने से प्रतिमा निखर जाती है ।
---------------------------------------------
स्वलिखित रचना
कवी अरुण वि.देशपांडे-पुणे