।।अधूरा सा वादा।।
वह हर सुबह उसी बस स्टॉप पर मिलती थी,
हाथ में किताब और आँखों में गहरी खामोशी।
मैं कभी हिम्मत नहीं जुटा पाया
कि उससे अपने दिल की बात कह सकूँ,
बस रोज़ उसी सीट पर बैठकर
उसके आने का इंतज़ार करता रहा।
एक दिन वह नहीं आई।
न अगले दिन, न उसके बाद कभी।
बस उसकी कही एक बात याद रह गई—
“कुछ रिश्ते कहे बिना ही पूरे हो जाते हैं।”
आज भी मैं उसी बस स्टॉप पर खड़ा होता हूँ,
शायद इस उम्मीद में नहीं कि वह लौट आए…
बल्कि इस डर में कि
मेरी अधूरी मोहब्बत
कहीं पूरी न हो जाए।
Vikram kori..