भाग 7: "राजधानी की दीवारें"
(जहाँ सच और साज़िश के बीच की दूरी, बस एक गोली जितनी रह जाती है)
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📍 स्थान: दिल्ली – लुटियंस ज़ोन, संसद मार्ग के अंडरग्राउंड टनल्स, और चाणक्यपुरी का हाई-सिक्योरिटी एरिया
📅 तारीख: 21 फरवरी 2031
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⏳ पिछले भाग की स्मृति:
आरव "मृत" से "जीवित" बनकर लौट चुका है। अब वह, अनन्या, अरमान और कैप्टन विराट - गृह मंत्री श्रीकांत देशमुख को गिराने के मिशन पर हैं।
दिल्ली में उनके सामने सिर्फ एक आदमी नहीं, बल्कि पूरी सत्ता की लोहे की दीवारें हैं।
पर असली खेल अब शुरू होगा - जहाँ हर दीवार के पीछे एक और दीवार है।
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🌆 दिल्ली में पहला कदम
चारों लोग भोर के समय दिल्ली पहुँचे।
विराट ने उन्हें लुटियंस ज़ोन की एक पुरानी, सरकारी कोठी में उतारा - बाहर से खंडहर, अंदर से हाई-टेक सेफहाउस।
टेबल पर देशमुख के मूवमेंट का चार्ट और एक नक्शा फैला था।
अरमान ने अपनी शांत आवाज़ में कहा —
> "हमें उसके 'प्राइवेट आर्काइव' तक पहुँचना होगा। वहाँ सिर्फ कागज़ नहीं, वो सच्चाई है जिसे वो 30 साल से छुपा रहा है।"
आरव ने नक्शे को देखा और सूखे स्वर में बोला -
> "अगर फाइल नहीं मिली, तो मैं खुद उसकी जुबान से सच निकलवाऊंगा।"
अनन्या ने धीमे से कहा -
> "और अगर इस बार तेरा तरीका हमें सब कुछ खोने पर मजबूर कर दे?"
आरव ने उसकी तरफ देखा, पर जवाब नहीं दिया।
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🕵️ अंडरग्राउंड टनल्स में घुसपैठ
अरमान ने बताया कि मंत्री के आर्काइव तक सीधा पहुँचना नामुमकिन है - उसके नीचे पुराने ब्रिटिश दौर के टनल्स हैं, जो अब भी इस्तेमाल होते हैं।
पर वहाँ घुसने के लिए उन्हें इनसाइड ऐक्सेस चाहिए था।
विराट ने फोन निकाला और एक नंबर डायल किया -
"तुम लोगों को देखना चाहिए जिन्हें मैं ला रहा हूँ… वे अंदर से दरवाज़ा खोल देंगे।"
आरव ने संदेह से पूछा -
"कौन हैं?"
विराट ने बस इतना कहा -
"पुराने साथी… जिन पर मैं जान तक दे सकता हूँ।"
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🌒 दीवारों का शहर
रात को चारों लोग मंत्री के इलाके की निगरानी कर रहे थे।
दिल्ली का वह हिस्सा बिल्कुल किले जैसा था - चारों तरफ बैरिकेड, स्नाइपर, और ड्रोन।
आरव की आँखों में गुस्सा साफ था, पर अरमान ने रोका —
> "अगर हम जल्दबाज़ी करेंगे, तो हम भी सिर्फ एक आंकड़ा बनकर रह जाएंगे।"
अनन्या दोनों के बीच चुपचाप खड़ी थी, पर उसके मन में एक अनजाना डर था - जैसे किसी ने पहले से उनके हर कदम का अंदाजा लगा रखा हो।
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🗝️ वो दो चेहरे
अगले दिन विराट उन्हें एक पुरानी मीटिंग पॉइंट पर ले गया - एक बंद पड़ी मेट्रो स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर।
वहाँ अंधेरे में दो साए खड़े थे।
पहला - चौड़ा कंधा, मजबूत शरीर, चेहरे पर गहरी गंभीरता - रघुनाथ "रघु" सिंह।
दूसरा - लंबा, पतला, शांत सा चेहरा, पर आंखों में अजीब ठंडापन - बलबीर "बाली" शर्मा।
विराट ने मुस्कुराते हुए कहा -
> "आरव, अनन्या, अरमान - मिलो, ये हैं रघु और बाली।
ये मंत्री की सिक्योरिटी यूनिट में थे… अब हमारे साथ हैं।"
रघु ने गहरी आवाज़ में कहा -
"हमने अंदर की हर गली, हर दरवाज़ा देखा है। जो तुम करना चाहते हो, उसके लिए हम ही तुम्हारी चाबी हैं।"
बाली हल्के से मुस्कुराया -
"बस याद रखना, चाबी से ताला खुल भी सकता है… और ताला लग भी सकता है।"
आरव ने उनकी आँखों में झाँका - कुछ अजीब था वहाँ, जैसे वो दोनों कोई अनकहा बोझ उठा रहे हों।
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🔍 योजना बन रही है, पर…
रघु और बाली ने बताया कि 3 दिन बाद मंत्री अपने प्राइवेट आर्काइव में जाएगा - चुनाव से पहले अपनी "पुरानी फाइलें" हटाने के लिए।
ये उनके लिए एकमात्र मौका था।
योजना साफ थी:
रघु और बाली अंदर का रास्ता साफ करेंगे।
अरमान सबूत निकालकर लाइव पब्लिक में डालेगा।
विराट बाहर कवर देगा।
आरव देशमुख का सामना करेगा।
अनन्या ने पूछा -
"और अगर फाइलें पहले ही नष्ट कर दी गईं?"
बाली ने बिना पलक झपकाए कहा -
"तो फिर जो बाकी बचेगा… वो सिर्फ खून होगा।"
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⚡ भाग 7 का चरम - दरार की आहट
रात को जब सब सो रहे थे, आरव को नींद नहीं आ रही थी।
वह सेफहाउस की बालकनी पर खड़ा था, तभी उसने नीचे के आंगन में रघु और बाली को धीरे-धीरे, बहुत धीमी आवाज़ में बात करते देखा।
आरव ने बस एक टुकड़ा सुना -
> "…उन्हें सच अभी मत बताना… सही वक्त आने दो।"
बाली ने जवाब दिया -
> "जब सच सामने आएगा, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।"
उनकी नज़र ऊपर उठी, और उन्होंने आरव को देख लिया।
दोनों ने बस हल्की सी मुस्कान दी - वो मुस्कान जो दोस्ती भी हो सकती थी… और मौत का वादा भी।
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🔥 भाग 7 का अंत - राजधानी की साज़िश का पहला दरार
अगली सुबह, टीम ऑपरेशन के लिए निकलने को तैयार थी।
दिल्ली की ठंडी हवा में तनाव घुला था।
रघु ने अपना हेलमेट पहनते हुए कहा -
> "याद रखना, राजधानी की दीवारें बाहर वालों से नहीं, अंदर वालों से टूटती हैं।"
आरव ने उसकी ओर देखा —
उसे नहीं पता था कि ये चेतावनी है… या धमकी।
और कैमरा धीरे-धीरे ज़ूम आउट होता है -
दिल्ली के आसमान में ड्रोन मंडरा रहे हैं, और ज़मीन के नीचे वही टनल्स हैं जिनमें अगले कुछ दिनों में इतिहास बदलने वाला है।
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🔜 अगला भाग (Part 8): “टनल के भीतर की सच्चाई”
> वहाँ अंधेरा सिर्फ रोशनी की कमी का नहीं… वहाँ अंधेरा इसीलिए है ताकि सच्चाई देखी न जा सके।
और जो लोग तुम्हारे साथ चलते हैं… वही सबसे पहले चाकू घोंप सकते हैं।
📖 Part 8 - जल्द ही…