मैंने देखा है तुम्हें लड़ते अकेला,
मुश्किलों से अपनी अब तुम नहीं डरते।
खामोश से रहने लगे हो आजकल सामने मेरे,
बस बैठे रहते हो, लबों से कोई बात नहीं करते।
मैं पूछता हूँ कि क्या हुआ तुम्हें, पर
तुम बयां अपने जज़्बात नहीं करते।
लगता है कि अब संभल गए हो,
क्योंकि पहले की तरह अब आधी बात नहीं करते।