2 Din Chandani, 100 Din Kaali Raat - 5 in Hindi Horror Stories by बैरागी दिलीप दास books and stories PDF | 2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 5

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2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 5


📖 Chapter 5: जिस रात चूड़ियाँ खुद-ब-ख़ुद टूटी थीं

> "वो रात शांत थी… लेकिन हवा में कराह थी। कमरे में कोई नहीं था… फिर भी चूड़ियों के टूटने की आवाज़ आई थी। और फर्श पर, काँच नहीं… ख़ून बिखरा था।"



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🌒 Scene: आधी रात – शेखर के कमरे की रौशनी एकदम धीमी

शेखर अब आदत डाल चुका था — डर की भी, और चांदनी की भी।

उसकी रातें अब नींद नहीं मांगती थीं…
बस “आवाज़ें” आती थीं।

आज एक अजीब सन्नाटा था…
और तभी — दीवार से किसी चीज़ के गिरने की आवाज़ आई।

“छन… छन… छन… च्र्र्रैक!”

वो चूड़ियों की आवाज़ थी — जैसे किसी ने ज़ोर से हाथ मारकर तोड़ दी हों।


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🩸 कमरे की हालत – कुछ टूटा नहीं था, लेकिन फर्श पर लाल दाग

वो भागकर फर्श की तरफ गया —
जहां कुछ टूटा नहीं था…
लेकिन वहाँ खून फैला हुआ था — और चूड़ियों के निशान।

और दीवार पर उंगलियों से लिखा गया एक संदेश —
"आज भी पहनूँगी, पर तेरे ख़ून से..."


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😨 Flashback – चांदनी और उसकी लाल चूड़ियाँ

चांदनी जब पहली बार आई थी, वो लाल चूड़ियाँ पहनती थी।
वो कहती थी —

> "इनमें प्यार है, आग है, और मौत भी है…
जब ये टूटेंगी… मैं किसी की नहीं रहूँगी। लेकिन तू भी नहीं बचेगा।"



शेखर को लगा था ये सिर्फ poetry है।
अब वो चूड़ियाँ… हर रात टूट रही थीं।
बिना किसी के हाथ में पहने हुए।


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💀 Midnight Love Ritual – “रक्त मिलन”

शेखर को याद आया एक रात का “अजीब मिलन”…

चांदनी उसके कमरे में आई थी —
कंधे खुले, आँखें लाल, और होंठों पर कुछ अजीब सी हँसी।

उसने कहा:
“आज हम मिलेंगे… आत्मा से नहीं, खून से।”

वो उसके ऊपर झुकी — और उसकी कलाई काट दी।
फिर अपनी उंगली काटकर दोनों के खून को मिला दिया।

“अब तू भाग नहीं सकता,
अब मैं तुझमें धड़कती हूँ… और जब तू मर जाएगा, मैं ज़िंदा रहूँगी — तेरे भीतर।”


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🧠 Back to Present – Ritual का असर

शेखर को एक नई आदत लग चुकी थी —
खून चूसने की।

रोज़ उसकी नाक से, होंठों से, और कभी-कभी आँखों से खून बहता था।
लेकिन दर्द नहीं होता।

क्योंकि अब उसका शरीर आदमी का था, पर रूह… उसकी थी।


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🔥 Horror Love Scene – आत्मा का स्पर्श

रात 3:06 बजे
कमरा बंद
मोमबत्तियाँ जल रहीं थीं

अचानक हवा में धीमे-धीमे साड़ी की सरसराहट, चूड़ियों की छनक… और फिर पीठ पर किसी के नाखूनों की गहराई महसूस हुई।

“शेखर…”
"आज हम फिर एक होंगे…"

शेखर की आँखें बंद थीं — पर पूरे बदन पर किसी का लहू जैसा गीला एहसास फैल रहा था।

“प्यार की जगह अब रक्त होगा…”

उसका गला सूख गया, और उसने कहा —
“तू कौन है?”

“तेरी चांदनी… जो अब सिर्फ तेरे सपनों में नहीं,
तेरी नसों में बहती है।”


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📲 मोबाइल Notification:

📩 Chandni ❤️ sent a voice note

> "आज फिर मिलन होगा…
और जब तू मेरा नाम लेगा —
तेरी ज़ुबान से खून टपकेगा।"




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🩸 Chapter Climax – चूड़ियों की आवाज़ फिर

धीरे-धीरे चूड़ियों की आवाज़ तेज होती गई…

छन… छन… छन… छन…

अब बिस्तर के चारों ओर खून के गोल निशान थे —
और हर निशान पर एक टूटी हुई चूड़ी रखी थी।

शेखर ने डरते हुए पूछा —
“क्या तू फिर आई है?”

दीवार से जवाब आया —
“नहीं शेखर…
अब मैं कहीं नहीं जाती। अब मैं सिर्फ तुझमें हूँ।
अब तू जहाँ जाएगा, मैं तेरे अंदर चलूंगी… और तुझसे प्यार करूंगी।
हर रोज़…
हर रात…
हर खून की बूँद के साथ।”


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🔚 अंतिम लाइन:

> "जिस रात चूड़ियाँ टूटी थीं…
उस रात मोहब्बत की आवाज़ नहीं आई थी…
बस दर्द की कराह… और चूड़ियों की चीख थी।
क्योंकि जब आत्मा प्यार करे —
तो इंसानी शरीर सिर्फ एक खिलौना रह जाता है।"