सनातनी_जितेंद्र Quotes in Hindi, Gujarati, Marathi and English | Matrubharti

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सनातनी_जितेंद्र bites

अंतर में दबा अहसासों को....
चल इक नयी कहानी गढ़ते हैं।
क्रमशः....✍️
#सनातनी_जितेंद्र मन कहेन

आज मौन दिवस मना रहा है ये मन....

जो उजड़ते जंगलों के,पुकार से विह्वल - विचलित हो कर,
कभी मूकदर्शक देह(समाज)में,खूब शोर किया करता था।
दबाया-कुचला गया,ये तड़पता रहा....
देख दशा मानव की,कुंठित सा हो गया।
चुप्पी साधे,सीमा बांधे,मिली समय की दुश्वारियों को ढो रहा है।
और ये मंद-बधिर इंसां,करनी पर अपनी आज भी रो रहा है।।

नोट👉यह लेख वृक्ष - प्रकृति और मनुष्य से संबंधित है।

विश्व पर्यावरण दिवस....
#पर्यावरणदिवस
#पर्यावरण_बचायें
#सनातनी_जितेंद्र मन कहेन

पर्यावरण......

जितना भी कहो वो कम होगा,
पढ़-सुनकर के गम भी होगा।
मौका है अभी,चलो सुधार करें,
प्राकृत पूंजी से प्यार करें।
कर धरा आच्छादित वृक्षों से,
मानवता पर उपकार करें।।
कम जीवन का कुछ भार करें,
आओ...मिलकर ऐसा व्यवहार करें।।

#सनातनी_जितेंद्र मन कहेन

समय न गवां कह दे,जो दिल में छुपीं वो सारी बातें।
है कटती नहीं बिन तेरे,इस मन की ये तन्हा रातें।।
#सनातनी_जितेंद्र मन कहेन

इस जमाने में कौन किससे कब हारा है।
जब स्वयं मरा तो कहा लोगों ने भी यही...
इसे और कोई नहीं इसके असहाय करम ने मारा है।।
#सनातनी_जितेंद्र मन कहेन

कहीं खो न दे, उसकी बची-खुची यादों को।
नीन्द नहीं आती ये, सोचकर के रातों को।।
#सनातनी_जितेंद्र मन कहेन

वफ़ा-ए-मोहब्बत उस एक ही से किया कई दफा़...
अफसोस वो कमजर्फ़ हर बार बेवफा निकली।
#सनातनी_जितेंद्र मन कहेन