अधूरे सपनों की चादर

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"तमन्ना को कभी नहीं पता चला कि उसकी ज़िंदगी कब सुबह से शाम और शाम से रात में बदलती जाती है।गली के खेल, माँ की व्यस्तता और पिता की चुप्पी के बीच वो बस एक बच्ची थी—जिसके सपनों की उड़ान अक्सर हालात की दीवारों से टकरा जाती थी।लेकिन उस दिन, जब पहली बार उसके हाथों में घुंघरुओं वाली चप्पल आई… ज़िंदगी का रुख बदलने लगा।"गाँव की तंग गलियों में धूल उड़ रही थी। नंगे पाँव बच्चे हँसी–ठिठोली करते दौड़ रहे थे। उन सबमें सबसे आगे थी तमन्ना—गरीब माँ–बाप की आख़िरी संतान। छोटी–सी काया, आँखों में शरारत, और चेहरा जैसे हर पल हँसी की तलाश में हो।तमन्ना का कोई ठिकाना नहीं था।

Full Novel

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अधूरे सपनों की चादर - 1

पहला अध्याय:--- तमन्ना को कभी नहीं पता चला कि उसकी ज़िंदगी कब सुबह से शाम और शाम से रात बदलती जाती है।गली के खेल, माँ की व्यस्तता और पिता की चुप्पी के बीच वो बस एक बच्ची थी—जिसके सपनों की उड़ान अक्सर हालात की दीवारों से टकरा जाती थी।लेकिन उस दिन, जब पहली बार उसके हाथों में घुंघरुओं वाली चप्पल आई… ज़िंदगी का रुख बदलने लगा। गाँव की तंग गलियों में धूल उड़ रही थी। नंगे पाँव बच्चे हँसी–ठिठोली करते दौड़ रहे थे। उन सबमें सबसे आगे थी तमन्ना—गरीब माँ–बाप की आख़िरी संतान। छोटी–सी काया, आँखों में शरारत, और चेहरा जैसे ...Read More

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अधूरे सपनों की चादर - 2

अध्याय 2 – बचपन की गलियाँ और भीतर की कसकगाँव में थोड़ी ही दूरी पर बाबूजी के चाचा का था। सब उन्हें बड़े स्नेह से बाबा जी कहते थे। उनके परिवार में दो बुआ और दो चाचा थे, और सभी एक ही आँगन में रहते थे। घरों के बीच ज़्यादा दीवारें नहीं थीं, पर दिलों के बीच तो बिल्कुल भी नहीं।दिन में दो-तीन बार आना-जाना आम था। कोई दाल उबाल रही होती तो कटोरी लेकर दूसरी ओर भेज दी जाती, कोई नया पकवान बनता तो बच्चों को दौड़ाकर दे दिया जाता। शाम होते ही बाबूजी अक्सर बाबा जी के ...Read More

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अधूरे सपनों की चादर - 3

अध्याय 3 भय का आतंकबचपन का वह समय तनु के लिए किसी अनजाने बोझ की तरह था। घर की उसके लिए कभी सुरक्षित पनाहगाह नहीं लगी, बल्कि जैसे किसी घने साए से ढकी हुई जगह थी। आँगन की धूप भी उसे पूरी तरह उजली नहीं लगती थी। लगता था जैसे दीवारों के बीच कोई अदृश्य साया हर वक्त घूम रहा हो— ऐसा साया जिसे सिर्फ वह महसूस कर पाती थी।यह केवल कल्पना भर नहीं थी, बल्कि घर का भारी वातावरण ही उसकी मासूम चेतना को बार-बार कुरेदता था। जब भी बड़ा भाई घर में होता, तनु को लगता मानो ...Read More