तुम्हारे सिवा कुछ नहीं
कुछ देर बाद कार एक बड़ी सी बिल्डिंग के सामने आकर रुकी।
अभिमान ने अब भी सोई हुई आन्या को गोद में उठाया और लिफ्ट से होते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ा।
रास्ते में ही, नींद में ही, आन्या बुदबुदाई—
“...मान…”
अभिमान ने मुस्कुराकर उसका माथा चूमा,
“हाँ, बोलो… मैं यहीं हूँ।”
आन्या ने धीरे-धीरे आँखें खोलीं, और उसे नज़रों के सामने पाकर फुसफुसाई,
“आपने खाना खाया?”
अभिमान ने सिर हिला कर ‘ना’ में जवाब दिया।
आन्या ने उसे घूरते हुए कहा,
“नीचे उतारिए।”
अभिमान ने बिना कुछ कहे उसे धीरे से नीचे उतारा।
आन्या बोली,
“क्या खाएंगे?”
अभिमान ने शरारत से उसकी ओर झुकते हुए उसके गाल पर किस किया और बोला,
“तुम्हें…”
आन्या का चेहरा लाल हो गया।
अभिमान ने उसके सिर पर हाथ रखकर हल्के से थपथपाया,
“तुम्हें जो बनाना आता है, वही बना लो।”
आन्या जाने लगी, तभी अभिमान ने उसे अपनी बाँहों में खींच लिया।
आन्या ने उसकी ओर देखा, कुछ कहने ही वाली थी कि अभिमान बोला,
“कपड़े बदल लो…”
आन्या मुस्कुराकर बोली,
“हम्म…”
वो कमरे की ओर चली गई।
कमरे में उसकी और अभिमान की एक बड़ी सी तस्वीर लगी थी—जिसमें अभिमान कुर्सी पर बैठा था और आन्या उसकी गोद में।
वो तस्वीर देखकर उसके होठों पर हौले से मुस्कान आ गई।
अभी वो देख ही रही थी कि पीछे से अभिमान ने उसे हग कर लिया।
“बहुत खूबसूरत है,” आन्या बोली।
अभिमान ने प्यार से कहा,
“जाकर फ्रेश हो लो, कपड़े अलमारी में मिल जाएंगे।”
आन्या ने सिर हिलाया और फ्रेश होने चली गई।
अभिमान वहीं खड़ा होकर तस्वीर को देखने लगा…
वो तस्वीर उसी दिन की थी जब पहली बार उसने आन्या को अपने कैबिन में गोद में लेकर बैठाया था।
कुछ ही देर में आन्या बाहर आई—उसने एक सादी-सी फ्रॉक पहन रखी थी, बालों का जूड़ा बनाया हुआ था।
अभिमान उसे देखता ही रह गया…
"यहाँ आओ," उसने कहा।
आन्या उसके पास आई।
अभिमान ने उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर उसकी आँखों में देखा और धीरे से बोला,
“सॉरी…”
आन्या मुस्कुराई और बोली,
“आपने कुछ गलत नहीं किया है…”
अभिमान ने उसके गालों को चूम लिया।
आन्या मुस्कुराते हुए किचन की ओर चली गई।
कुछ देर बाद दोनों साथ में खाना खा रहे थे।
दाल, चावल, भिंडी और रोटियाँ।
आन्या अपने हाथों से उसे खिला रही थी।
अभिमान हँसकर बोला,
“इतना प्यार…”
आन्या ने मुँह बना लिया।
अभिमान ने उसे अपनी गोद में उठा लिया।
तभी उसका फोन बजा।
उसने कॉल उठाया—दूसरी ओर से परेशान-सी आवाज आई,
“कहाँ हो तुम?”
सरस्वती जी थीं।
अभिमान ने गोद में बैठी आन्या को देखा, जो उसकी तरफ ही देख रही थी।
फिर मुस्कुराकर बोला,
“माँ… मैं अपने रूम में हूँ।”
सरस्वती जी ने उसकी आवाज़ में सुकून महसूस किया और राहत की सांस लेते हुए बोलीं,
“ठीक है… सुबह जल्दी घर आ जाना।”
अभिमान ने प्यार से आन्या को सीने से लगाते हुए कहा,
“माँ, मैं शाम तक आ जाऊँगा। आप फिक्र मत कीजिए।”
फिर उसने कॉल काट दिया।
इसके बाद अभिमान ने आन्या को फिर से अपनी गोद में उठाया और बेडरूम की ओर चला गया।
उसे बेड पर लिटाकर बोला,
“अनू…”
आन्या ने उसकी ओर देखा।
अभिमान थोड़ा झिझकते हुए बोला,
“वो… अक्चुअली… मुझे बिना शर्ट के सोने की आदत है…”
आगे क्या होगा कहानी में जानने के लिए पढ़ते रहिए एज डंज्नट मैटर ईन लव।
यार आप सब बस पढ़ते ही जा रहै हो दो मिनट रूक कर रिव्यू तो दिजिए यार।।
ओके बाय आगे के चापकर आते रहेंगे पढ़ते रहिए