Barsho Baad Tum - 13 in Hindi Love Stories by Neetu Suthar books and stories PDF | बरसों बाद तुम - 13

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बरसों बाद तुम - 13



🖋️ एपिसोड 13: “रिश्तों की नयी परिभाषा”



> “जब ज़िंदगी में कोई नया रिश्ता जुड़ता है,
तो पुराने रिश्तों की परछाईयाँ भी बदल जाती हैं।”




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स्थान: दिल्ली — रेहाना और आरव का घर, सुबह 6:30

नन्हा आरियान की किलकारी ने सुबह की अलार्म घड़ी को पीछे छोड़ दिया था।

आरव बेड पर करवट बदल रहा था,
पर जैसे ही बच्चे की आवाज़ आई —
उसका पूरा शरीर जाग गया।

> “सुन लिया तुझसे पहले… आज भी हार गया मैं।”

“माँ की सुनने की ताक़त बाप से तेज़ होती है,”
रेहाना मुस्कराते हुए बोली।




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सुबह की चाय — अब तीन कपों में बँटी है:

• एक रेहाना के लिए
• एक आरव के लिए
• और एक बेबी के लिए — दूध की बोतल में 😄


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Scene Change — दोपहर 12 बजे, रेहाना की माँ का फ़ोन आता है

> “बेटा, अब कब आओगी मायके?”

“माँ… आरियान छोटा है, अभी जल्दी ट्रेवल मुश्किल है।”

“कम से कम हम तो देख सकें न…
तुम अब सिर्फ उनकी लगती हो?”



रेहाना चुप हो गई।


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Scene Change — शाम को आरव ऑफिस से जल्दी लौटता है

> “सब ठीक?”

“माँ ने कहा — मैं अब उनकी नहीं रही।”

“तो चलो, एक काम करते हैं…
इस वीकेंड चलते हैं उदयपुर — माँ, पापा से मिलने।”



रेहाना ने एक लंबी साँस ली…

> “शायद यही ठीक रहेगा।”




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Scene – उदयपुर, रेहाना का मायका

घर की छत, वही पुराना झूला, माँ के हाथों की रसोई।
पर सब कुछ थोड़ा अजनबी लग रहा था —
जैसे वो लड़की अब किसी और ज़िंदगी में पहुँच चुकी हो।

माँ ने आरियान को गोद में लिया, आँखें भर आईं।

> “मुझे लगा तू अब भूल जाएगी हमें…”

“माँ, मैंने बस खुद को माँ बनते हुए पाया है।
आपको खोया नहीं… बस एक और ज़िम्मेदारी जुड़ गई है।”




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आरव और रेहाना की बातचीत — छत पर रात को

> “कभी लगता है, माँ बनने के बाद,
हम पत्नी या बेटी कम हो जाते हैं?”

“शायद कुछ देर के लिए…
लेकिन रिश्ते खोते नहीं,
वो बस एक नई शक्ल ले लेते हैं।”




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Scene – वापस दिल्ली, कुछ दिनों बाद

अब घर थोड़ा ज़्यादा शांत लगता था।
कभी-कभी रेहाना चुप-सी हो जाती।

आरव ने पूछा —

> “क्या हुआ?”

“शायद अब खुद के लिए वक़्त ही नहीं बचा।”

“तो चलो… कुछ बदलते हैं।”




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आरव की पहल — रिश्तों का रिबूट

• रेहाना को वीकली राइटिंग वर्कशॉप भेजना
• हर शुक्रवार को “रेहाना डे” — सिर्फ उसके लिए
• आरव खुद बेबी को संभालता — डायपर, दूध, सब

रेहाना ने आश्चर्य से देखा —

> “तुम इतना क्यों कर रहे हो?”

“क्योंकि मैं नहीं चाहता कि तुम सिर्फ किसी की माँ बनकर रह जाओ…
तुम मेरी पार्टनर हो, मेरी कहानी की राइटर।”




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📖 डायरी से एक पन्ना

> _“जब आरियान आया था, तो लगा था मैं पूरी हो गई…

लेकिन अब समझती हूँ —
रिश्ते एक के आने से बनते नहीं,
उन्हें रोज़ निभाना पड़ता है।

और सबसे ज़रूरी रिश्ता — खुद से होता है।”_




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Scene Change — एक Café, रात 9 बजे

रेहाना और आरव साथ बाहर गए थे — महीनों बाद।

दोनों ने फिर वही कॉफी ऑर्डर की,
जो पहली डेट पर ली थी।

> “याद है? यही जगह थी…”

“जहाँ तुमने कहा था —
‘अगर कभी तुम थक जाओ, तो बता देना… मैं तुम्हारा वक़्त बन जाऊँगा।’”




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रिश्तों की नई परिभाषा

अब रेहाना:

• माँ है
• बेटी है
• पत्नी है
• और खुद की कहानी की नायिका भी

अब आरव:

• पिता है
• पति है
• और रेहाना का सबसे मजबूत स्पेस


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एपिसोड का आखिरी दृश्य — बेबी के साथ दोनों बिस्तर पर

आरियान सो रहा है।
रेहाना और आरव उसके दोनों तरफ लेटे हुए हैं।

रेहाना धीरे से कहती है —

> “हम अब तीन लोग हैं…
लेकिन तुम्हारे साथ रहने की जगह अब भी पूरी है।”




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✨ एपिसोड की आख़िरी लाइन:

> “रिश्ते तब मुकम्मल होते हैं…
जब हर नया रिश्ता पुराने को मिटाता नहीं,
बल्कि उसे और भी गहरा कर देता है।”




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🔔 Episode 14 Preview: “वो पहला जन्मदिन”

> आरियान का पहला बर्थडे आने वाला है।
लेकिन क्या ज़िंदगी इतनी ही सीधी चलेगी?
या एक नया तूफ़ान दस्तक देने वाला है?