भाग 4: "जो अतीत बचपन में छूट गया था"
(जहाँ पन्ने जल चुके हैं… पर राख अब भी साँस ले रही है)
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📍 स्थान: नासिक – CID डिटेंशन सेंटर, अनन्या का ननिहाल, और पुणे का वही पुराना बाल आश्रम (1999 की आग का गवाह)
📅 तारीख: 15 फरवरी 2031
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⏳ पिछले भाग की स्मृति:
आरव और अनन्या, दो ऐसे नाम जो अब खून, अतीत और रहस्य में उलझ चुके हैं।
PROJECT RAAHAT की गोपनीय जानकारी उजागर होने के बाद, आरव CID की गिरफ़्त में है।
अनन्या को पहली बार पता चला उसका अतीत ही उसका सबसे बड़ा सच है।
पर अब सवाल ये नहीं कि आरव गुनहगार है या नहीं…
सवाल ये है - सच का गुनाह किसने किया था?
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🧠 आरव की पूछताछ - परतें खुलने लगती हैं
CID ऑफिस की काली दीवारों के बीच बैठा आरव, शांत है।
जैसे उसे अपनी गिरफ़्तारी का कोई पछतावा नहीं।
CID इंस्पेक्टर करंदीकर पूछते हैं:
> “PROJECT RAAHAT क्यों लीक किया?”
“किसके कहने पर?”
“1999 में आश्रम की आग कैसे लगी थी?”
आरव सिर्फ एक ही जवाब देता है -
> “जिसने आग लगाई थी, वो अब संसद में बैठा है।”
करंदीकर चुप हो जाते हैं।
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📜 अनन्या की खोज – नानी के पुराने संदूक में
नासिक में अपने ननिहाल में, अनन्या एक पुराने संदूक से एक ख़त निकालती है -
उस पर लिखा था: "बाल संरक्षण आयोग, पुणे - गोपनीय फाइल 2001"
ख़त में अनन्या का असली नाम लिखा था: "अनया भोसले"
और एक और नाम… "आर्यन मोहिते"
दोनों को PROJECT RAAHAT के तहत मेमोरी इरेज़न प्रोग्राम में डाला गया था, ताकि उन्हें अपने साक्षी होने की सज़ा से बचाया जा सके।
पर कोई था - जो नहीं चाहता था कि वो दोनों जिएं।
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🔍 साजिश की परछाईं - पुणे आश्रम की आग
अनन्या अकेले पुणे जाती है।
वो उसी पुराने बाल आश्रम के खंडहर में पहुँचती है।
वहाँ एक बूढ़ा चौकीदार मिलता है - जो बचपन में वहाँ कार्यरत था।
वो कहता है:
> “हमने सरकार से भ्रष्टाचार की शिकायत की थी… उस रात कुछ लोग आए… और सब जलाकर चले गए। 18 बच्चे जिंदा जल गए… बस चार बचे थे - दो को मार दिया गया… और दो को ‘मिटा’ दिया गया।”
> “एक का नाम था आर्यन… और दूसरी, अनया…”
अनन्या की रूह काँप गई।
वो जानती थी - वो सब कुछ बस कहानी नहीं थी, वो उसका सच था।
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🧱 पलटवार की शुरुआत - अनन्या का फ़ैसला
अनन्या सीधे एक स्वतंत्र पत्रकारिता संस्था में जाती है —
PROJECT RAAHAT, CID फ़ाइल्स और उसकी असली पहचान के दस्तावेज़ लेकर।
“अगर सरकार हमें मिटाना चाहती है,
तो अब मैं अपनी आवाज़ को जला नहीं दूँगी…
बल्कि उसकी आग से सच लिखूंगी।”
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🔥 भाग 4 का अंत - दुश्मन की पहली परछाईं
रात को अनन्या को एक गुमनाम कॉल आता है -
> “बहुत बोलने लगी हो तुम।
एक बार जल चुकी थी, क्या फिर से राख बनना चाहोगी?”
अनन्या काँप जाती है…
पर वो जवाब देती है:
> “अगर मेरी राख से तुम्हारा सच उजागर होता है, तो मैं रोज़ जलने को तैयार हूँ।”
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💣 आखिरी मोड़ - आरव की सेल में विस्फोट
15 फरवरी की रात, CID डिटेंशन सेंटर की एक सेल में विस्फोट होता है।
वहीं आरव बंद था।
हर न्यूज़ चैनल पर ब्रेकिंग चलती है:
> “CID लॉकअप में ब्लास्ट - मुख्य संदिग्ध आरव मोहिते लापता - मृत या जीवित की पुष्टि नहीं”
अनन्या टीवी के सामने बैठी है - हाथ काँप रहे हैं…
आँखों में आँसू नहीं, आग है।
"क्या तुमने फिर खुद को मिटा लिया, आरव?"
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🔜 अगला भाग (Part 5): “जिसे मिटाया गया, वो अब मिटाएगा”
> क्या आरव वाकई मर गया है?
PROJECT RAAHAT किसने बनाया?
और अब अनन्या अकेली नहीं, उस सिस्टम से टकराएगी जिसमें उसके जैसे कई "सच्चे किरदार" दफन हैं।
अब ये सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं -
अब ये एक जंग है सच और सत्ता के बीच।
📖 Part 5 — जल्द ही…