कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति )
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हॉस्पिटल से वो अंजान लड़की घर ला चुंकि थी । सारा परिवार शौक में डूबा था । किसी के मुंह से एक बोल नहीं फुंट रहा था । उस लड़की को घर के हॉल में लिटा दिया जाता है । आस-पास परिवार वाले बैठे थे । उस लड़की का पति अपने गोद में अपने बच्चे को पकड़े बैठा था । वो बिल्कुल शांत था। ना कोई आंसू ना कोई चेहरे पर दुख के भाव । एक अजीब सी शांति पसरी हुई थी उसके चेहरे पर ।
रात का समय था तो अभी अंतिम संस्कार कि विधि नहीं हो सकती थी । इसलिए लड़की को सुबह होने तक घर में ही रखा हुआ था ।
अगली सुबह में सारे संस्कार कर लड़की कि अंतिम विदाई हुई ।
शमशान घाट तक ले जाने वाले समय में सब " राम नाम सत्य है " का जाप करते हुए जा रहे थे । शमशान घाट में पहुंच उस लड़की को इस जीवन चक्र से मुक्त कर दिया गया ।
लड़की के पति के मुख पर अब भी शांति थी । सब हैरान थे ये देखकर कि इस आदमी कि पत्नी मर गई और इसके चेहरे पर दुख का एक भाव नहीं । हर कोई बातें बनाने लगा । पर उस आदमी पर कोई असर नहीं हुआ।
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तीन महीने बाद
एक अंजान जगह
सुबह का समय
पुलिस कि गाड़ियों का काफिला एक जगह आकर रूक गया । गाड़ियों में से पुलिस वाले , फारेंसिक जांच करने वाले लोग निकलने लगे । साथ ही कुछ गाडियां ओर वहां आकर रूकी । उन में से भेड बकरी कि तरह रिपोर्टर निकलने लगे । वो सब क्राईम सीन कि पीक कल्कि करने लगे । फॉरेंसिक वाले अपना काम कर रहे थे ।
वहां पर एक गाडी का ऐक्सिडेंट हुआ था । अंदर एक लड़की कि लाश पड़ी थी । वो लड़की भी मां बनने वाली थी । उसका शायद पांचवां महिना चल रहा था । उस लडकी का खून कार में फैला हुआ था । फोन टूट चुका था ।
क्राईम सीन पर एक 27-28 साल का नौजवान ऐ सी पि आया । उसने चारों तरफ नजर घुमाई ।
उसने फॉरेंसिक ऑफिसर से जानकारी ली तो पता चला ये लड़की मां बनने वाली थी । एक नजर में ये एक ऐक्सिडेंट लग रहा है बाकि सबकुछ रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा।
ऐसीपि ने गर्दन हां में हिला दी ।
वो वहां से बाहर आया ही था कि रिपोर्टर ने उसे घेर लिया । और सवाल पर सवाल करने लगे पर वो बिना किसे के सवाल का जवाब दिए वहा से अपनी टीम के साथ पुलिस स्टेशन के लिए निकल गया ।
पुलिस स्टेशन पहुंच वो अपने केबिन में बैठे हाथ में रूबिक कयुब पकड़े कुछ सोच रहा था । तभी उसके सामने एक इंस्पेक्टर आया और उसे सेलयुट कर सावधान मुद्रा में खड़ा हो गया ।
एसिपि ने उसे देखा और विश्राम बोल सीट पर बैठने के लिए बोल दिया ।
उस इंस्पेक्टर कि युनिफोर्म पर हार्दिक शर्मा लिखा था ।
हार्दिक : "सर ये ऐक्सिडेंट भी पिछले चार ऐक्सिडेंट कि तरह है । फॉरेंसिक रिपोर्ट आ चुकी है । इससे पता चला है कि विक्टिम को एक ड्रग दिया गया था जिस से उसका शरीर सुन पड़ गया था । वो सब देख सकती थी सुन सकती थी लेकिन कुछ कर नहीं सकती थी । नाही कुछ महसुस कर सकती थी ।
साथ ही हमें ये भी पता चला है कि विक्टिम को मारने से पहले बहुत ज्यादा तड़पाया गया था । "
एसिपि बड़े ध्यान से इंस्पेक्टर हार्दिक कि बात सुन रहा था । उसने हार्दिक को जाने का इशारा किया ।
हार्दिक के जाने के बाद वो एसिपि कुछ सोचने लगा ।
दिन तो यूं ही निकल जाता है । एसिपि अपने घर जाने के लिए खड़ा हो जाता है । वो स्टेशन से बाहर आया ही था कि उसके सामने एक खुबसूरत सी लड़की आकर खड़ी हो जाती है । उसके साथ एक लड़का भी था जिसने अपने गले में कैमरा टांग रखा था । लड़की के हाथ में माइक था ।
इन दोनों को देख एसिपि का माथा ठनका । वो गुस्से से दोनों को देख रहा था । ये बात सामने खड़ी रिपोर्टर और कैमरामैन को भी पता चल गई थी ।
वो लड़की आगे आई और एसिपि कि तरफ हाथ बडा बोली " सानवी सिंह और ये मेरा दोस्त सक्षम मित्तल । हम दोनों को आपसे केस के बारे में बात करनी थी । "
एसिपि " हम्म... आओ । "
सानवी और सक्षम दोनों एसिपि के पीछे चलने लगते हैं । एसिपि अपनी सीट पर आकर बैठता है और सानवी - सक्षम विसिटर चेयर पर ।
एसिपि उन्हें बोलने का इशारा करता है ।
सानवी सक्षम की तरफ देखती है तो वो कुछ फोटो निकाल कर रख देता है ।
सानवी " आप इन फोटोज को देखिए जरा । "
एसिपि फोटोज को देखता है तो हैरान हो जाता है । वो एक एक करके सारी फोटो देखता है । सब तस्वीरों को देखने के बाद एसिपि का गर्म दिमाग ओर गर्म हो जाता है ।
वो अपने सामने बैठे दो नमुनो को देख बोला " कहा मिली तुम्हें ये पिक्चर्स । "
सानवी " हमने खुद ली है ये । "
एसिपि कि भंवे चढ़ा कर सानवी को देखता है तो वो हड़बड़ा जाती है ।
सक्षम ये देख बोला " हम क्राइम रिपोर्टर है । इसलिए ये सब हमारे पास है । "
एसिपि हां में गर्दन हिलाता है । थोड़ी देर बाद वो खड़ा हो जाता है । तो सक्षम सानवी भी खडे हो जाते हैं । एसिपि उन्हें अपना कार्ड देते हुए बोला " टच में रहना और अगर कुछ भी पता चले तो मुझे इनफॉर्म करना । "
इतना बोलकर वो निकल जाता है । और सक्षम सानवी उसे देखते रह जाते हैं । वो दोनों भी बाहर आकर अपनी मंजिल के लिए रवाना हो जाते हैं ।
सानवी कार में बैठ कर गुस्से में " कैसा आदमी है ये । कुछ बोलता ही नहीं और शक तो हद से ज्यादा करता है । सक्षम तूने देखा नहीं हमसे बात करने में कैसे मौत आ रही थी । "
सक्षम उसे शांत कराते हुए " काम डाउन । ऐसिपि है वो राह चलता भिखारी नहीं । बहुत काम रहता है उसे । ना जाने कितने केस सोल्व करता होगा वो । और ये केस तो कितना मुश्किल है । हमें ही कोई लिंक नहीं मिल रहा और हम इतने परेशान हैं जबकि हमें बस एक हफ्ता हुआ है इस केस पर काम करते हुए । वो आदमी तो तीन महीने से लगा पड़ा है । तो ऐसा तो होगा ही । "
सानवी सक्षम कि बात सुन उबासी लेती है तो वो उसके सर पर एक चपत लगा देता है । जिस से सानवी मुंह बना लेती है ।
आगे दोनों कोई बात नहीं करते ।
वो एसिपि और इन दोनों के जाने के बाद एक आदमी बाहर आता है जो पुरा सफेद कपड़े से ढका हुआ था ।
उसने एसिपि सक्षम सानवी तीनों कि तस्वीरें ले ली थी ।
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रात का समय
कश्यप मैंशन
मुंबई
कश्यप मैंशन में लोगों के रोने का रूदन हो रहा था । क्योकि आज जो हादसा हुआ था वो इसी परिवार की बहु का हुआ था ।
हर कोई मातम मना रहा था । पुलिस डेड बॉडी को परिवार को सोप चुंकि थी और अब तक अंतिम संस्कार भी हो चुका था । एसिपि खुद उस बॉडी को पहुंचाने गया था क्योंकि वो मशहूर लेखक अभिक कश्यप कि पत्नी वंदिता कश्यप थी जो खुद एक मशहूर गायिका थीं ।
सिर्फ इतना ही नहीं एसिपि और अभिक कश्यप बच्चपन के दोस्त हैं जिस वजह से वंदिता कश्यप भी एसिपि कि दोस्त थी ।
अभिक कश्यप अपने कमरे कि दीवार पर लगी एक बड़ी सी फोटो को देखता है । उस में वो और उसकी पत्नी साथ खड़े थे । इस तस्वीर में वंदिता का पेट थोड़ा बाहर निकला हुआ था ।
अभिक उस तस्वीर पर हाथ फिरा देता है । रोकते रोकते भी उसकी आंखों से आंसू बह जाते हैं ।
अभिक वहां से हट किसी को कॉल करता है । दो रींग जाने के बाद फोन उठ जाता है । सामने से एक सर्द और भारी आवाज आती है ।
" बोल । "
ये आवाज़ एसिपि कि थी ।
अभिक " कुछ पता चला । "
एसिपि " नहीं । "
अभिक कसकर अपनी आंखें बंद कर खुद को संयत करता है ।
" क्यो नहीं चला । जल्द से जल्द कातिल को ढुंढ कर ला । उसे मैं अपने हाथों से मारना चाहता हूं । "
एसिपि " दुकान पर बिकती टॉफी है क्या जो खरीद कर तुम्हारे पास ला दूं ताकि तुम उसे खा सको । कातिल है वो कोई राह चलता आदमी नहीं जो कहीं से भी उठाकर ला दिया । "
अभिक चिल्लाकर " तो कब लाएगा । तीन महीनों से चल रहा है ये सब । और तू कुछ नहीं कर पाया । "
एसिपि खुद का गुस्सा शांत करते हुए बोला " मैं कोशिश कर रहा हूं । दिन रात एक कर दे रहा हूं मै उसे ढूंढने में । "
" मुझ पर भरोसा रख । मैं उस सनकी को कहीं से भी ढुंढ निकालूंगा । "
अभिक खुद को संभाल नहीं पाया और रोने लगा । वो अपने परिवार के सामने एक बार भी नहीं रोया था । खुद को मजबूत दिखने के लिए ताकि उसका परिवार संभल सके । पर अब वो नहीं संभल पाया ।
एसिपि सब सुन रहा था । उसकी आंखे भी नम थी ।
एसिपि " शांत हो जा । मैं हूं ना । "
अभिक आंसू पोंछ " मै अपने तरीके से सब पता लगाने कि कोशिश करूंगा । "
" हम्म । "
इतना बोल कर फोन कट जाता है ।
अभिक अपने बैड पर पड़ जाता है । एक बार फिर उसकी आंखों के कोने गीले हो गए थे ।
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अंजान जगह ।
अंधेरा कमरा
एक सफेद कपड़ों में ढका आदमी अपने सामने कुछ देख रहा था । पुरा कमरा अंधेरे में डुबा था सिवाय उस दीवार के जिसे वो आदमी देख रहा था । उस दीवार पर अभिक और उसकी पत्नी वंदिता कि तस्वीर चिपकी थी । एक तरफ उस अंजान लड़की और उसके पति कि तस्वीर थी । एक ओर दंम्पती कि तस्वीर लगी थी । दो मशहूर टीवी एक्टर जो पति पत्नी थे । उनकी तस्वीर थी । एक ओर दंम्पती कि तस्वीर थी ।
ये सब उन लोगों कि तस्वीर जिनकी पत्नियां ये साया मार चुका था ।
वो अपने हाथ मे पकड़ा खंजर अपने गाल और होंठों पर फिराने लगता है ।
उस दीवार पर उन सब औरतों कि मौत कि तस्वीर थी उनके परिवार के रोते बिलखते चेहरे की तस्वीर थी ।
वो अपने खंजर को चूम उन तस्वीरों को देख बोला " मेरी भी यादों में आती है । तुम्हारी भी यादों में आए गी। ये यादे मझे सताती है तुम्हे भी सताएंगी । "
इतना बोल वो साया म्यूजिक सिस्टम पर एक गाना चला देते हैं ।
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
तेरी पलकों के साये
में आकर झिलमिलाऊं
मैं वो खुशबू
नही जो हवा में खो जाऊं
ऊं ऊं ऊं ऊं
हवा भी चल रही है
मगर तू ही नहीं है ।
फिजा रंगीन वहीं है
कहानी कह रही है
मुझे जितना भुलाओ
मैं उतना याद आऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबो में आऊं
जारी है !