Wo Jo me Nahi tha - 8 in Hindi Classic Stories by Rohan books and stories PDF | वो जो मैं नहीं था - 8

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वो जो मैं नहीं था - 8

भाग 8: "टनल के भीतर की सच्चाई"

(जहाँ दीवारें पत्थर की नहीं, वफ़ादारी की होती हैं… और उनके टूटने की आवाज़ सबसे खतरनाक होती है)


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📍 स्थान: संसद मार्ग अंडरग्राउंड टनल सिस्टम, दिल्ली का पुराना ब्रिटिश सेक्टर
📅 तारीख: 24 फरवरी 2031


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⏳ पिछले भाग की स्मृति:
रघु और बाली - मंत्री की सिक्योरिटी से जुड़े दो पुराने नाम - अब आरव, अनन्या, अरमान और कैप्टन विराट के साथ हैं।
मिशन: मंत्री श्रीकांत देशमुख के प्राइवेट आर्काइव तक पहुँचना, जहाँ PROJECT RAAHAT और 1999 की आग के असली राज़ दफन हैं।
पर राजधानी की दीवारें बाहर से नहीं, अंदर से गिरती हैं… और कभी-कभी अंदर वाले ही सबसे खतरनाक होते हैं।


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🕰 ऑपरेशन का पहला कदम

सुबह 3:40 बजे - सब काले टैक्टिकल गियर में तैयार थे।
विराट ने छोटे रेडियो में आदेश दिया -

> "टारगेट लोकेशन की दूरी 800 मीटर… टनल एंट्री के बाद कोई पीछे मुड़ना नहीं।"



अरमान अपने बैग में मिनी-ड्रोन और हैकिंग टूल्स चेक कर रहा था।
अनन्या ने अपनी कमर पर हैंडगन सेट की, और आरव की तरफ देखा।

> "तू वादा कर - आज कोई बेवकूफी नहीं करेगा।"



आरव बस इतना बोला -

> "आज अगर सच हाथ से निकल गया… तो मैं कोई भी क़दम उठाऊँगा।"




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🕳 टनल का दरवाज़ा

रघु और बाली ने उन्हें संसद मार्ग के पुराने गार्ड हाउस के नीचे ले जाकर एक लोहे का ट्रैपडोर दिखाया।
वो जगह धूल, जाले और बदबू से भरी थी, पर रघु ने एक छुपा हुआ लॉक खोला।
भारी आवाज़ के साथ ट्रैपडोर खुला - नीचे अँधेरी सीढ़ियाँ थीं, जिनसे ठंडी हवा आ रही थी।

बाली ने नीचे उतरते हुए कहा -

> "ये टनल ब्रिटिश जमाने में बनाई गई थी… बाद में सिर्फ खास लोग ही यहाँ आते थे।"



विराट ने इशारा किया - "Move."


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🌀 अंदर का भूलभुलैया

टनल पत्थर और लोहे का मिश्रण थी, लेकिन कई हिस्से नए कॉन्क्रीट से बने थे - साफ था कि यहाँ हाल ही में काम हुआ है।
हर मोड़ पर CCTV कैमरे लगे थे, लेकिन बाली के पास उनकी सिक्योरिटी कोड लिस्ट थी।
वो बिना देर किए एक-एक कैमरा ब्लाइंड कर रहा था।

अरमान ने धीरे से कहा -

> "ये लोग जितना अंदर तक हमें ला सकते हैं… उतना किसी बाहरी के लिए नामुमकिन है।"



आरव चुप था, लेकिन उसकी नज़र रघु और बाली पर बनी हुई थी - उनके चलने का अंदाज़, हर कोने की जानकारी… सब कुछ ऐसे जैसे वो यहाँ पले-बढ़े हों।


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⚠ पहला खतरा

करीब 400 मीटर आगे एक इंटरसेक्शन पर मोशन सेंसर लगे थे।
रघु ने अपने बैग से एक खास जैमर निकाला और फर्श पर रख दिया।

> "20 सेकंड में हम ये पार करेंगे… वरना अलार्म बज जाएगा।"



टीम एक के बाद एक भागी - लेकिन आखिरी में जाते समय अनन्या का बैग सेंसर से हल्का सा टकरा गया।
एक बीप जैसी आवाज़ आई - सब जम गए।

बाली ने तुरंत एक वायर खींचकर सेंसर को ओवरराइड किया।

> "Next time… और सावधान।"
उसके लहजे में न गुस्सा था, न चिंता - बस ठंडी, मापी हुई आवाज़।




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📂 आर्काइव का बाहरी दरवाज़ा

लगभग एक घंटे बाद वो एक भारी स्टील डोर के सामने पहुँचे -
उसके ऊपर साफ लिखा था:
"Private Archive – Level Ω"

अरमान ने लॉक पैनल खोला और लैपटॉप कनेक्ट किया।

> "ये कोई साधारण लॉक नहीं… इसमें DNA verification + voice key दोनों हैं।"



रघु ने आगे बढ़कर एक कार्ड और वॉइस कोड इस्तेमाल किया -
"Security Override - Singh 14."
दरवाज़ा धीरे-धीरे खुलने लगा।


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💥 अचानक आई परछाईं

जैसे ही दरवाज़ा आधा खुला, भीतर से तेज़ फ्लैश लाइट चमकी और गोली की आवाज़ गूंजी।
विराट ने झट से अनन्या को पीछे खींचा।
अंदर दो ब्लैक-ऑप गार्ड थे - दोनों के पास असॉल्ट राइफल्स।

आरव ने बिना सोचे-समझे आगे छलांग लगाई, एक गार्ड को गिराया और हथियार छीन लिया।
दूसरे को बाली ने सटीक हेडशॉट से खत्म कर दिया।
कमरे में अब सिर्फ खून की गंध और दस्तावेज़ों से भरी अलमारियाँ थीं।


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🗝 राज़ का पहला टुकड़ा

अरमान ने फाइलें स्कैन करनी शुरू कीं।
पहली ही फाइल में PROJECT RAAHAT का पुराना लोगो और 1999 की बाल आश्रम आग की तस्वीरें थीं - पर एक चीज़ चौंकाने वाली थी:
फोटो में सिर्फ जले हुए कमरे नहीं थे… वहाँ एक ऑपरेशन रूम भी था, जिसमें बच्चों के दिमाग पर मेडिकल डिवाइस लगे हुए थे।

अनन्या ने कांपते हुए पन्ना पलटा -

> "ये तो मेमोरी इरेज़न प्रोग्राम की तस्वीरें हैं… और इसमें… मैं हूँ…"



आरव ने उसके कंधे पर हाथ रखा, लेकिन उसकी आंखें लाल हो चुकी थीं।


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🌑 टनल का अंधेरा और साज़िश

अचानक रघु का रेडियो बीप हुआ -

> "Code Delta – Minister is moving to Archive."



सबने फाइलें उठाईं, लेकिन बाहर से भारी कदमों की आवाज़ आने लगी।
विराट ने फुसफुसाया - "Back route… अब!"

रघु और बाली उन्हें एक और संकरी टनल में ले गए।
अँधेरा इतना गहरा था कि सिर्फ उनकी सांसों और धातु पर कदमों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।

चलते-चलते आरव ने पीछे से रघु और बाली की धीमी बातचीत का एक और टुकड़ा सुना -

> रघु: "हम जितना खींच सकते हैं, खींचते हैं… पर बहुत देर नहीं होनी चाहिए।"
बाली: "जब वक्त आएगा… दीवार खुद गिर जाएगी।"



आरव ने कुछ नहीं कहा - लेकिन उसकी नज़र अब सिर्फ उनके पैरों के निशान पर थी।


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🔥 भाग 8 का अंत - दीवारें और परछाईं

टीम सुरक्षित बाहर निकल आई -
लेकिन उनके हाथ में सिर्फ फाइलें नहीं थीं… बल्कि ऐसे सबूत थे जो देश के सबसे ऊँचे पद को हिला सकते थे।

अनन्या ने दस्तावेज़ पकड़ते हुए कहा -

> "अगर ये सच बाहर गया, तो ये सिर्फ एक आदमी नहीं… पूरी व्यवस्था गिरेगी।"



आरव ने ठंडी आवाज़ में जवाब दिया -

> "और अगर ये सच बाहर नहीं गया… तो मैं खुद इसे दीवार पर लिख दूँगा।"



कैमरा धीरे-धीरे टनल के अँधेरे में लौटता है -
जहाँ रघु और बाली खड़े हैं, और उनके चेहरों पर वही हल्की, अजीब मुस्कान है।


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🔜 अगला भाग (Part 9): “सच का पहला प्रहार”

> जब सच को हथियार बना दिया जाए… तो पहला वार सबसे गहरा होता है।
लेकिन हर वार का जवाब होता है - और सत्ता का जवाब हमेशा खून से लिखा जाता है।


📖 Part 9 - जल्द ही…