*** कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति ) ***
अब तक आपने पढ़ा कि अभिक एसीपी का पता लगाने कि कोशिश कर रहा होता है लेकिन उसे एसीपी ( आग्नेय ) का कोई पता नहीं मिलता । अभिक को एक कॉल आया है जिसे सुन उसके हाथ से उसका फोन छुट कर जमीन पर गिर जाता है । दुसरी तरफ एक सड़क पर एक्सिडेंट हुआ रहता है जहां पर पुलिस ने नाकाबंदी कर दी थी । वहां हर तरफ भीड़ थी जिसमें एक शख्स उस एक्सिडेंट को घुरे जा रहा था वो क्राईम सीन कि तरफ बढ़ रहा था कि एक ऑफिसर ने उसे रोक लिया ! शख्स ने उसे देखा और ऑफिसर के हाथ पर एक पीन चुभा दी जिसके कारण वो गिर पड़ा । अंत में वो ऑफिसर तड़पते हुए मौत के हवाले हो गया ।
अभिक को कॉल अस्पताल से आया था वो वहां जाता है जहां उसे एक मुर्दाघर में ले जाया जाता है उसके साथ सानवी और सक्षम भी थे । वो एक लाश के पास जाता है और उस पर से कवर हटाता है तो वो देखता है कि ये लाश हार्दिक कि थी ...!
अब आगे ...!
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अभिक सन्न होकर खड़ा था उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे बर्ताव करें ! उसे खुशी थी कि ये लाश आग्नेय कि नहीं है पर दुख था कि ये हार्दिक कि लाश है । मतलब ऐसा कुछ तो सोचा ही नहीं था उसने ! हार्दिक...! कैसे वो यहां हो सकता है ।
ये सब सोचते हुए अभिक के कदम लड़खड़ा गए लेकिन उसके पीछे खड़े सक्षम ने उसे संभाल लिया । उसकी हालात अभिक से जुदा न थी । वो भी हार्दिक कि मौत बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था पर इस समय अभिक को संभालना जरूरी था ।
उसने अभिक को सहारा देकर खड़ा किया । अभिक कि आंखों से आंसू बहने शुरू हो गए । सक्षम उसे देखता रहा तभी उसे सानवी का ख्याल आया , उसने मुड़कर देखा तो पाया की सानवी एक बेड से टिक कर खड़ी थी । उसकी आंखों में कोई भाव नहीं था उसे महसूस हो रहा था कि उसके आस पास सब गायब हो चुका है ।
एक बार फिर कुछ दृश्य उसकी आंखों के सामने तैरने लगे !
एक औरत जो खून से लथपथ कार में पड़ी थी । उसका मोटा पेट जो उसकी गर्भावस्था कि चुगली कर रहा था और जहां से खून रीस रहा था...!
दृश्य फिर बदल गया अब वो एक अस्पताल का दृश्य था वहां डाक्टर ने आकर बताया कि उस औरत कि मौत हो चुकी थी साथ ही उसके अंजन्मे बच्चे कि भी ...!
अब वो एक कमरे का दृश्य था जहां एक आदमी ने खुद को फांसी लगा ली थी ।
सानवी की सांसें तेज हो गई! उसने हार्दिक कि लाश की तरफ देखा तो उसकी आंखों से भी आंसू बह निकले । वो बहुत ही ज्यादा संवेदनशील थी ।
सक्षम ने उसे देखा और आज उसे संभालने के बजाए अभिक को लेकर बाहर चला गया ।
सान्वी कि नजरें तो बस हार्दिक के शव पर टिकी हुई थी । वो आगे बढ़ी और हार्दिक के शव के पास खड़ी होकर उसने अपना हाथ बढ़ाया । वो उसकी आंखें बंद करना चाहती थी पर उसकी आंखों में देखकर उसके हाथ कांप गए ...!
हार्दिक कि आंखें शांत तो बिल्कुल नजर नहीं आ रही थी। उन्हें देख सान्वी को महसूस हो रहा था कि वो आंखें अपने अंदर गुस्सा लिए हुए है ! उन में उसे खौफ का एक कतरा भी नजर नहीं आ रहा था । जबकि उसके शरीर कि हालत बहुत खराब थी ..!
जिसने भी उसे मारा वो कोई इंसान तो नहीं हो सकता पर वो जानती थी ये एक इंसान का ही काम है जो असलियत में एक राक्षस से कम नहीं ...!
सान्वी ने हार्दिक कि आंखें बंद कर दी और उसपर कपड़ा डाल दिया । फिर वो भी कमजोर कदमों के साथ बाहर आ गई ।
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वो एक हॉल था जहां पर एक आदमी को बांध कर रखा गया था । वो आदमी ज़मीन पर अधमरी हालत में पड़ा था । उसके पास जमीन पर एक और आदमी बैठा था पर वो टीवी में कुछ देख कर वहशी मुस्कान दे रहा था ।
ये अभ्युदय था ...!
वो टीवी कि तरफ देख कर खुश हुए जा रहा था । टीवी पर न्यूज आ रही थी कि हाल ही में हुए कार ऐक्सिडेंट में एक और प्रेगनेंट लेडी कि लाश मिली है। पर आज कि खबर कुछ खास थी क्योंकि इस दुर्घटनास्थल पर ऑन ड्यूटी ऑफिसर कि सबके सामने अचानक से तड़पते हुए मौत हो गई ...!
साथ ही उन्हे एक खबर ये भी मिली है कि इस एक्सिडेंट केस पर काम करने वाले एसीपी तीन दिन से लापता है । और उनके अंडर काम कर रहे इंस्पेक्टर हार्दिक शर्मा कि बड़ी बेदर्दी से किसी ने हत्या कर दी है ...!
ये खबर अभ्युदय के कानों में शहद कि तरह घुल रही थी । उसके पास में आग्नेय ( एसीपी ) पड़ा था ! ये खबर सुनकर उसको तो जैसे सदमा ही लग गया ।
मतलब उसका सबसे काबिल साथी अब नहीं रहा ..! हार्दिक कितना जांबाज था हर केस में वो उसके साथ था ! कई बार तो हार्दिक ने उसे बचाने के लिए खुद कि जान दांव पर लगाई थी ।
उस से ये सदमा बर्दाश्त नहीं हो रहा था ...!
एसीपी जोर से चीखा ...!!!!!
अभ्युदय ने उसकी चीख सुनकर अपनी आंखें बंद करली जैसे जता रहा हो कि उसे एसीपी के दुख से कितना फर्क पड़ रहा है पर उसके होंठों पर एक मुस्कान थिरक रही थी !
" ओओओ!!! ऐसे नहीं चीखते मेरे यार ! तू तो अभी से टूट गया अभी तो तुझे अभिक को मरते हुए देखना है उन दोनों रिपोर्टर को मरते देखना है । और हां...आशी ! वो भी तो जिंदा है ..! "
अभ्युदय इतना बोला ही था कि एक लात उसके मुंह पर पड़ी ! वो सर के बल गिर पड़ा...!!!
उसे लात मारने वाला एसीपी ही था । वो गुस्से से हांफ रहा था । भले ही उसके हाथ बंधे थे और वो घायल था पर वो अब भी अभ्युदय से लडने कि हिम्मत रखता था ।
" तू मेरे लोगों को मारेगा ..! तेरी इतनी औकात कैसे हो गई जाहिल आदमी । यू नो वॉट अभ्युदय अच्छा हुआ अनामिका मर गई वरना तुम्हारा ये रूप देखकर उसे अपने आप से घिन आने लगती कि उसने तुझ से प्यार किया था ..! "
आग्नेय ( एसीपी ) ने गुस्से से कहा । अभ्युदय उसकी बात सुन पागल सा हो गया था। वो उठा और उसने एक जोरदार मुक्का आग्नेय के मुंह पर मार दिया !
आग्नेय कि नाक से खून निकल आया और वो लड़खड़ाते हुए नीचे गिर पड़ा ..!
अभ्युदय आगे बड़ा और उसने आग्नेय पर लात घुसे बरसाना शुरू कर दिया । उसने एक लात आग्नेय के पेट पर मारनी चाही कि किसी ने उसे उठाकर पटक दिया ..!
अभ्युदय पेट के बल गिर पडा । उसके मुंह से खून निकल आया...!
" साले तेरी फितरत तो मै जानता था पर तू ऐसा कुछ भी कर सकता है इतना गिर सकता है ये नहीं सोचा था ..! "
ये बोलने वाला और अभ्युदय को पटकने वाला और कोई नहीं बल्कि अभिक ही था ।
हां! वो पहुंच चुका था आग्नेय के पास , अभ्युदय तक ! और ये मुमकिन हुआ था सक्षम और सानवी कि मदद से ।
अभिक के साथ वो दोनों भी आए थे । सानवी ने आगे बढ़कर आग्नेय के हाथ खोले और उसे संभालते हुए खड़ा किया ।
अभ्युदय खड़ा हुआ उसने अपना खून साफ किया और अभिक को भूखे भाव से देखने लगा । इस समय वो बहुत ख़तरनाक लग रहा था !
बिखरे बाल , मुंह से निकलता खून, नजरें ! जो अपने अंदर अंगारे भरी हुई थी और उसकी सांसों का वो हांफता स्वर जो किसी कि भी रीड की हड्डी में सिहरन पैदा कर दें!
उसे देखकर सानवी कि हल्की सी चीख निकल गई ! आग्नेय ने उसे देखा । सानवी के चेहरे पर डर साफ साफ नजर आ रहा था । हाथ कांप रहे थे ! पर फिर भी उसने आग्नेय को थाम रखा था । उसका एक हाथ आग्नेय की कमर पर था और दूसरे हाथ से उसने आग्नेय का हाथ थाम रखा था ।
आग्नेय ने उसे देखा और सानवी के डर को देख उसके जबड़े कस गए !
सक्षम जो इन चारो को देख रहा था उसने अपना फोन पकड़ रखा था और उसमें रिकॉर्डिंग चालू कर दी थी ताकि वो सबूत के तौर पर अभ्युदय के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकें ।
अभिक आगे बडा और उसने एक जोरदार मुक्का अभ्युदय के मुंह पर मार दिया। अभ्युदय अभी इसके लिए तैयार नहीं था वो बस अभी खड़ा ही हुआ था कि अभिक ने उस पर लात घुसे बरसा दिए ।
वो पीछे कि तरफ लडखडा गया । उसने अपनी नाक से बहता खून साफ किया और अभिक को देखने लगा । अभिक ने अपनी लात घुमाई और अभ्युदय नीचे झुक गया । इस बार वो तैयार था उसने एक पीन निकाली और वो अभिक कि गर्दन में घुसा दी..!
अभिक एक दम से रूक गया । उसका सर सुन्न पड़ गया था , हांथ कांप रहे थे! उसने अचानक से खून कि उल्टी कर दी और नीचे बैठ गया ।
सक्षम जो विडियो बना रहा था उसने फोन पॉकेट के हवाले किया और अभिक कि तरफ बढ़ा पर पहुंच नहीं पाया क्योंकि बीच में ही उसे अभ्युदय ने रोक दिया । उसने सक्षम का गला कसकर पकड़ लिया और अपने सर से उसकी नाक पर वार किया । सक्षम कि नाक से खून निकल आया । अभ्युदय ने झटके से उसे छोड़ा और सक्षम पीछे कि तरफ लड़खड़ा गया ..!
" ना मुन्ना ना! बीच में मत आ । तेरा भी नंबर आएगा आखिर मेरे बारे में तुने ही इस एसीपी को बताया था । साला हाथ धोकर पीछे पड़ गया था ! तुझे कैसे छोड़ सकता हूं ! "
इसी के साथ अभ्युदय ने अपनी पॉकेट से चाकू निकाला और उससे सक्षम पर वार करने को हुआ पर कर नहीं पाया ।
एक झटके के साथ उसके हाथ से चाकू नीचे गिर गया । उसने अपनी बाजू को देखा जिसपर धीरे धीरे लाल धब्बा बनता जा रहा था...!
उसने पलट कर देखा तो पाया कि सानवी हाथ में आग्नेय कि सर्विस रिवाल्वर लेकर खड़ी है । उसके हाथ कांप रहे थे ! साथ ही उसे अपनी कलाई में गोली चलाने कि वजह से एक झटका महसूस हुआ था ।
अभ्युदय उसे देखकर पागलों कि तरह हंसा और सानवी अंदर तक कांप गई !
" तुम्हारे बारे में तो मैं भूल ही गया था ! तो ..तुम भी मरना चाहती हो । कोई नहीं तुम्हारी ये इच्छा भी पूरी की जाएगी। पर... तुम मुझसे लडोगी कैसे तुम तो मेरी एक हंसी से ही कांप गई ! तुम्हे तो मैं यूं ही मसल दूंगा । "
" आ आ ...! तुम्हें मसलने के लिए मुझे हाथा पाई थोड़ी करनी पड़ेगी बस तुम्हें अपने बिस्तर पर ले जाना होगा ..! "
इतना बोलकर उसने सानवी को ऊपर से लेकर नीचे तक देखते हुए एक भद्दी सी मुस्कान उछाल दी ।
सानवी ने उसे बुरी तरह गुस्से से देखा फिर उसके होंठों पर एक तिरछी मुस्कान आ गई ..!
अभ्युदय ने उसे देखकर अपनी आंखें सिकोड ली ! वो अभी कुछ समझता उससे पहले ही सानवी ने ट्रिगर दबा दिया ।
अभ्युदय कि आंखें हैरानी से फैल गई और उसे अपने पेट पर तेज दर्द महसूस हुआ ! हालांकि गोली बस उसे छू कर ही निकली थी ।
वो गुस्से से सानवी कि तरफ बढ़ा ही था कि किसी ने उसके सर पर एक भारी सी चीज दे मारी ..!
वो आग्नेय था जो हांफते हुए खड़ा था । उसके हाथ में एक टेबल लैम्प था जो उसने अभ्युदय के सर पर दे मारा था ।
अभ्युदय का सर घुम गया और वो बेहोश होकर नीचे गिर पड़ा । उसके सर से खून बह रहा था ।
सक्षम अब तक अभिक को उठाकर बाहर ले जा चुका था । आग्नेय ने सानवी कि मदद से अभ्युदय को बांधा और उठाकर बाहर लेकर आया । उसने अभ्युदय को कार की डिग्गी में डाल दिया ।
डिग्गी बंद कर वो कार से टिक कर हांफने लगा । उसकी नाक , मुंह , पेट से खून लगातार बह रहा था । और हल्के कट्स तो हर जगह लगे हुई थी । वो कार के अंदर बैठने के लिए आगे बड़ा लेकिन लड़खड़ा गया !
मगर वो गिरता इस से पहले ही किसी ने उसे पीछे से थाम लिया ।
वो सानवी थी ..!
" हम आपको ले चलते हैं । " सानवी ने आग्नेय के कंधे को पकड़ते हुए कहा । आग्नेय का एक हाथ सानवी कि कमर पर लिपट गया । सानवी को एक झटका लगा पर उसने अपने आप को संभाल लिया था और वो आग्नेय को लेकर कार कि बैक सीट पर आई और उसे अभिक के पास संभालकर बिठा दिया ..!
फिर वो खुद आकर पैसेंजर सीट पर बैठ गई । ड्राइविंग सीट पर सक्षम बैठा हुआ था । दोनों ने एक दूसरे को देखा फिर हां में अपने सर हिला दिए फिर सक्षम ने कार आगे बड़ा दी ।
वो उस जंगल से बाहर आ रहे थे पर उनके कानों में एक गाने का स्वर गूंज रहा था जिसकी आवाज अभ्युदय के घर से आ रही थी ।
दुनिया के किसी भी कोने में रहा
तुमसे कितना भी फासला रहा
यकीन मानो बचपन से आजतक
हर पल हर मोड़ तुम्हे साथ पाया
समझ नहीं आता इस रिश्ते को क्या कहूँ
यार तुम कहो तोह आज इसे एक नाम दूं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
तेरी पलकों के साये में आकर झिलमिलाऊं
मैं वो खुश्बू नहीं जो हवा में खो जाऊं
हवा भी चल रही है
मगर तू ही नहीं है
फ़िज़ा रंगीन वही है
कहानी कह रही है
मुझे जितना भुलाओ
मैं उतना याद आऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
जो तुम ना मिलती
खोता ही क्या ढूंढ लाने को
जो तुम ना मिलती
खोता ही क्या ढूंढ लाने को
जो तुम ना होती
होता ही क्या हार जाने को
मेरी अमानत थी तुम
मेरी अमानत थी तुम
मेरी मुहब्बत हो तुम
तुम्हें कैसे मैं भुलाऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
तेरी पलकों के साये में आकर झिलमिलाऊं
तड़प रहे हो
ज़माने से मुस्कुराने को
तड़प रहे हो
ज़माने से मुस्कुराने को
तरस रहे हो
ज़माने से पास आने को
तेरी धड़कनों में बस कर
तेरी धड़कनों में बस कर
तेरी साँसों में रह रह कर
तुम्हें हर पल सताऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
तेरी पलकों के साये में आकर झिलमिलाऊं
मैं वो खुश्बू नहीं जो हवा में खो जाऊं
" कभी यादों में आओ ! "
क्रमशः
मैंने कहा था भाग दस आखरी होगा पर तबीयत बहुत खराब हो गई है तो ये बस इतना ही लिखा गया । अगला भाग कसम से आखरी होगा और आप सभी को उसे पढ़कर बहुत मज़ा आएगा ।
ये भाग पढ़कर बताना कैसा लगा और कमेंट रेटिंग दें दिया करो गुरू !
मिलते हैं कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति ) के अगले और आखरी भाग में ।
कीप स्माइलींग 😊