कहानी शीर्षक: 💫 "खुदा का वास्ता था उसमें"
(एक अधूरी उम्र की मुकम्मल मोहब्बत)
लेखिका: InkImagination
प्रस्तावना
"मोहब्बत का कोई वक्त नहीं होता, बस दिल लग जाता है...और कुछ लोग ऐसे मिलते हैं, जैसे रब ने खुद भेजा हो किसी एक इंसान की दुआ पूरी करने।"यह कहानी लखनऊ की पुरानी गलियों में शुरू होती है, जहाँ 17 साल की अनाया और 28 साल के शेज़ान खान के बीच एक बेमिसाल मोहब्बत पनपती है। यह एक ऐसी प्रेम कहानी है, जो उम्र, समाज, और परिवार की दीवारों को तोड़ती है, और दिल की गहराइयों से निकलती है। रोमांस, भावनाएँ, और आत्मीयता से भरी यह कहानी हर पाठक को अपने साथ जोड़ेगी।
अध्याय 1: बारिश की मुलाकातलखनऊ की पुरानी गलियाँ उस दिन बारिश से भीगी हुई थीं। आकाश से ठंडी बूंदें जमीन पर गिर रही थीं, और हवा में मिट्टी की सोंधी खुशबू तैर रही थी। अनाया, 17 साल की, अपने स्कूल बैग को सिर पर लिए तेज़ कदमों से घर की ओर लौट रही थी। वह एक साधारण लड़की थी—लंबे काले बाल, बड़ी-बड़ी आँखें, और चेहरे पर एक मासूमियत जो उसे खास बनाती थी। उसके अब्बू सिलाई का काम करते थे, और छोटा भाई स्कूल जाता था। चार साल पहले उसकी अम्मी का इंतकाल हो गया था, जिसके बाद अनाया घर की जिम्मेदारियाँ संभालने लगी थी।उसी वक्त, उसका पैर फिसला, और वह सड़क किनारे गिर पड़ी। उसकी साड़ी गीली हो गई, और बैग सड़क पर बिखर गया। आँसुओं और बारिश के बीच वह उठने की कोशिश कर रही थी, जब एक काली BMW धीरे से उसके पास रुकी। कार का दरवाज़ा खुला, और बाहर निकला शेज़ान खान—28 साल का, लंबा कद, काले सूट में, और आँखों में एक गहरी चमक लिए। लखनऊ का बड़ा बिजनेसमैन, जिसका नाम सम्मान और डर दोनों के साथ लिया जाता था।उसने अनाया की ओर देखा, और बिना देर किए उसकी मदद की। उसने उसका बैग उठाया, उसे सहारा दिया, और अपनी जैकेट से उसे ढक दिया। “ठीक हो?” उसकी गहरी आवाज़ ने अनाया को चौंका दिया। वह सिर हिलाते हुए बोली, “जी, थैंक्यू…” शेज़ान ने मुस्कुराया और कहा, “घर तक छोड़ दूँ?” अनाया ने हिचकते हुए हामी भरी, और उस रात से एक अनजानी सी कड़ी जुड़ गई।
अध्याय 2: दिल की अनकही बातेंअगले कुछ दिनों में शेज़ान की काली BMW उस गली से रोज़ गुजरने लगी। अनाया खिड़की से या दरवाज़े से उसे देखती—उसकी आँखों में एक जिज्ञासा थी, लेकिन वह बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। शेज़ान भी चुप रहता, लेकिन उसकी नजरें अनाया को ढूंढती थीं। उसकी मासूमियत, उसकी सादगी, और उसकी आँखों में छिपी तन्हाई ने उसे कहीं न कहीं बाँध लिया था।एक दिन, बारिश फिर शुरू हुई, और शेज़ान ने अनाया को गली में खड़े देखा। उसने कार रोकी और उसे अंदर बिठाया। सन्नाटे को तोड़ते हुए अनाया ने पूछा, “आप रोज़ मेरी गली से क्यों गुजरते हैं?” उसकी आवाज़ में शर्म और उत्सुकता थी।शेज़ान ने उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में एक कोमल मुस्कान थी। “कभी-कभी कुछ रास्ते हमें खुद नहीं पता होते, बस दिल उन्हें पहचान लेता है…” उसकी बात ने अनाया के दिल में एक लहर दौड़ा दी। वह चुप रही, लेकिन उसकी साँसें तेज़ हो गईं।
अध्याय 3: प्यार का आलिंगनदिन बीतते गए, और मुलाकातें बढ़ती गईं। शेज़ान अनाया को चाय की दुकान पर ले जाता, जहाँ वे चुपचाप बैठते और एक-दूसरे की मौजूदगी का आनंद लेते। एक शाम, शेज़ान ने उसका हाथ थामा और कहा, “तुम्हारी आँखों में एक सपना है, अनाया… मैं उसे पूरा करना चाहता हूँ।”अनाया की आँखें नम हो गईं। उसने फुसफुसाया, “लेकिन हमारा फर्क… उम्र का, दुनिया का…”
शेज़ान ने उसका चेहरा अपने हाथों में लिया और बोला, “मोहब्बत में उम्र नहीं, दिल की धड़कन मायने रखती है। तुम मेरी जिंदगी में एक नूर हो, जिसे मैं खोना नहीं चाहता।”उस रात, बारिश की बूंदों के बीच उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाया। अनाया की साँसें शेज़ान के सीने से टकरा रही थीं, और उसने अपने आँसुओं को उसकी शर्ट पर छुपा लिया। शेज़ान ने उसके बालों को सहलाया और कहा, “तुम मेरी दुआ हो, अनाया…”
अध्याय 4: समाज का विरोधलेकिन यह मोहब्बत आसान नहीं थी। जब अनाया के अब्बू को इस रिश्ते का पता चला, उन्होंने सख्ती से मना कर दिया। “वो तुमसे 11 साल बड़ा है, अनाया! लोग क्या कहेंगे? तुम अभी बच्ची हो, तुम्हें मोहब्बत का मतलब तक नहीं पता!” उनकी आवाज़ में गुस्सा और चिंता दोनों थी।अनाया रोते हुए बोली, “अब्बू, मोहब्बत की उम्र नहीं होती। शेज़ान की आँखों में मुझे अम्मी की गर्माहट दिखती है… वो मेरा सुकून है।” लेकिन अब्बू नहीं माने। समाज का डर और बेटी की छोटी उम्र ने उनके फैसले को कड़ा कर दिया।शेज़ान ने हार नहीं मानी। वह अनाया के अब्बू से मिलने गया, हाथ जोड़कर खड़ा हुआ। “मैं अनाया से निकाह करना चाहता हूँ। मैं जानता हूँ ये आसान नहीं है, लेकिन मेरा इरादा साफ है। मैं उसके हर ख्वाब को हकीकत बनाऊँगा, उसकी हर मुस्कान की हिफाज़त करूँगा…” उसकी आँखों में एक विनम्रता थी, जो अब्बू को हिला गई।
अध्याय 5: आँसुओं का फैसलाउस रात अनाया की खामोश आँखों में आँसू थे। वह अपने अब्बू के सामने बैठी और बोली, “अब्बू, मुझे माफ कीजिए अगर मैं आपको दुख दे रही हूँ। लेकिन शेज़ान मेरे लिए सिर्फ एक इंसान नहीं, मेरी दुआ है। उसकी हर नजर में मुझे वो प्यार दिखता है, जो मुझे अम्मी की याद दिलाता है।”अब्बू की आँखें भी नम हो गईं। वह बाप था, और उसकी बेटी की खुशी उसे तोड़ रही थी। लंबी खामोशी के बाद उन्होंने कहा, “अगर वो तुम्हें इतना सुकून देता है, तो मैं मना नहीं करूँगा। लेकिन सोच लो, ये फैसला तुम्हारी जिंदगी बदल देगा।”अनाया ने सिर झुका लिया, और उसकी आँखों में एक नई चमक थी।
अध्याय 6: निकाह की रातनिकाह का दिन आया, लेकिन यह कोई भव्य समारोह नहीं था। एक छोटा सा घर, कुछ करीबी रिश्तेदार, और एक पवित्र माहौल। अनाया ने अपनी अम्मी की साड़ी पहनी, जिसे उसने संभालकर रखा था। शेज़ान ने काले शेरवानी में उसका इंतजार किया, और जब अनाया दाखिल हुई, उसकी साँसें थम गईं।निकाहनामे में “इज्जत, मोहब्बत, और फिक्र” के वादे लिखे गए। शेज़ान ने अनाया का हाथ थामा और बोला, “तुम मेरी जिंदगी हो, अनाया… मैं तुम्हें कभी दुखी नहीं होने दूँगा।” अनाया की आँखों से आँसू टपके, और उसने कहा, “आप मेरी दुआ हो, शेज़ान…”उस रात, शेज़ान ने उसे अपने घर—एक खूबसूरत बंगले में—लाया। लेकिन उसने कोई शाही ठाठ नहीं दिखाया। उसने अनाया को गले लगाया और फुसफुसाया, “यहाँ कोई महल नहीं, बस मेरा दिल है… जो सिर्फ तुम्हारा है।” अनाया ने उसकी छाती से सिर टिका लिया, और उनकी साँसें एक-दूसरे से मिल गईं।
अध्याय 7: रोमांस का सिलसिलाकुछ दिन बाद, एक चांदनी रात को वे बंगले की छत पर थे। हल्की हवा में अनाया की साड़ी लहरा रही थी, और शेज़ान की आँखें सिर्फ उसे देख रही थीं। उसने उसका हाथ थामा और कहा, “तुम्हारी मासूमियत ने मेरा दिल चुरा लिया, अनाया।”अनाया शर्माई और बोली, “आपकी हर नजर में मुझे प्यार दिखता है…” शेज़ान ने उसे अपनी बाँहों में खींचा। उसकी बाँहें गर्म और सुरक्षित थीं, और अनाया का दिल तेज़ धड़क रहा था। उसने उसके माथे पर एक कोमल चुंबन रखा, और अनाया ने अपनी आँखें बंद कर ली।उनके होंठ धीरे-धीरे मिले—एक पवित्र, भावुक चुंबन, जो उनकी मोहब्बत को और गहरा कर गया। चांदनी उनके चारों ओर नाच रही थी, और अनाया ने फुसफुसाया, “आप मेरी दुनिया हो, शेज़ान…”
“और तुम मेरी हर साँस,” शेज़ान ने जवाब दिया, उसे और कसकर बाँहों में भरते हुए।
✨ अंतिम पंक्तियाँ
“मोहब्बत की कोई उम्र नहीं होती,
वह दिल की गहराई से निकलती है और रब की मर्जी से मुकम्मल होती है।
अनाया और शेज़ान की कहानी यही साबित करती है—
खुदा का वास्ता था उसमें, जो अधूरी उम्र को भी पूरा कर गया।”
🌟 पाठकों के लिए संदेशप्रिय पाठकों, "खुदा का वास्ता था उसमें" अनाया और शेज़ान की एक ऐसी मोहब्बत की कहानी है, जो दिल को छू जाएगी। अगर आपको यह पसंद आई, तो कृपया मुझे फॉलो करें और अपने विचार कमेंट में साझा करें। आपका हर प्यार और समर्थन मेरी लेखनी को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा। मेरी अन्य कहानियाँ भी पढ़ें, और मुझे बताएँ कि आपको क्या अच्छा लगा—आपके शब्द मेरे लिए प्रेरणा हैं! ❤️
InkImagination
समाप्त।
Thankyou 🥰🥰 ...