🖋️ एपिसोड 15: “जब वक़्त सवाल पूछता है…”
> “हर रिश्ता वक्त से गुजरता है…
लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जो वक़्त से सवाल पूछते नहीं,
जवाब बनकर उभरते हैं।”
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स्थान: दिल्ली — एक शांत सोमवार की सुबह
आरियान अब 14 महीने का हो चुका था।
रेहाना की ज़िंदगी अब पूरी तरह से उस छोटे से चमत्कार में सिमट गई थी।
आरव ऑफिस जाने की तैयारी में था।
रेहाना ने चाय का कप पकड़ाया और कहा —
> “थोड़ा वक़्त मेरे लिए भी बचा लो…”
“तुम्हारे बिना तो दिन की शुरुआत ही अधूरी लगती है।”
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Scene — ऑफिस में आरव
काफी समय बाद आरव की कंपनी में प्रमोशन की बात हो रही थी।
लेकिन उसके साथ एक प्रस्ताव आया था —
6 महीने के लिए मुंबई ट्रांसफर।
वो चुप हो गया।
उसके सामने एक तरफ था —
करियर, और दूसरी तरफ — घर।
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शाम को घर लौटने पर — दोनों की बातचीत
> “अगर तुम्हें प्रमोशन के लिए जाना पड़े… तो?”
“तुम क्या चाहती हो?”
“मैं चाहती हूँ… तुम वही करो जो तुम्हारा मन कहे।
लेकिन इस बार मैं तुम्हारे साथ नहीं चल पाऊंगी।
आरियान अभी बहुत छोटा है, उसे उसकी जड़ों से तोड़ना ठीक नहीं।”
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आरव की उलझन — पहली बार अकेले फैसला लेना पड़ा
रात को वो बालकनी में बैठा था।
डायरी खोली।
पेन पकड़ा, पर शब्द नहीं निकले।
रेहाना पास आकर बैठ गई।
> “तुम्हें लगता है मैं तुम्हारे रास्ते में आ रही हूँ?”
“नहीं… तुम तो मेरी वजह हो।
बस इस बार वक़्त कुछ ऐसा सवाल पूछ रहा है,
जिसका जवाब सिर्फ दिल से नहीं मिल रहा।”
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अगले दिन — आरव ने ऑफिस में मीटिंग ली
सभी हैरान थे कि आरव ने ट्रांसफर लेने से मना कर दिया।
> “मुझे एक बड़ा प्रोजेक्ट मिला था…
लेकिन मैं एक और ज़िम्मेदारी पहले से निभा रहा हूँ —
जो इस वक्त सबसे ज़्यादा ज़रूरी है।”
“Being a father isn’t a break,
It’s a full-time job I love the most.”
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घर लौटने पर — रेहाना की आँखें नम
> “तुमने क्यों छोड़ा?”
“क्योंकि मुझे पता है —
मैं दोबारा प्रमोशन कमा सकता हूँ…
लेकिन अगर ये वक्त चला गया,
तो मेरा बेटा दोबारा छोटा नहीं होगा।”
रेहाना ने उसका हाथ थामा —
> “शायद तुम अब सिर्फ मेरे नहीं,
मेरे बेटे के भी हीरो बन गए हो।”
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📖 डायरी की एक नई लाइन
> “कुछ फैसले वक़्त से पूछकर नहीं लिए जाते…
वो सिर्फ महसूस किए जाते हैं —
क्योंकि वहाँ प्यार सवाल नहीं करता,
बस साथ खड़ा होता है।”
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Scene — रेहाना का फिर से लिखना शुरू करना
अब जब आरव ने अपनी ज़िम्मेदारी निभाई,
तो रेहाना ने भी अपने पुराने अधूरे ख्वाबों को फिर से छूना शुरू किया।
• उसने एक छोटा सा ब्लॉग शुरू किया — “माँ की डायरी”
• रोज़ एक छोटी सी लाइन लिखती — माँ, रिश्ते, और वक़्त के नाम
एक दिन ब्लॉग पर एक कमेंट आया:
> “आपके शब्द दिल छूते हैं… क्या आप इनसे किताब बनाएंगी?”
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Scene — आरव, रेहाना और आरियान का पार्क वॉक
बच्चा झूले पर,
आरव और रेहाना पास बैठे हुए।
> “क्या तुम दोबारा खुद को जी पा रही हो?”
“हाँ… और इस बार तुम्हारी वजह से नहीं —
अपनी वजह से।”
“और मुझे अपनी पत्नी से फिर से प्यार हो रहा है…
हर बार, हर नए रूप में।”
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Scene — अचानक एक कॉल आता है
रेहाना के ब्लॉग को पब्लिशिंग हाउस से ऑफर आया था।
> “हम आपकी डायरी को किताब के रूप में छापना चाहते हैं।”
वो अवाक रह गई।
आरव मुस्कराया।
> “देखा? जब तुमने मुझे नहीं रोका…
तो अब मैं तुम्हें कैसे रोक सकता हूँ?”
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✨ एपिसोड की आख़िरी लाइन:
> “जब वक़्त सवाल पूछता है…
तो प्यार जवाब नहीं देता,
बस चुपचाप साथ चल पड़ता है।”
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🔔 Episode 16 Preview: “जब सपने छपने लगते हैं…”
> रेहाना की किताब छपने वाली है।
लेकिन क्या सफलता भी अपने साथ कोई नई परीक्षा लाएगी?
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