🔥 भाग 3: "उसने जो छुपाया था, वो मैं थी"
(जहाँ सच सिर्फ चेहरों में नहीं, रगों में भी बहता है... और अतीत की परछाइयाँ आज का लहू बन जाती हैं)
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📍 स्थान: नासिक — RC कॉलेज की ओल्ड बिल्डिंग, CID ऑफिस, और अनन्या का ननिहाल
📅 तारीख: 14 फरवरी 2031 — वैलेंटाइन डे
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🕯 पिछली कहानी की झलक:
एक चिठ्ठी, एक डायरी और एक हत्या।
आरव गायब है, लेकिन उसके नाम पर RC कॉलेज की ओल्ड बिल्डिंग में एक खून हो चुका है।
अनन्या को अब शक है कि वो जिस लड़के से प्यार करती थी —
वो सिर्फ आरव नहीं था...
वो कुछ और भी था।
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🎭 इस भाग की शुरुआत:
अनन्या CID ऑफिस में बैठी थी, सवालों से घिरी।
पर एक सवाल सबसे ज़्यादा चुभ रहा था —
"अगर आरव सच में गुनहगार था, तो वो मुझे क्यों बचा रहा था?"
CID ऑफिसर करंदीकर ने कहा —
> “जो डायरी तुम लेकर आई हो… उसमें एक पेज missing है — और शायद उसी पन्ने में सच की चाबी छुपी है।”
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🧬 अनन्या की अतीत की यात्रा:
मां के पुराने अलमारी से एक पुराना एल्बम निकला —
उसमें एक धुंधली सी तस्वीर थी:
छोटा आरव, और एक छोटी लड़की — जिसका चेहरा हूबहू अनन्या जैसा था।
पीछे लिखा था:
> “1999 — बाल आश्रम, पुणे”
अनन्या चौंक गई —
"मैंने तो कभी पुणे का आश्रम नहीं देखा… मैं तो यहीं नासिक में पली-बढ़ी…?"
माँ की चुप्पी टूटी —
> “हमें एक बच्चा गोद लेने की पेशकश हुई थी, पर तुम्हें खुद की ही बेटी मानकर कभी तुम्हारा अतीत बताया नहीं।”
अब अनन्या की सांसें टूट रही थीं —
"क्या मैं… और आरव…?"
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🔥 डायरी का अधूरा पन्ना:
करंदीकर CID हेड ऑफिस से आरव की संदिग्ध केस फाइल लाते हैं।
उसमें एक burnt document जो partially बचा है —
उसमें लिखा है:
> “Code name: PROJECT RAAHAT —
Subject-03: Arya Mohite
Subject-04: Anaya Deshmukh
Relation: Dual-survivors of 1999 Bal Ashram Fire Incident
Status: Memory-erased, Rehabilitated separately, Unaware of true origin.”
अनन्या अब काँप रही थी —
"हम दोनों एक ही हादसे के हिस्से थे… एक ही अतीत के ज़िंदा सबूत…"
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🌧 एक शांत शाम — टूटे दिलों का मिलन:
वैलेंटाइन डे की शाम, अनन्या उसी पुरानी टूटी बिल्डिंग में जाती है —
जहाँ आखिरी बार आरव देखा गया था।
वहाँ एक दीवार पर कोयले से लिखा था:
> “अगर तू यहाँ तक आ गई, तो अब सच जानने को तैयार हो —
दरवाज़ा नंबर 7 खोल… मैं तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ।”
अनन्या काँपते हुए दरवाज़ा खोलती है —
और सामने आरव बैठा है, ज़िंदा — आँखों में आंसू, और सामने एक पिस्तौल।
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💔 सच्चाई का विस्फोट:
आरव:
> “तू जानना चाहती थी ना कि मैं कौन हूँ? मैं वो हूँ जिसे तुझसे कभी मिलना नहीं था…
हम दोनों को मर जाना था उस आग में…
पर हम बच गए — और हमारा बचना, किसी के लिए ख़तरा बन गया।”
अनन्या (आँखों में भरे आंसुओं से):
> “और तूने मुझसे क्यों नहीं कहा?”
आरव (धीमे स्वर में, टूटे हुए):
> “क्योंकि मैं तुझे प्यार करता था… और तुझे ये जानकर नफ़रत हो जाती,
कि तेरा अतीत भी उतना ही खून से सना है जितना मेरा।”
अनन्या उसके पास आती है, चुपचाप, उसके हाथ से पिस्तौल छीनकर नीचे रखती है —
> “जो तुम छुपा रहे थे, वो मैं थी… और जो मैं ढूंढ रही थी, वो तुम हो।”
उन दोनों के बीच एक खामोश लम्हा गुजरता है…
जैसे वक़्त थम गया हो…
दो टूटे हुए हिस्से फिर से एक होने को तैयार थे।
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🚨 पार्ट 3 का अंत:
जैसे ही वो एक-दूसरे को देख मुस्कराते हैं, एक तेज़ आवाज़ आती है —
"हाथ ऊपर करो! CID!"
दरवाज़े पर करंदीकर और पुलिस टीम है —
> “आरव मोहिते — तुम्हें PROJECT RAAHAT की गोपनीय फाइल लीक करने,
और हत्या के आरोप में गिरफ़्तार किया जाता है।”
अनन्या चिल्लाती है — “नहीं! वो गुनहगार नहीं है! सब कुछ किसी और का खेल है!”
आरव मुस्कुराता है, और अनन्या की तरफ देखता है —
> “अब तू लड़… मैं तेरे पीछे ढाल बनकर रहूंगा — आखिरी दम तक।”
और उसे हथकड़ी पहनाकर ले जाया जाता है…
अनन्या वहीं बैठी रह जाती है…
आँखों से बहती बारिश और दिल से टपकते सवालों के साथ।
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🔜 अगला भाग (Part 4): "जो अतीत बचपन में छूट गया था"
> PROJECT RAAHAT क्या था?
आरव और अनन्या की असली पहचान क्या है?
और असली दुश्मन कौन है — जो इन दो मासूमों को मोहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा है?
अब सच्चाई और सिस्टम की सीधी टक्कर होगी — जहाँ अतीत सिर्फ बीता हुआ कल नहीं, बल्कि एक जिंदा हथियार है।
📖 Part 4 — जल्द ही…