कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति )
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सुबह का समय
नंदिता स्टुडियो ( काल्पनिक)
मुंबई
हर तरफ चहल पहल थी । करु मेम्बर्स अपना काम करके शोर्ट के स्टार्ट होने का इंतजार कर रहे थे । लेकिन अभी तक लीड अक्टरेस नहीं आई थी । उसका मेकअप स्टाइलिंग सबकुछ दो घंटे से चल रहा था । लीड अक्टर भी काफी देर से अभिनेत्री के आने का इंतजार कर रहा था । बाकि सारे फिल्म में काम करने वाले लोग भी ।
डायरेक्टर भी सर पकड़ बैठा था । तंग आकर डायरेक्टर सबकुछ बंद करने ही वाला था कि एक आवाज आई
" सॉरी एवरीबॉडी... वेरी सॉरी " फिल्म कि मुख्य अभिनेत्री आते हुए बोली ।
वो दिखने में बहुत सुंदर थी लेकिन सुंदरता के साथ एक निखार या तेज भी था । वो चलते हुए सबके पास आई । उसका पेट बाहर निकला हुआ था जो उसका मार्तत्व रूप दिखा रहा था । और इसी का निखार अभिनेत्री के मुख पर था ।
वो एक बार फिर सबसे माफी मांगने लगी । डायरेक्टर ने उसे कुछ नहीं कहा ना ही और किसी ने भी ! क्यों !! सब अभीनेत्री कि कंडिशन जानते थे । एक तो वो मां बनने वाली थी ऊपर से इस समय उनकी मैडिकल कंडिशन ज्यादा अच्छी नहीं थी । तो अभिनेत्री के साथ हर एक काम बड़ी सावधानी के साथ हो रहा था । इसलिए उसको आने में इतना समय लगा । वैसे भी कई अभिनेत्रियां बीना किसी ईशु के बहुत समय लेती है तैयार होने में! और कुछ तो अभिनेत्री होती भी नहीं तब बहुत समय लेती है । तो इनके साथ तो फिर भी ईशूज है ।
" आशी बहुत टाइम लगा दिया आने में, पर चलो कोई बात नहीं!! हम शुट स्टार्ट करते है । " डायरेक्टर बोला ।
शुट शुरू हो गया था ।
स्टुडियो में अंधेरा कर दिया गया था , हल्की सी रोशनी थी जिससे सब लोग देख पा रहे थे ।
" संजय ! संजय !!! कहा हो तुम ! । " आशी ने एक्टिंग शुरू करी ।
अभिनेत्री बाथरूम में जाकर देखती है , " यहां भी नहीं है ... तो कहा गया । "
अब वो घबराने लगी थी! एक तो रात ऊपर से उसका पति कमरे में नहीं था । वो संभल कर कमरे से निकली और नीचे आती है ।
उसने फिर अपने पति को बुलाया पर उसे इस बार भी कोई जवाब नहीं मिला । पुरा घर देख लिया था पर लड़की को उसका पति कहीं नहीं मिला ।
वो आगे बड़ी ही थी कि लड़की को लगा जैसे कोई उसके पीछे खड़ा है ! उसने घबराते हुए पीछे मुड़ कर देखा तो राहत कि सांसें लीं! सामने उसका पति था ।
" संजय कहा थे तुम। पता है मैं कितना डर गई !!" लड़की ने कहा ।
संजय अजीब तरह से मुस्कुराते हुए " हम कहां जाएंगे आपके बगैर !! हम तो यही थे । "
" तुम इतना घबराई हुई क्यो हो ! जाओ जाकर आराम करो । "
लड़की " पर संजय तुम थे कहा !! "
संजय आशी को अजीब तरह से देख रहा था । अंधेरा था तो कोई भी उसका चेहरा ठीक से नहीं देख पा रहा था । आशी को उसके साथ रहने से एक अजीब सा एहसास हो रहा था । उसे लग रहा था जैसे उसके सामने खड़े इंसान कि आंखों में उसके लिए एक हैवानियत है । आशी को पता नहीं क्यो अचानक से घबराहट होने लगी । उसकी सांसे बहुत ज्यादा तेज हो गई थी । और धड़कने सामान्य से ज्यादा बढ़ गई थी ।
तभी संजय आशी के पास आया और उसने बड़े अजीब ढंग से आशी के पेट पर हाथ फेरना शुरू कर दिया ।
संजय " इतना मत घबराओ यार!!! सब ठीक है । "
आशी ने एक झटके से अपने सामने खड़े इंसान का हाथ झटक दिया । वो डायरेक्टर से लाइट जलाने के लिए कहने लगी । शॉट को एंड करने के लिए बोलने लगी पर किसी ने भी कोई जवाब नहीं दिया ! ।
अब आशी हद से ज्यादा घबराने लगी । इतना तो तय था ये सब कुछ स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं था ।
वो वहां से जानें लगी की किसी ने उसके गले में रस्सी डाल उसे पीछे कि तरफ खींच लिया । आशी संभल नहीं पाई और नीचे गीर पड़ी ।
दर्द से उसका चेहरा भर उठा!!!
" तुम ... तुम ! क्या कर रहे हो !! छोड़ो मुझे... छोड़ो । "
संजय आशी के पास घुटने के बल बैठ गया । और उसके कान में बोला " वो भी तड़पती थी!! अब तुम भी तड़पो !! "
इतना बोलकर उस आदमी ने आशी का गला काफी ज्यादा कसकर दबा दिया । लेकिन फिर एक झटके से छोड़ दिया ।
आशी खांसने लगी ।। तभी वहां लाइट आ गई । आशी ने जब उठकर चारों तरफ देखा तो उसकी चीख निकल गई ।
सामने हर तरफ खून फैला हुआ था । डायरेक्टर,। करु मेम्बर, एक्टर सब बेतरतीब तरीके से मरे पड़े थे ।
आशी जल्दी से स्टुडियो से बाहर भाग गई । वो अभी ज्यादा दुर नहीं गई थी कि पीछे से एक गाड़ी ने आकर उसे टक्कर मार दी ।
आशी पेट के बल गीर पड़ी । वो दर्द से चिल्लाने लगी !!!
तभी गाडी से एक आदमी निकला जो पुरे सफेद कपड़ों से ढका था । उसकी बस गहरी काली आंखें दिख रही थी ।
उस आदमी से आशी को उठाया और गाड़ी में डाल दिया । फिर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ कार पेड़ से टकरा दी ।
कार का बोनट खुल गया और उसमें से धुआं निकलने लगा । आशी का सर सामने जा लगा और उसके सर से खून बहने लगा ।
चोट तो उस आदमी को भी लगी थी पर उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा ।
वो बाहर आया और उसने आशी को ड्राइविंग सीट पर बैठा दिया । फिर उसने आशी का फोन तोड़ कर पीछे वाली सीट पर फेंक दिया ।
आदमी ने कार में गाना चला दिया ।
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबो मे आऊं
तेरी पलकों के साये
में आकर झिलमिलाऊं
मैं वो खुशबू नहीं जो
हवा में खो जाऊं
ऊं ऊं ऊं
हवा भी चल रही है
मगर तू ही नहीं है
फिजा रंगीन वहीं है
कहानी कह रही है
कभी यादों में आऊं
कभी ख्वाबों में आऊं
वो आदमी अपनी पेंट की जेब में हाथ डाल वहां से निकल गया ।
ये गाना उस आदमी के कानों में गूंज रहा था । जो उसे ओर ज्यादा उत्तेजित कर रहा था । गुस्से से उस आदमी की आंखें लाल हो गई थी ।
एक ओर कत्ल हो चुका था । एक ओर जान जा चुकी थी लेकिन कातिल एक बार फिर बिना किसी को पता चले अपना काम कर चुका था ।
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पुलिस स्टेशन
मुंबई
एसिपि एक फाइल रीड कर रहा था कि तभी हार्दिक हड़बड़ाते हुए उसके पास आया । एसिपि ने नजर उठा कर उसे देखा ।
हार्दिक ने उसे सेल्युट किया और अपनी हड़बड़ाहट का कारण बताया । हार्दिक कि बात सुन एसीपी गुस्से से खड़ा हो गया ।
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क्राईम सीन
पुलिस और फॉरेंसिक डिपार्टमेंट वाले लोग आ गए थे । और अपना काम चालू कर चुके थे । मिडिया भी आ गई थी ।
एसिपि सब कुछ देख रहा था । एक बार फिर बिल्कुल उसी तरीके से ऐक्सिडेंट हुआ था जैसे बाकि एक्सिडेंट थे । एसिपि ने कार का दरवाजा खोला तो अंदर मशहूर अक्टरेस आशी सिंह बेहोश पड़ी थी । हां ! वो अभी जिंदा थी । एसीपी ने आशी को बाहर निकाला और अपने टीम मेट्स को एम्बुलैंस बुलाने को कहा ।
एसिपि हर तरफ अपनी पेनी निगाहों से देख रहा था । ये भी एक आम एक्सिडेंट ही लग रहा था । पर कुछ तो अलग था जो सही नहीं था । तभी एसिपि के कानों में एक गाने के बोल सुनाई दिए ।
उसने गाने कि तरफ ध्यान दिया तो ये वही गाना था जो हर एक्सिडेंट के दौरान कार में बजता रहता था । एसिपि इरिटेट हो गया । ये हर बार का था ! ये गाना हर बार हर हादसे में बजता था ।
और गाना कौन सा था ! " कभी यादों में आओ ! "
एसिपि गाना सुन गुस्सा भी आ रहा था और एक दर्द भी महसूस हो रहा था !! जो वो किसी को नहीं बता सकता था ।
तभी उसकी नज़र आशी पर पड़ी ! उसका चेहरा देख एसिपि अपनी टीम पर ज़ोर से चिल्लाया !!
" एम्बुलैंस कहा है !!! "
एसिपि अब ओर इंतजार ना कर खुद ही आशी को हॉस्पिटल ले जाता है ।
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एप्सन हॉस्पिटल ( काल्पनिक )
मुंबई
ऑपरेशन थिएटर से डॉक्टर बाहर आती है और आशी के कोमा में चले जाने कि बात करती है । आशी का बच्चा मर चुका था तो उसे बाहर निकाला गया । साथ ही आशी के युटेरस को भी !! जिसका मतलब था कि अब वो कभी मां नहीं बन सकती थी ।
जब एसीपी ने सुना तो उसे आशी के लिए बुरा लगा और उसे कातिल और खुद पर बहुत कोप उठने लगा ।
तभी हार्दिक एसीपी के पास आकर उसके कान में कुछ बोलता है । जिसे सुन एसीपी कि तॉरीयां चढ़ जाती हैं । वो आशी के रूम के बाहर सिक्योरिटी करवा हॉस्पिटल से हार्दिक के साथ निकल जाता है ।
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नंदिता स्टुडियो
( काल्पनिक )
मुंबई
एसीपी और इंस्पेक्टर हार्दिक शर्मा दोनों नंदिता स्टुडियो मे दाखिल होते हैं । सामने का नज़ारा देख जहां हार्दिक बाहर जाकर उल्टी करने लगता है वहीं एसीपी मुंह पर हाथ रख अपनी आंखें बंद कर लेता है । वो खुद को संयत करने कि कोशिश कर रहा था !!
हार्दिक अंदर आता है । उसने फॉरेंसिक जांच वालों को कॉल कर दिया था ।
सामने हर तरफ खून फैला था । सब लोगों कि आंखे फटी की फटी थी !! और उनमें खोफ था ! मौत का !!
और यहां पर रखे मुयजिक सिस्टम पर बज रहा था वहीं गाना जो कार में बज रहा था ।
कभी यादों में आओ !
जारी है !
इस भाग में बस इतना ही । जुड़े रहे मेरी इस कहानी से कभी यादों में आओ ❤️ मुक्ति!