** कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति ) ***
अब तक आपने पढ़ा कि। हार्दिक समान लेने गया था और वापस आते वक्त कोई उसका पीछा कर रहा था ..।। उस इंसान से लड़ते वक्त हार्दिक घायल हो जाता है साथ ही वो अजनबी भी !!! हार्दिक बेहोश हो जाता है तभी एक इंसान आता है और वो अजनबी को मार हार्दिक को अपने साथ ले जाता है । अगले दिन ऐसिपि सबको कॉल कर सनसाईन कैफे में बुलाता है और वहां से शुरू होती है अभ्युदय दायमा कि कहानी जिसमें अभ्युदय अपनी पत्नी अनामिका को मारता है और जब एसिपि कि पत्नी वंदिता और आशी उसे रोकती है तब अनामिका उन्हें कमरे से बाहर भेज देती है ...! इसके बाद अभ्युदय और अनामिका कुछ ' पल ' साथ बिताते हैं जो अनामिका कि मर्जी से नहीं थे ...! अगले दिन अनामिका से किचन में तीनों औरतें बात करने आती है लेकिन तभी अनामिका को अपने निचले हिस्से में तेज दर्द होता है और फर्श और अनामिका कि ड्रेस खून से भर जाती है ...!
अब आगे ....
-----------------
हॉस्पिटल के एक कमरे के बाहर अभिक , वंदिता, एसिपि और उसकी पत्नी , आशी और अभ्युदय खड़े थे ।
सभी के चेहरों पर परेशानी के भाव थे ! उन सभी को कुछ कुछ अंदाजा हो गया था कि अनामिका के साथ आखिर हुआ क्या था !!!
कमरे का दरवाजा खुलता है और डॉ बाहर आती है । वो अभ्युदय को देख बोली " सॉरी मिस्टर दायमा बट अनामिका का मिसकैरेज हो गया है ...! "
अभ्युदय हैरान हो जाता है फिर अगले ही पल गुस्से से डॉ को देख बोला " मिसकैरेज कैसे हो सकता है ...! वो तो बिल्कुल फिट है । "
डॉ " सॉरी टु से मिस्टर दायमा बट चेकअप के बाद हमें पता चला है कि शायद कुछ वक्त पहले अनामिका सेक्सुअली एक्टिव हुई है ...! "
ये सुनकर सभी लड़के हैरान हो जाते हैं वहीं लड़कियों के चेहरों पर घृणा के भाव आ जाते हैं क्यों वो तो सुबह ही अनामिका को देख कर सब समझ गई थी ।
लड़के अभ्युदय कि तरफ देखते हैं उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था ।
डॉ कि बात सुन अभ्युदय हाइपर हो जाता है ..!
वो डॉ कि तरफ बढ़ने लगा लेकिन वो डॉक्टर को कुछ करता कि अभिक और एसिपि बीच में आ जाते हैं ।
अभ्युदय " हटो तुम दोनों ... आज मै इस डॉक्टर कि जान ले लुंगा..! इसकी हिम्मत भी कैसे हुई इस तरह कि बात करने कि । "
अभिक " डॉक्टर वहीं कह रही है जो उन्हे चेक अप करने पर पता चला है । और अब तू बता कि ये सब चल क्या रहा है ....! "
अभ्युदय गुस्से से धधकते हुए बोला " मुझ से क्या पुछ रहा है जाकर उस से पुछ जो मेरा बच्चा मारकर खुद आराम से अंदर लेटी हुई है ...! गई होगी वो औरत किसी के करीब ...! "
अभ्युदय ने इतना ही कहा था कि एक जोरदार थप्पड़ उसके गालों पर पड़ा !
ये थप्पड़ एसिपि कि पत्नी ने मारा था । वो गुस्से से हाफ रही थी ...!
थप्पड़ खाकर अभ्युदय पागल सा हो गया । वो एसिपि कि पत्नी को देखा और गरजते हुए बोला " तेरी इतनी हिम्मत कि तू मुझपर हाथ उठाएं। तू दो टके की औरत ... "
अभ्युदय आगे कुछ कहता कि उसे एक ओर थप्पड़ पड़ा और ये थप्पड़ मारा था अनामिका ने ...!
वो बाहर के शोर के कारण उठकर आ गई थी । उसने अभ्युदय कि सारी बातें सुनी थी उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे अभ्युदय के मुंह से अपने लिए ऐसी बातें सुनकर लेकिन जब उसने अपनी दोस्त के बारे में ग़लत सुना तो वो गुस्से से भर उठी और उसने जिंदगी में पहली बार अभ्युदय पर हाथ उठाया ...!
काश वो ऐसा पहले करती तो आज उसका बच्चा जिंदा होता ।
डॉ तो पहले ही जा चुकी थी और हॉस्पिटल का वो फ्लोर जिसमें अनामिका थी वो तो पुरा खाली करा दिया गया था । इसलिए किसी को भी इस कारनामे के बारे में नहीं पता था ।
अनामिका " तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी दोस्त के बारे में ये सब कहने कि ...! तुम में जरा भी तमीज है अभ्युदय । "
अभ्युदय ने अनामिका को देखा फिर अपने उस गाल पर हाथ फेरा जिस पर अनामिका ने अभी अभी थप्पड़ मारा था ... ! कोई कुछ समझता इस से पहले उसका हाथ घुम गया लेकिन वो हाथ अनामिका तक पहुंच नहीं पाया क्योंकि उसका हाथ बीच में ही एसिपि ने पकड़ लिया था ।
एसिपि " सोचना भी मत अभ्युदय .... अपनी हद में रहो । ये कोई तरीका नहीं है अनामिका से पेश आने का...! "
अभ्युदय झटके से अपना हाथ छुड़ाता है । वो एसिपि को अपनी छोटी आंखें और छोटी करके बोला " और जो इसने मुझे थप्पड़ मारा वो नहीं दिखा तुझे ... ये कैसे मेरे से पेश आई उस पर तो ध्यान नहीं दिया तुमने ...! "
" तू ने मेरी बीवी के साथ बदतमीजी करी उसके लिए मारा उसने और इस बात पर पिटता तो तू मेरे हाथों भी ..! "
" किसी को भी मेरी बीवी के साथ दुर व्यवहार करने का हक नहीं है । "
अभ्युदय " साला पेटी कोट छाप ...!!!! बीवी के आगे पीछे घुमता रहता है नौकर बने ... । "
तभी अभिक कि तेज आवाज आई " तमीज से बात कर साले...! "
सब हैरानी से अभिक को देखने लगे क्योंकि अभिक कभी कोई गाली नहीं देता था ना ही गुस्सा करता था , पर आज उसने ऐसा किया है तो मतलब है बात हद से आगे बढ़ चुकी है ।
अभिक ने गुस्से के साथ अभ्युदय से कहा " जबसे तेरी बकवास सुने जा रहे हैं कुछ कह नहीं रहे तो अपनी हद ही भूल गया ! पहले अनामिका के बारे में ग़लत सलत बोल रहा था फिर भाभी से बदतमीजी उसके बात इसको ( एसिपि ) उल्टा सीधा बोले जा रहा है । "
" तुझे पता भी है कि तू क्या बोले जा रहा है ...! "
अभ्युदय अपनी आवाज तेज करते हुए बोला " पता है मुझे कि मैं क्या बोल रहा हूं और इस औरत ( अनामिका ) कि हिम्मत तो देखो मुझ पर हाथ उठा रही है...! "
" एक तो इसने मेरा बच्चा मार दिया और अब ऐसे तन कर खड़ी है । "
तभी अनामिका तेज से चिल्लाते हुए बोली " मेरा भी बच्चा था वो ...!!!!! "
" मैंने तीन महीने उसे अपने पेट में रखा । इन तीन महीनों में मैं जूडी उस से ...! तुमने क्या किया ...! "
" और जो तुमने मुझ पर मेरे ही बच्चे का मारने का इल्ज़ाम लगाया है ... ये बताओ क्या सोचकर लगाया ...! अरे मेरे बच्चे के मरने का कारण तो तुम हो । तुम्हारे कारण मरा मेरा बच्चा ... तुम्हारे कारण !!! "
अनामिका का बात सून सब हैरान हो जाते हैं । वंदिता उसे संभालती है क्योंकि अनामिका बिलख बिलख कर रोने लगी थी ।
अनामिका रोते हुए " ये इंसान मेरे चरीत्र पर लांछन लगा रहा है ...! मै..ने मेरे बच्चे को मा..रा...! "
" सच तो ये है कि मेरे बच्चे के मरने में इस जानवर का हाथ है । अभ्युदय याद करो कल कि रात जब तुमने मुझ पर हाथ उठाया था ...! "
दोनों लड़कों कि आंखे हैरानी और गुस्से से भर जाती है । तीनों लड़कियां तो जानती थी ये ...!
अभिक अनामिका के पास आकर बोला " अभ्युदय ने तुम पर हाथ उठाया ... तुमने कुछ बताया क्यो नही !! ,,,,,,अपने भाई से कहकर तो देखती ... "
अनामिका रोते हुए " क्या बताती भाई ... मुझे खुद नहीं लगा था ये इंसान , जिस से मैंने प्यार किया वो अंदर से जानवर होगा...! "
" डॉ ने बताया कि मेरा मिसकैरेज सेक्सुअली एक्टिव होने के कारण हुआ । मैं एक्टिव इस इंसान कि वजह से हुई ...! मना किया था मैंने पर ये नहीं माना ...! "
तभी अचानक वो अभ्युदय का कोलर पकड़ लेती है और उसकी आंखों में देखते हुए बोली " तीसरा महीना ही हुआ है अभी ... ये ही कहा था ना तुमने । मेरे मना करने के बात भी तुम नहीं माने ... आये दिन तुम मुझे मारते , नोचते , खसोटते ..! सिर्फ अपनी जरूरतों को पुरा करने के लिए ...!!!! "
" और अब मुझे पर ही ऐसा घिनौना इल्ज़ाम लगा रहे हो । शर्म नहीं आती तुम्हे ...! कैसे इंसान हो तुम । अरे तुम्हारी बीबी हुं मैं लेकिन जानवरों से भी बत्तर शायद कोई जानवर के साथ भी इस तरह का व्यवहार नहीं करता होगा जैसा तुमने मेरे साथ किया । "
तभी ये हो गया...! अनामिका नीचे जा गिरी उसके गाल पर उंगलियों के निशान छप गए थे । अभ्युदय का हाथ घुम चुका था और इस बार कोई उसे रोक नहीं पाया ।
अभ्युदय दांत पिसते हुए बोला " तेरी कुछ ज्यादा ही ज़बान खुल गई है । लगता है ठिक करना पड़ेगा तुझे ...! किस जबर्दस्ती कि बात कर रही है तू ... अरे पति हूं मैं तेरा ...! तुझ पर हर तरह से हक है मेरा । "
अनामिका चीखते हुए " ठीक करना है ... करो ठीक ... मारने के अलावा तुम कर ही क्या सकते हो । अपनी मर्दानगी इस तरह मुझे दिखाते हो । एक औरत जो मां बनने वाली हैं उसे पीट कर , उसके साथ जबरदस्ती करके ही तो तुम्हारी मर्दानगी साबित होती है ना ..! असल में ना अभ्युदय तुम नामर्द हो ... तुम मर्द ही नहीं हो ..."
तभी एक बार फिर ,
तडाक !!!!
सभी सन्न रह जाते हैं ।
अभ्युदय बिफरते हुए बोला " तु मेरी मर्दानगी पर सवाल उठा रही है ..! रोज रात को जो मजा देता हूं तब तो नहीं कहती कुछ...अब बड़ी ज़बान खुल रही हैं तेरी ... ! "
तभी अभ्युदय को कोई घुमाता है और एक जोरदार तमाचा एक बार फिर अभ्युदय को अपने गालों पर महसूस करना पडता है ।
ये थप्पड़ मारा था ऐसिपि कि पत्नी ने...!
वो गुस्से से बोली " तुम खुद को मर्द कहते हो ... मर्द क्या होता है पता भी है तुम्हे ...! एक आदमी वो होता है जो अपने साथ साथ अपनी पत्नी के मान का भी ध्यान रखें ..! जिसके मन में दया भाव वा प्रेम हो ,,,,, जो सबका सम्मान करें । ना की अपनी मर्दानगी झाड़ने के लिए अपनी पत्नी कि जिंदगी नर्क बना दे ...! "
" तुम हो कौन अभ्युदय ?? पहले तो ऐसे नहीं थे । अनामिका और तुम्हारी शादी से पहले तो सब सही था । फिर क्या हो गया ? तुम दोनों के प्यार और आपसी ताल मेल वा सम्मान की तो सब तारीफ करते थे ...! फिर ये सब ,,,,। "
अभ्युदय जो अपना गाल मसल रहा था उसने एक भद्दी सी गाली दी और एसिपि कि पत्नी की तरफ गुस्से से बड़ा लेकिन वो उसके पास पहुंच पाता कि बीच में एसिपि आ गया ।
एसिपि ने कड़क आवाज में कहा " पीछे अभ्युदय दायमा ...! तुम पहले ही बहुत बदतमीजी कर चूके हो और अनामिका के साथ मारपीट और उसे हैरास करने के जुर्म में मैं तुम्है अरेस्ट करता हूं ...! "
" साले अब तू जेल में अपना जोर आजमाना ... ! "
अभ्युदय हैरान हो जाता है । वो एसिपि से बोला " तू इन औरतों के लिए मुझे ...अपने दोस्त को जेल भेजेगा ..! "
एसिपि " तुने जो काम किया है ना उसके बात तो तूझे अपना दोस्त कहने में भी मुझे शर्म आ रही है ...! दिल तो करता है अभी जान से मार डालू तुझे ,,,!!!! "
अभ्युदय " अभिक तू कुछ बोल इसे । ये पागल हो गया है,,,,,,, !! मुझे अरेस्ट कर रहा हे । "
अभिक " ले कर जा इसे और इतनी धाराएं लगाना कि सारी जिंदगी जेल में कांटे ...! "
अभिक कि बात सुन अभ्युदय गुस्से से उसे देखता है फिर उसकी बगल में खड़ी वंदिता को जिसका हाथ अभिक के कंधे पर था ।
अभ्युदय ने अनामिका कि तरफ देखा तो अनामिका जिसकी आंखों में आसूं ओर अभ्युदय के लिए हद से ज्यादा नफरत थी वो उसे देख रही थी और सवाल कर रही थी कि " क्यूं किए मेरे साथ ऐसा ।।। मुझ से तो प्यार करते थे न तुम तो क्यों किया मेरे साथ ऐसा !!!! "
अभ्युदय उसकी आंखों में देखता है और उसे अपने अंदर कुछ टुटता सा महसूस होता है ।
" अनामिका ...! "
अनामिका मुंह फेर लेती है । अभ्युदय को झटका लगता है कि अनामिका ने उस से मुंह फेर लिया ।
फिर वो आशी को पुकारता है " आशी... तू अपने भाई कि मदद नहीं करेंगी । "
आशी नफरत से उसे देखते हुए बोली " मुझे तो शर्म आती है आपको अपना भाई कहने मैं ...! अनु दी के साथ ऐसा बर्ताव किया आपने । इतने निष्ठुर हो गए और अब भी अपनी गलती मानने के बजाए आप अनु दी पर ही चिल्ला रहे हैं । शर्म आनी चाहिए आपको अपने आप पर...! "
" हमसे कोई उम्मीद मत रखना कि हम आपको बचा लेंगे...! "
आशी कि बात सून अभ्युदय को एक बार फिर झटका लगा । उसने सोचा नहीं था कि उसकी बहन उस से इतनी नफ़रत से बात करेंगी ।
तभी वहां कुछ लोग आ गए और वो अभ्युदय को पकड़ कर ले जाने लगे । अभ्युदय खुद को छुडाने कि कोशिश करने लगा। अभ्युदय को पकड़ने वाले पुलिस अधिकारी थे । जिनमें इंस्पेक्टर हार्दिक शर्मा , एक ओर इंस्पेक्टर,
और दो हवलदार शामिल थे । ये सभी एसिपि कि टीम थी ।
एसिपि ने इन्हें बुला लिया था और हार्दिक ने सब कुछ रीकॉर्ड कर लिया था ।
अभ्युदय चिल्लाते हुए बोला " छोडुंगा नहीं मैं तुम सबको ...! याद रखना मेरी बात । ज्यादा समय तक जेल में नहीं रख पाओगे मुझे तुम सभी ।।। "
" इतंजार करना मेरा अनामिका... मैं वापस आऊंगा !!! इतंजार करना !!!,,,,,,, "
अभ्युदय को लेकर हार्दिक चला जाता है और उसके पीछे एसिपि भी ।
अभिक सबको लेकर कश्यप मैंशन आता है । उसने सोचा भी नहीं था कि उसका जिगरी यार भेड़ के भेस में भेड़िया होगा ।
सब अपने कमरों में चले जाते हैं । रात होने को आई थी लेकिन अब तक एसिपि नहीं लोटा था । सबको उसकी चिंता होने लगी थी ।
एसिपि कि पत्नी अभिक के पास जाकर बोली " अभिक तुमने उन्हें बताया तो है ना कि हम तुम्हारे घर में है ?? "
अभिक " हां भाभी मैंने उसे कबका बता दिया था पता नहीं कहां रह गया है वो !!! "
तभी दरवाजा खुलता है और एसिपि अंदर आता है । एसिपि कि हालत कुछ ठीक नहीं थी । उसके हाथ पर पट्टी बंधी थी और माथे और गले पर खरोंचों के निशान थे ।
एसिपि कि पत्नी एकदम से उसके पास गई वो हर जगह छू छू कर एसिपि को देख रही थी । उसकी आंखें आंसूओं से भर गई थी ।
" ये क्या हो गया आप को ??? "
एसिपि अपनी पत्नी के आंसू पोछता है और उसका सर सहला देता है पर वो कुछ कहता नहीं ।
आशी एसिपि के पास आकर बोली " भाई आप को लगी कैसे ? "
एसिपि कुछ नहीं कहता । वो अभिक को देखता है और उसे कुछ इशारा करता है । अभिक समझ जाता है इसलिए वो अपनी गर्दन हां में हिला कर अपने स्टडी कि तरफ चला जाता है ।
एसिपि भी जाने लगता है लेकिन उसके सामने तीनों लड़कियां आकर खड़ी हो जाती है और एक साथ कई सारे सवाल कर देती है । जैसे - आप को चोट कैसे लगी ? देर से क्यों आए ? फोन बंद किसलिए था ?
एसिपि सबका जवाब देते हुए बोला " मैं ठीक हूं ! और देर इसलिए लगी क्योंकि एक नया केस आ गया था । रही बात चोट लगने कि तो छोटा सा एक्सिडेंट हो गया था मेरा ,,,,,,!। "
आगे कोई कुछ कहता उस से पहले ही एसिपि स्टडी में चला जाता है ।
अभिक एक चेयर पर बैठा था । उसके सामने एसिपि आकर बैठ जाता है ।
( मैं स्टडी रूम कि ज्यादा डीटेल नहीं दे सकती क्योंकि मुझे स्टडी नाम से ही नफरत है । )
एसिपि " रास्ते में अभ्युदय बेकाबू हो गया था । उसने हवलदार कि गन निकाल हमला कर दिया । हाथ में पट्टी इसी कारण बंधी है । "
" वो भाग रहा था मैं भी उसके पीछे भागा । पर मैंने एक गलती कर दी ! मैने ये ध्यान दिया कि वो अपने साथ गन लेकर भागा है । उसने अचानक से पीछे मुडकर मुझ पर गोली चला दी ! मैं बिल्कुल तैयार नहीं था पर वक्त पर वहां हार्दिक आ गया था हमारे पीछे और उसने मुझे अपनी तरफ खींच गोली लगने से बचा लिया । "
" अभ्युदय पागल सा हो गया था । हम सब ने जबरदस्ती उसे पकड़ा और ले गए । लौक अप में भी चीख रह था चिल्ला रहा था तो उसे बेहोशी का इंजेक्शन दे दिया । "
अभिक परेशानी से अपना सर पकड़कर झुका लेता है । उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसका अभि कब ऐसा हो गया ।
ऐसिपि के दिमाग में भी यही चल रहा था ।
सब अपने अपने ख्यालो में खोए थे कि तभी उन्हें एक नौकर के चिल्लाने कि आवाज़ आई !!
सब निचे गए तो पता चला नौकर घर के बाहर खड़ा गला फाड़कर चिल्ला रहा था ।
सब आवाज कि दिशा में गए तो सन्न रह गए ! क्योंकि अनामिका नीचे गिरी हुई थी उसके सर, हाथ, पैर , हर जगह से खून बह रहा था । हड़बड़ी में उसे अस्पताल ले जाया गया ।
डॉ ने अनामिका को देखते ही मृत घोषित कर दिया ।
अभिक अब चुप हो चुका था । उसकी आंखें आंसुओं से भरी थी । सक्षम और सानवी बड़े गौर से अभिक को सुन रहे थे उनकी आंखों के कोर भी भींगे हुए थे । दोनों में से किसी कि भी आवाज तक नहीं निकल रही थी ।
वहीं एसिपि बिल्कुल स्थिर था भले ही वो कुछ बोल नहीं रहा था और ना ही उसके आंसू निकल रहे थे पर उसके चेहरे पर दर्द साफ़ साफ़ देखा जा सकता था ।
अभिक और एसिपि ने एक दूसरे कि तरफ देखा फिर नजरें चुरा ली ।
सनसाईन कैफे ( काल्पनिक ) कि एक टेबल पर चार लोग बैठे थे पर फिर भी उस टेबल पर सन्नाटा पसरा हुआ था । कोई कुछ नहीं कह रहा था ।
" क्या अभ्युदय को अनामिका कि मौत के बारे में पता है ? " सानवी ने काफी देर की चुप्पी तोडते हुए कहा ।
इस बार अभिक कि जगह एसिपि ने जवाब दिया ।
" अनामिका ने आत्म हत्या कर लि थी !! सबकुछ उसके बर्दाश्त करने के बाहर हो गया था और उसने उस समय मेरी और अभिक कि बातें भी सुन ली थी । इसलिए उसने ......( थोड़ा रुक कर ) हमने अभ्युदय को ये बात बताई तो वो लगभग पागल सा हो गया । वो इतना हिंसक हो गया कि हमें उसे बांधना पड़ा बाद में उसे मेंटल आस्लयम भेज दिया । "
" इसके बाद अभ्युदय से कभी मुलाकात नहीं हुई ! "
" तीन साल बाद अब इस केस के जरिए अभ्युदय का पता चला है । और इन फोटोज के हिसाब से तो शहर में हो रही प्रेग्नेंट विमन कि हत्या ये ही कर रहा है ...! "
इतना बोलकर एसिपि चुप हो जाता है ।
अब वहां एक बार फिर चुप्पी छा जाती है । थोड़ी देर बाद अभिक खड़ा होता है जाने के लिए। उसके साथ बाकि सब भी खड़े हो जाते हैं ।
सब निकल जाते हैं अपने घर कि ओर लेकिन वो चारों नहीं जानते थे कि उनके पीछे कि टेबल पर वाईट हुड्डी पहना आदमी उनकी सारी बातें सुन रहा था । उस इंसान ने सफेद मास्क से अपना चेहरा ढक रखा था । उसके हाथ तक ढके थे बस आंखें दिख रही थी गहरी काली आंखें ...!
वो काली आंखें इस समय गुस्से से लाल हुए जा रही थी ।
उसने सोचा " मेरा सुकून छीन तुम कैसे सुख से रह सकते हो ...! मुझे कैद कर खुद आजाद कैसे हो सकते हो ...! "
" मुझे जानकर भी क्या कर लोगे , तुम से तुम्हारी खुशी तो कबका दूर कर चुका हूं । मेरी चीखों में तुम्हारी सिसकियां भी मिला चुका हूं ! अपनी यादों को तुम्हारी यादें भी बना चुका हूं । "
" जिस दर्द से मैं गुजर रहा हूं उससे तुम्हें भी गुजरने के लिए मजबूर कर चुका हूं ...! "
उस आदमी कि आंखे मुस्कुरा दी ..! उसने अपने कानों में ईयर फ़ोन लगाया और चला दिया वहीं गाना " कभी यादों में आऊं "
वो कैफे से बाहर पैदल ही निकल पड़ा । रात हो चुकी थी और वो अकेले अंधेरी सड़क पर चला जा रहा था ।
गाने के बोल उसके दिल में उतर रहे थे ।
जो तुम ना मिलती
खोता ही क्या ढूंड लाने को
जो तुम ना मिलती
खोता ही क्या ढूंड लाने को
जो तुम ना होती
होता ही क्या हार जाने को
मेरी अमानत थी तुम
मेरी अमानत थी तुम
मेरी मोहब्बत हो तुम
तुम्हे कैसे मैं भुलाऊं
ऊं ऊं ऊं ऊं
कभी यादों में आऊं
कभी ख़्वाबों में आऊं
तेरी पलकों के साये
में आकर झिलमिलाऊं
तडप रहे हो जमाने से मुसकुराने को
तडप रहे हो जमाने से मुसकुराने को
तरस रहे हो जमाने से पास आने को
तेरी धड़कनो में बस कर
तेरी धड़कनो में बस कर
तेरी साँसों में रह रह कर
तुम्हे हर पल सताऊं
ऊं ऊं ऊं ऊं
* कभी यादों में आओ ❤️ ( मुक्ति ) *
जारी है !
पार्ट तीन हजार शब्दों से ऊपर का है इसलिए
बस एक रिक्वेस्ट है रेटिंग्स और कमेंट भी दे दिया करें ताकी मुझे ये पता चल सके कि कहानी आप लोगों को पसंद भी आ रही है या नहीं !