"कभी हँसी डराती है, कभी डर भी हँसा देता है। लेकिन जब प्यार दोनों बन जाए, तो रातें गुदगुदाने लगती हैं..."? Scene: Jaipur, रात 11:47 PM "तू फिर से आ गई?"शेखर ने मोबाइल को घूरते हुए बुदबुदाया। उसके फोन पर फिर वही मैसेज चमक रहा था —Chandni ❤️: "Main aaj fir aa rahi hoon, Shekhar ?" वो स्क्रीन से आंखें हटाना चाहता था, लेकिन... वो मुस्कान, जो चांदनी अपनी प्रोफाइल फोटो में दे रही थी, आज भी वैसी ही थी। शरारती, मीठी, और थोड़ी सी खौफनाक। और सबसे अजीब बात?वो 6 महीने पहले मर चुकी थी।
2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 1
“2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात”Chapter 1: रात जो गुदगुदाती थी"कभी हँसी डराती है, कभी डर भी हँसा है। लेकिन जब प्यार दोनों बन जाए, तो रातें गुदगुदाने लगती हैं..." Scene: Jaipur, रात 11:47 PM"तू फिर से आ गई?"शेखर ने मोबाइल को घूरते हुए बुदबुदाया।उसके फोन पर फिर वही मैसेज चमक रहा था —Chandni ️: "Main aaj fir aa rahi hoon, Shekhar "वो स्क्रीन से आंखें हटाना चाहता था, लेकिन... वो मुस्कान, जो चांदनी अपनी प्रोफाइल फोटो में दे रही थी, आज भी वैसी ही थी। शरारती, मीठी, और थोड़ी सी खौफनाक।और सबसे अजीब बात?वो 6 महीने पहले ...Read More
2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 2
"2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात"का अगला धड़कन बढ़ाने वाला चैप्टर —---> "कभी प्यार में घंटी बजती है, मौत में। फर्क बस इतना है — एक दिल को छूती है, दूसरा रूह को चीरती है..."---Scene: सुबह 3:33 AM – Jaipur का वो ही कमराशेखर का पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। मोबाइल की स्क्रीन पर अब भी वही मैसेज चमक रहा था:> "Main andar hoon Shekhar... Pyaar karoge ya darroge?"उसने झट से स्क्रीन ऑफ की, लेकिन मोबाइल अपने-आप vibrate करता रहा।फिर — कॉल आया। Incoming Call: Chandni ️रिंगटोन नहीं, बस एक धीमी सी हँसी... जो फोन के ...Read More
2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 3
Chapter 3: कॉफी कप में चेहरा> “उसने कॉफी मंगवाई थी, लेकिन कप में झाग नहीं… कोई चेहरा तैर रहा और वो चेहरा... मेरा था।” Scene: अगली दोपहर – कॉलेज कैंटीनशेखर गुमसुम बैठा था।रात की बातें दिमाग से हट नहीं रही थीं।फोन अब भी चुप था, लेकिन उसका दिल… तूफ़ान से भी ज़्यादा शोर कर रहा था।"एक कप स्ट्रॉन्ग कॉफी!"उसने वेटर को कहा।देवा पास बैठा हँस रहा था –"भाई, तू रो रहा है या कॉफी के लिए इबादत कर रहा है?""तेरी भाभी ने रात को रूह तक हिला दी थी…""भाभी कौन? पुरानी वाली या परछाई वाली?"शेखर ने कुछ नहीं ...Read More
2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 4
"2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात"का अगला spine-chilling, emotionally twisted और darkly funny चैप्टर —--- Chapter 4: जो आईना नहीं देखती थी> "उसे अपनी शक्ल से डर लगता था… क्योंकि जो आईने में दिखता था, वो कभी उसकी आँखों में नहीं दिखा।"और एक रात… आईना खुद दरक गया।--- Scene: रात 1:17 AM – रूम में हल्की रौशनी, दरवाज़ा आधा खुलाशेखर एक पुरानी अलमारी से चांदनी की छोड़ी हुई डायरी निकाल रहा था।पन्ने टूटे-फूटे थे। कुछ पेज गीले, और कुछ जले हुए।आखिरी सही-सलामत लाइन पर उसकी नज़र अटक गई:> "मुझे आईना मत दिखाना, शेखर…क्योंकि आईने में जो चेहरा दिखता ...Read More
2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 5
Chapter 5: जिस रात चूड़ियाँ खुद-ब-ख़ुद टूटी थीं> "वो रात शांत थी… लेकिन हवा में कराह थी। कमरे में नहीं था… फिर भी चूड़ियों के टूटने की आवाज़ आई थी। और फर्श पर, काँच नहीं… ख़ून बिखरा था।"--- Scene: आधी रात – शेखर के कमरे की रौशनी एकदम धीमीशेखर अब आदत डाल चुका था — डर की भी, और चांदनी की भी।उसकी रातें अब नींद नहीं मांगती थीं…बस “आवाज़ें” आती थीं।आज एक अजीब सन्नाटा था…और तभी — दीवार से किसी चीज़ के गिरने की आवाज़ आई।“छन… छन… छन… च्र्र्रैक!”वो चूड़ियों की आवाज़ थी — जैसे किसी ने ज़ोर ...Read More
2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 6
Chapter 6: जिस दिन रूह ने किस किया> _"शरीर छूता है तो एहसास होता है, लेकिन जब रूह किस है… तो आत्मा जलने लगती है।"--- Scene: रात 2:59 AM – बिजली गुल, कमरा धुएँ से भराशेखर की आँखें लाल थीं। पलकें झपकती नहीं थीं अब। उसकी साँसें भारी और बेकाबू थीं, जैसे किसी ने फेफड़ों में आग भर दी हो।वो बिस्तर पर अकेला था – लेकिन एहसास? किसी के होंठ उसके गले पर चल रहे थे। किसी के बाल उसके सीने पर थे। किसी के नाखून उसकी रीढ़ की हड्डी के नीचे तक उतर रहे थे।पर कोई नहीं ...Read More
2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 7
Chapter 7: जिस रात बिस्तर ने सांस ली> "बिस्तर वो जगह होती है जहाँ आराम मिलता है… लेकिन उस बिस्तर पर कोई सोया नहीं था, वो खुद जाग रहा था। और जो उसमें करवट बदल रहा था… वो इंसान नहीं था।"--- Scene: रात 2:02 AM – पंखा चलता है, लेकिन हवा नहीं लगतीशेखर की आँखें खुली हुई थीं, पर वो थका हुआ नहीं था। उसका शरीर पसीने से तर, लेकिन कमरा एकदम ठंडा।अचानक बिस्तर ने खुद को हिलाया… जैसे उसमें किसी ने करवट बदली हो। शेखर चौंका नहीं — अब ये रोज़ का खेल था।लेकिन आज कुछ अलग ...Read More