मां पर दो लाइन
वो खुद टूटकर भी अपने बच्चों को संभाल लेती है,
सपने हमारे पूरे हों, ये दुआ हर रोज़ कर लेती है।
कभी डांटे, कभी समझाए, पर प्यार वही पुराना है,
उसके बिना कौन समझे, ये दिल कितना दीवाना है।
उसके पैरों तले ही तो जन्नत की ज़मीन होती है,
माँ ही है, जिसके बिना हर ख़ुशी अधूरी होती है।