Wo Jo me Nahi tha - 2 in Hindi Classic Stories by Rohan books and stories PDF | वो जो मैं नहीं था - 2

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वो जो मैं नहीं था - 2

भाग 2: “वो जो दिखता है, वो होता नहीं”

(जहाँ भरोसा पहली बार हिलता है… और प्यार सवालों में घिरने लगता है)


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📍स्थान: नासिक — RC कॉलेज से शुरू होकर एक पुरानी गली में खत्म होता है।
📅 तारीख: 13 फरवरी 2031 — वैलेंटाइन डे से ठीक एक दिन पहले।


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💫 पिछले भाग की स्मृति: आरव और अनन्या, दो दिल जो एक-दूसरे में सुकून पाते हैं। सब कुछ सामान्य है… जब तक एक रात आरव छत पर बड़बड़ाते नहीं दिखता: "बस थोड़ा और वक़्त… फिर सब खत्म कर दूंगा… सब सही कर दूंगा…"


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🌒 भाग 2 की शुरुआत:

अनन्या अपनी डायरी में कुछ लिख रही थी — कुछ सवाल, कुछ डर और कुछ उम्मीदें। पर उसकी कलम वहीं रुक गई जब उसे उसके घर के दरवाज़े पर एक लिफ़ाफा मिला।

लिफ़ाफा बिना नाम के था। उसने काँपते हाथों से उसे खोला:

> "अगर वो तुमसे सच्चा प्यार करता है, तो वो तुम्हें अपनी हकीकत कभी नहीं बताएगा।"



बस यही एक लाइन थी। न भेजने वाले का नाम, न कोई संकेत।

अनन्या का दिल बैठ गया।


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📚 पहला शक: कॉलेज के बाद वो चुपचाप आरव का पीछा करने लगी — वो आदत से ज़्यादा शांत था। उसने देखा कि आरव हर बुधवार एक पुरानी गली में जाता है, जहाँ एक टूटी सी बिल्डिंग है। वहाँ वो कुछ देर ठहरता है, और फिर बाहर निकलता है — चेहरा कुछ थका हुआ, कुछ बुझा हुआ।

जब अनन्या ने उस बिल्डिंग में जाकर पूछताछ की —

> वहाँ कोई भी आरव को नहीं जानता था। लेकिन चौकीदार ने इतना कहा: "वो हर हफ्ते आता है, और एक बंद कमरे में बैठा रहता है... अकेला, एक पुरानी फाइल के साथ।"




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📓 डायरी का पहला पन्ना: उस रात अनन्या ने हिम्मत करके आरव की वो डायरी उठाई, जो उसने पहले दिखाई थी। पहली बार पढ़ने की इजाज़त उसके पास नहीं थी — पर अब कुछ जानना ज़रूरी हो गया था।

पहला पन्ना:

> “अगर मैं मर जाऊं, तो लोग मुझे एक अच्छा बेटा, सच्चा प्रेमी और वफादार दोस्त समझें। पर सच ये है कि मैं इन तीनों में से कोई नहीं हूँ… मैंने कुछ ऐसा किया है जो माफ़ी के लायक नहीं है।”



अनन्या की आँखें नम हो गईं।


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🔍 सीक्रेट मेल आईडी: डायरी में एक मेल आईडी लिखा था — "s.karandikar1979@... जब अनन्या ने उस आईडी पर मेल भेजा, एक जवाब आया — एक ही लाइन:

> “अगर तुम आरव से प्यार करती हो, तो सच जानने के लिए तैयार हो जाओ… वर्ना वही रहो जो हो — अंधेरे में।”




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🌌 अंत का आरंभ: उस रात अनन्या ने आरव से सीधे पूछा: “तेरे पास मुझसे छुपाने को क्या है?”

आरव कुछ देर चुप रहा… फिर सिर्फ इतना कहा:

> “तू चाहती है न कि तेरा सच उजागर हो? मैं भी चाहता हूँ… लेकिन अगर मेरा सच निकला, तो तेरी रोशनी भी बुझ जाएगी।”



उसकी आवाज़ काँप रही थी। आँखें भीगी थीं… पर वो मुस्कुरा रहा था।

“बस एक वादा कर… अगर मैं कभी तेरी ज़िन्दगी से चला जाऊँ… तो मुझे नफ़रत से याद मत करना।"

अनन्या को लगा जैसे उसने मौत को छू लिया हो…


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📉 पार्ट 2 का अंत:

अगली सुबह कॉलेज में सब लोग एक खबर से हिल गए —

> "RC कॉलेज की ओल्ड बिल्डिंग में एक खून हुआ है — और संदिग्ध का नाम आरव मोहिते बताया जा रहा है।"



अनन्या का हाथ से मोबाइल गिर गया। वो दौड़ते हुए बिल्डिंग पहुँची — और वहाँ पुलिस, खून और मीडिया का मेला लगा था।

पर आरव नहीं मिला।

सिर्फ उसकी डायरी का एक फटा पन्ना… जिसमें लिखा था:

> “सच्चाई सबसे बड़ा गुनाह होती है… और मैंने वो गुनाह कर दिया है।”




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🔜 अगला भाग (Part 3): "उसने जो छुपाया था, वो मैं थी"

> अब कहानी बदलने लगी है। अनन्या को पता चलता है कि आरव का अतीत सिर्फ उसका नहीं — उसका भी था। एक बचपन, एक कत्ल, और एक ऐसे नाम की गूंज जिससे दोनों जुड़े हैं…



✨ अब सच्चाई की जंग शुरू होती है। प्यार, पहचान और अपराध के बीच।

📖 Part 3 — जल्द ही…