ज़िंदगी की किताब
ज़िंदगी हर रोज़ एक नया सबक सिखाती है,
कभी मुस्कुराती है, कभी आँसू भी लाती है।
सपनों की उड़ान में जब हिम्मत टूटने लगे,
तो यही ज़िंदगी कहती है —
“रुको मत, चलते रहो, मंज़िल पास ही है।”
कभी रास्ते आसान होते हैं,
तो कभी काँटों से भरे।
लेकिन ठोकरें ही हमें सिखाती हैं
चलना मज़बूती से, सिर ऊँचा किए।
रिश्तों की गर्माहट, दोस्तों की हँसी,
माँ का दुलार, पिता का सहारा —
यही छोटी-छोटी खुशियाँ असल दौलत हैं,
बाकी सब तो बस गुज़रता किनारा।
ज़िंदगी की किताब में हर पन्ना नया है,
कल की गलती आज की सीख बन जाती है।
और जब हम हार मानने ही लगते हैं,
तो वही ज़िंदगी हमें फिर से जीना सिखाती है।
-Payal