दो पल की देर ही सही तू कदम बड़ा तो सही जरा सा
मंजिल भी मिलेगी ऐ मुसाफिर तू कदम बड़ा तो सही जरा सा
पहाड़ और पर्वतो से ऊंचा तेरा दर्जा होगा
तू अपने परों को खोल तो सही जरा सा
जो तूने खोया उससे बेहतर तुझे हासिल होगा
तू अपने हौसलों में उड़ान भर तो सही जरा सा
हर शहर और हर गली में तेरा ही परचम होगा
तू खुद को पहचान तो सही जरा सा
जहां-जहां से तुझ पर तानो की बौछार हुई है
वही फूलों से तेरा सत्कार भी होगा
तू सबसे आगे चल तो सही जरा सा
नदी समंदर रोक ना पायेगा तुझे
और लहरों पर तेरा सरताज होगा
तू अपनी गति को बढ़ा तो सही जरा सा