✤┈SuNo ┤_★_🦋
हमारा अफ़साना अब कहीं गुमनाम सा है
हर साँस में बस इक तेरा ही नाम सा है,
कभी रोशनी थी, अब अँधेरा ही है हरसू
मेरी आँखों में आज ये कैसा जाम सा है,
जिसे समझा था मैंने अपनी मंज़िल कभी
वो रास्ता भी अब तो कितना बेनाम सा है,
बिखरे हुए ख़्वाबों को समेटूँ भी तो कैसे
हर टुकड़ा अब टूटा हुआ पैगाम सा है,
ये दर्द है, ये दूरी, या है कोई सज़ा, मेरा
हर लम्हा अब तो बस नाकाम सा है,
तूने तो छोड़ दिया था मुझे कब का मगर
मेरा दिल आज भी तेरा ही गुलाम सा है.🔥
╭─❀🥺⊰╯
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☞#LoVeAaShiQ_SinGh 😊°
⎪⎨➛•ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी°☜⎬⎪
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