सनातनी_जितेंद्र Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

सनातनी_जितेंद्र Quotes, often spoken by influential individuals or derived from literature, can spark motivation and encourage people to take action. Whether it's facing challenges or overcoming obstacles, reading or hearing a powerful सनातनी_जितेंद्र quote can lift spirits and rekindle determination. सनातनी_जितेंद्र Quotes distill complex ideas or experiences into short, memorable phrases. They carry timeless wisdom that often helps people navigate life situations, offering clarity and insight in just a few words.

सनातनी_जितेंद्र bites

जो दिख रहा,वो आज! है...
कल! कैद हुआ, इक राज़ है।
गर्दिश कभी, कभी ताज है...
नया-पुराना साज़ है।।
#दर्पणकासच
#समय
#कलआजऔरकल
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

वो पहले आपनो-आप बना,
सम्मोहक फिर भ्रम जाल सना।
कर्मों का ऐसा जाल बुना,
अनुपात नहीं कैसा कितना।।
क्रमशः......✍️
#पथ_भूला_परदेशी
#फिलासफी
#सृजन
#ईश्वर
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

दूरियाँ कितनी, है मालूम नहीं लेकिन....
अहसास जितने भी,हैं सभी पास के तुम्हारे।।
#दर्पणकासच
#प्रेमरंग
#जो_तुमसे_हैं
#प्रेमजोग
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

चाह रही ना जीने की,
विष वेली अमृत पीने की।
मर जाये मन तो अच्छा है,
बुझ जाये लगी हर सीने की।
कर बांध खड़ी है मृगतृष्णा,
ले पोषण लोक-लुभावन की।
हठ ना करिये वृषभानु लली,
उर-भीतर दरशन ललक जगी।
है विरह वेदना अगन लगी,
बरसाओ फुहारा सावन की।
#श्रीराधा
#प्रार्थना
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

जज्बात बहके से हैं सभी,
शब्दों को क्या आयाम दें।
इरादें हैं कंकर में फंसे,
उजालों का कैसे पयाम दें।
छायी चहुंदिश दुभरी,
फासलों को क्या नाम दें।
चल-चला-चल निश-पहर,
मन पथिक क्या विश्राम लें।
#काव्यपथिक
#मनवाबेपरवाह
#योरकोट_दीदी
#सनातनी_जितेंद्र मन

इक तु न ढही,बदकिस्मती!..,
बाकी जिंदगी का हर ,मुकाम ढह गया।
सुबह ढह गया मेरा-मेरी शाम ढह गया,
गफलत में रहते-रहते,इंतजाम ढह गया।।
#पीड़ा_मन_की
#दर्द_छलक_जाता_है
#गफ़लत_ए_जीन्दगी
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

कोशिश जारी है, खुद ही खुद को समझाने की।
हर कभी गैर की बातों से, मसले हल नहीं होते।।
#दर्पणकासच
#समझनेकीकोशिश
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

तरसोगे-तड़पोगे, रोओ-चिल्लाओगे.....
हमारी मुहब्बत के लिए,
तुम भी एक दिन।
जहाँ से दूर,
कुछ इस कदर चले जायेंगे।।
पुकारोगी! लाख तुम मगर,
ना लौट कर हम आयेंगे.....
#जिलेजिंदगी
#मरने_की_चाह
#तुम्हारीकमी
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन

है कुछ भावों को गहना, सरल कहां?
अंतर्मन को पढ़ना इतना, सरल कहां?
संसारी नदिया में उतरना, सरल कहां?
डूबती नैय्या पे सम्भलना, सरल कहां?
आसान है नहीं यहां, कुछ कर जाना,
कर पार बाधाओं को,अपने घर जाना।।
जीने की कलाओं को जानते हैं जो....
हैं परिणाम दो ही मात्र रखते याद वो।
तर जाना-मर जाना, इक मरके तर जाना।।
#दर्पणकासच
#कर्मयुद्ध
#सच्चाईजिंदगीकी
#योरकोट_दीदी
#योरकोटबाबा
#सनातनी_जितेंद्र मन