✦ My Contract Marriage ✦
शहर की रौशनी में चमकती ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच, इंसानों की कहानियाँ भी अक्सर अनकही रह जाती हैं। कुछ रिश्ते किस्मत से मिलते हैं, कुछ समझौते से। और कुछ… एक ऐसे कॉन्ट्रैक्ट से शुरू होते हैं, जो बाद में ज़िंदगी की सबसे सच्ची दास्तां बन जाते हैं।
अध्याय 1 – सौदा
आरव मेहरा, 28 वर्षीय नामचीन बिज़नेसमैन, शहर के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक था। हर चीज़ उसके पास थी – पैसा, शान-ओ-शौकत, पहचान – बस कमी थी तो एक रिश्ते की। रिश्तों पर उसका भरोसा टूटा हुआ था। उसके माता-पिता का तलाक, दोस्तों के धोखे और एक पुरानी अधूरी मोहब्बत ने उसे अंदर से कड़वा बना दिया था।
उसकी दादी, समायरा मेहरा, अब बीमार थीं। उनका सपना बस इतना था कि वे अपने पोते की शादी देख लें।
एक शाम दादी ने साफ़ शब्दों में कहा –
“आरव, मेरी आखिरी ख्वाहिश है… मैं तुम्हें दुल्हे के रूप में देखना चाहती हूँ। उसके बाद चाहे मैं रहूँ या न रहूँ।”
आरव के पास कोई विकल्प नहीं था। लेकिन वह शादी में भरोसा नहीं करता था। तभी उसकी ज़िंदगी में आई… कियारा शर्मा।
कियारा, 24 साल की, महत्वाकांक्षी लेकिन मुश्किलों से जूझती लड़की थी। उसके पिता नहीं थे, माँ की मौत पहले ही हो चुकी थी, और अब वह अपने छोटे भाई विवेक की पढ़ाई और भविष्य के लिए संघर्ष कर रही थी।
आरव ने उसे एक प्रस्ताव दिया –
“मुझसे शादी करो। एक साल के लिए। कॉन्ट्रैक्ट पर। तुम्हें और तुम्हारे भाई को हर तरह की सुरक्षा और आर्थिक मदद मिलेगी। और दादी खुश हो जाएँगी।”
कियारा के पास हज़ार सवाल थे। लेकिन विवेक की फीस और घर का बोझ देखकर उसने हामी भर दी।
अध्याय 2 – समझौते की शुरुआत
शादी धूमधाम से हुई। मीडिया ने इसे “लव मैरिज” कहा, लेकिन हक़ीक़त सिर्फ दोनों जानते थे – यह बस एक सौदा था।
दादी बेहद खुश थीं।
“मेरे पोते और बहू को साथ देखकर जीने की वजह मिल गई,” उन्होंने कहा।
शादी के बाद दोनों का रिश्ता अजनबी जैसा था।
आरव काम में व्यस्त रहता।
कियारा अपने भाई और घर की ज़िम्मेदारियों में।
दोनों एक ही छत के नीचे रहते लेकिन बीच में अदृश्य दीवार थी।
अक्सर छोटी-छोटी बातों पर झगड़े हो जाते।
“तुम्हें हमेशा टाइम पर घर क्यों चाहिए?” कियारा गुस्से से पूछती।
“क्योंकि ये मेरा घर है, और यहाँ मेरी मरज़ी चलेगी,” आरव ठंडे स्वर में जवाब देता।
लेकिन इन बहसों के बीच कहीं न कहीं दोनों एक-दूसरे को समझने भी लगे।
अध्याय 3 – बदलते रिश्ते
धीरे-धीरे कियारा ने आरव की दुनिया को करीब से देखना शुरू किया।
वो जानती थी कि उसके अंदर का गुस्सा सिर्फ बाहरी मुखौटा है। असल में वह अकेला है।
एक रात जब आरव काम से लौटकर थका हुआ सोफ़े पर बैठा, तो कियारा ने अनायास कहा –
“तुम इतनी बड़ी कंपनी चलाते हो, लेकिन अपनी ज़िंदगी नहीं। कभी खुद को वक्त दिया है?”
आरव चौंक गया। पहली बार किसी ने उसकी कमजोरी पर हाथ रखा था।
इधर, आरव भी कियारा की मेहनत और त्याग देखकर प्रभावित होने लगा।
वो जान गया कि कियारा ने शादी पैसे के लिए नहीं, बल्कि अपने भाई के भविष्य के लिए की है।
अध्याय 4 – दिल की धड़कनें
समय बीतता गया। दोनों के बीच छोटे-छोटे लम्हे जुड़ने लगे।
एक दिन कियारा बीमार पड़ी, तो आरव पूरी रात उसके पास बैठा रहा।
दूसरी बार आरव बिज़नेस प्रेज़ेंटेशन में असफल हुआ, तो कियारा ने उसे हिम्मत दी।
अब उनकी नज़रों में एक-दूसरे के लिए नफ़रत नहीं, बल्कि एक अजीब सा खिंचाव था।
दादी भी सब भाँप गई थीं।
“ये कॉन्ट्रैक्ट-वॉन्ट्रैक्ट सब बेकार है,” उन्होंने मुस्कुराकर कहा। “प्यार जब दिल से होता है, तो किसी काग़ज़ की ज़रूरत नहीं होती।”
अध्याय 5 – तूफ़ान
लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है।
आरव का पुराना बिज़नेस राइवल, विक्रम मल्होत्रा, कियारा की ज़िंदगी में ज़हर घोल देता है।
वह आरव को समझाता है कि कियारा ने उससे शादी सिर्फ पैसों के लिए की है और गुपचुप विक्रम से मिल रही है।
दूसरी तरफ़, कियारा को पता चलता है कि कॉन्ट्रैक्ट की अवधि लगभग खत्म होने वाली है।
वह सोचती है – क्या आरव उसे रोक पाएगा? या यह रिश्ता यहीं खत्म हो जाएगा?
गलतफहमियों ने दोनों के बीच दीवार खड़ी कर दी।
“तुम्हारे लिए मैं बस एक सौदा थी, है न?” कियारा ने आँसुओं से भरी आँखों से कहा।
आरव ने गुस्से में जवाब दिया – “हाँ, और तुमने भी ये सौदा अपने फायदे के लिए ही किया!”
दोनों अलग हो गए।
अध्याय 6 – सच्चाई
कुछ दिन बाद सच सामने आया। विक्रम की चाल बेनक़ाब हुई।
आरव को एहसास हुआ कि कियारा ने कभी उसका साथ नहीं छोड़ा।
वह दौड़ता हुआ उसके पास गया।
“कियारा, मुझे माफ़ कर दो। मैं तुमसे प्यार करता हूँ… कॉन्ट्रैक्ट से नहीं, दिल से।”
कियारा ने भी रोते हुए कहा –
“मैंने भी तुम्हें कभी सौदे की नज़र से नहीं देखा। लेकिन डर था कि तुम मुझे कभी अपना नहीं मानोगे।”
अध्याय 7 – नया सफ़र
दादी ने दोनों को आशीर्वाद दिया।
“अब मेरा सपना पूरा हुआ,” उन्होंने कहा।
आरव और कियारा ने कॉन्ट्रैक्ट को फाड़ दिया।
अब उनका रिश्ता किसी काग़ज़ पर नहीं, बल्कि विश्वास और प्यार पर टिका था।
विवेक ने पढ़ाई पूरी की, दादी की तबियत भी सुधरी, और आरव ने पहली बार अपने दिल के दरवाज़े खोले।
उपसंहार
कभी-कभी रिश्ते मजबूरी में शुरू होते हैं, लेकिन किस्मत उन्हें मोहब्बत में बदल देती है।
आरव और कियारा की “कॉन्ट्रैक्ट मैरिज” अब एक “फ़ॉरएवर लव स्टोरी” बन चुकी थी