कभी किसी किताब ने आपको ऐसा महसूस कराया है, जैसे वो आपकी ही ज़िंदगी की कहानी हो?
“काठगोदाम की गर्मियाँ” वैसी ही एक किताब है — सीधी, सच्ची और बहुत गहराई से दिल को छू जाने वाली।
ये कहानी एक शहर की तेज़, आत्मनिर्भर लड़की कर्निका की है, जो कुछ दिनों के लिए काठगोदाम आती है — काम के सिलसिले में। लेकिन उन पहाड़ियों की ठंडी हवा, भीमताल की ख़ामोशी, और रोहन की चुपचाप मुस्कुराती हुई मौजूदगी उसकी ज़िंदगी की दिशा ही बदल देती है।
यह सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं है, बल्कि खामोश रिश्तों, अधूरी बातों और उन अहसासों की कहानी है जो हम अक्सर महसूस तो करते हैं, पर कह नहीं पाते।
अगर आपने कभी किसी को बिना कहे बहुत कुछ कह दिया हो…
अगर आपने किसी की आंखों में अपने लिए सवाल देखे हों…
अगर आपने कभी किसी जगह को अलविदा कहते हुए दिल भारी किया हो…
तो ये किताब आपके लिए है।
“काठगोदाम की गर्मियाँ” उन गर्मियों की कहानी है जो दिल में रह जाती हैं,
उन मुलाकातों की जो हमारी सोच से भी ज़्यादा असर छोड़ जाती हैं,
और उन चुप्पियों की जो सब कुछ कह जाती हैं।
📚 पढ़िए ये किताब अगर:
✔️ आपको कहानियों में सच्चाई चाहिए
✔️ आप भावनाओं को जीना जानते हैं
✔️ और आप किसी किताब से सिर्फ कहानी नहीं, एक एहसास चाहते हैं
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💬 अगर आपने पढ़ी है, तो कमेंट में लिखिए — “मैं भी उन गर्मियों में था…”
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