Eclipsed Love - 15 in Hindi Fiction Stories by Day Dreamer books and stories PDF | Eclipsed Love - 15

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Eclipsed Love - 15

नॉर्मली, मकड़ी और चूहे को छोड़कर और किसी मायके लाल में इतना दम नहीं था कि वह पावनी को इस हद तक डरा सके कि अगले ही पल वह बेहोश होकर गिर जाए।

लेकिन इस वक्त जो कुछ भी उसने अपनी मासूम आँखों से देखा था, वह सब देखकर जैसे उसके होश ही उड़ गए थे।

मतलब, एक दुराचारी व्यक्ति उसकी आँखों के सामने धरती के अंदर समा गया था, और दूसरा मौत का सौदागर बनकर लंबे-लंबे कदमों से उसकी तरफ बढ़ रहा था।

पावनी ने दोनों हाथों से अपना गला पकड़ लिया और सहलाने लगी। इस वक्त उसका गला बुरी तरह सूख रहा था, और अंदर ही अंदर उसे बहुत ज्यादा घुटन महसूस हो रही थी। लेकिन चाहकर भी वह अपनी जगह से हिल नहीं पा रही थी, जैसे धरती ने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया हो।

लेकिन शायद उसकी इस दयनीय हालत पर तरस खाकर, सिर्वेश उससे बस दो कदम की दूरी पर रुक गया।

उसकी गहरी, मखमली आवाज़ हवा में तैरने लगी— "क्या तुम ठीक हो?" ये कहते हुए उसकी आवाज़ में एक अजीब-सा अपनापन था।

लेकिन पावनी हैरान थी। क्या उसने सच में उससे ये सब पूछा था? लेकिन क्यों? क्या वह उसे जानता है? या फिर यमराज खुद उसके प्राण हरने धरती पर आए हैं?

"नहीं-नहीं! यमराज इतने मॉडर्न नहीं हो सकते कि वे इस तरह फेस मास्क पहनकर आने लगें, बेशक से उसकी पर्सनेलिटी किसी यमराज से कम नहीं था।"

आखिर वह ये सब बकवास सोच ही क्यों रही थी? क्या वह कोई सपना देख रही थी? हाँ, जरूर! यह सब एक डरावना ख्वाब ही होगा।

यही सोचते हुए पावनी ने अचानक ज़ोर से अपनी कलाई पर चुटकी काट ली, लेकिन दर्द के मारे अगले ही पल उसके मुँह से एक आह निकल गई।

उसने जल्दी से  नज़र उठाकर देखा, तो वह फेस मास्क पहना हुआ शख्स उसे अपनी ठंडी निगाहों से घूर रहा था, जैसे अभी उसे खा ही जाएगा।

जैसे ही उसने आगे बढ़ने के लिए एक कदम उठाया, पावनी घबराते हुए दो कदम पीछे हटी और अपने बचाव में दोनों हाथों की मुट्ठियाँ कसकर आगे करते हुए बोली—"देखो! जहाँ हो, वहीं रुक जाओ! मेरे पास आने की कोशिश भी मत करना! मैं कराटे में ब्लैक बेल्ट नहीं हूँ, लेकिन कराटे सीख जरूर रखी है! धूल चटा दूँगी तुम्हें समझे तुम!" ये कहते हुए वह बुरी तरह हाँफने लगी।

इस वक्त पावनी बिल्कुल एक डरी-सहमी मासूम खरगोश जैसी लग रही थी। लेकिन इस हालत में भी उसकी डार्क ब्लैक इनोसेंट आंखे सिर्वेश को बराबर टक्कर दे रही। उसके पिद्दी से बँधे हुए हाथों को हवा में लहराते देख, सिर्वेश की एक भौं हल्की-सी ऊपर उठी। उसने बेहद इंटेंस नज़रों से सामने खड़ी उस छोटी-सी लड़की को देखा।

उसकी शर्ट हवा में लहरा रही थी, और कलाइयों पर चमड़े की पट्टियाँ बँधी थीं। उसकी त्वचा असामान्य रूप से पीली थी, जैसे चाँदनी उसमें समा गई हो।

उसने बेहद ठंडी आवाज़ में कहा—

"What a shame! मैंने अभी-अभी तुम्हें इतने बड़े खतरे से बचाया, और तुम अपने savior को ही disrespect कर रही हो? At least, show some respect, पावनी!"

अचानक किसी अनजान से वो भी इतने खतरनाक शख्स के मुह से अपना नाम सुनकर पावनी चौंक गई। वो हड़बड़ाते हुए बोली-”"एक मिनट… What? तुम्हें मेरा नाम पता है?" ये कहते हुए वो उसे हक्का बक्का होकर देख रही थी।

इतने में उसकी नजरें जैसे  ही सिर्वेश के सिल्वर रंग की ठंडी निगाहों पर जाकर टकराई तो वो ब्लिंक करना तक भूल गई।

 उन आँखों में एक अजीब-सी कशिश थी। पावनी जैसे एक पल के लिए सम्मोहित हो गई थी, जैसे भूल ही गई हो कि वह कौन है और सामने खड़ा वह mesmerizing शख्स कौन है… जिसे उसका नाम तक पता था।

अगले ही पल, उसने एकदम से उससे अपना ध्यान झटका और हकलाते हुए बोली— "तुमने… तुमने मुझे बचाया? लेकिन तुम कौन हो? मेरा नाम तुम्हें कैसे पता है? क्या तुम सच में यमराज हो, या फिर मेरे ड्रीम वाला goblin? तुमने उस बैड ह्यूमन को धरती के अंदर पैक कर दिया है क्या?" वह अब भी उतनी ही डरी हुई थी।

सामने से एक दिलकश ठहाके की आवाज हवाँ में धुल गई और सिर्वेश ने कहा- " व्हाट गोबलिन , यमराज!” वो जोर जोर से हंसा और फिर अचानक काफी सीरियस होकर बोला-” मैं इनमें से कोई नहीं हूं बस मुझे इस शहर की गंदगी से नफरत है।" उसने बेहद कठोर लहजे में कहा।

इतने में उसकी आँखें पावनी के एक अधखुले घुटने पर टिक गईं। उसका ट्राउजर उस जगह से काफी हद तक फट चुका था  और खून से बुरी तरह से सना हुआ था। अचानक ताजे खून की गन्द और ख़ासकर के पावनी के खून की स्मेल सिर्वेश के मस्तिष्क पर हावी हो रहा था। उसकी नाक हल्की-सी सिकुड़ गई।

कहीं न कहीं पावनी ने उसकी हरकत नोटिस कर ली, क्योंकि वह उसे बहुत ध्यान से देख रही थी।

न जाने क्यों वह बिल्कुल उसके सपनों की दुनिया के उस goblin जैसा लग रहा था।  

तभी उसने हल्का सा सिर तिरछा करते हुए पावनी से पूछा—"क्या तुम्हें चोट लगी है?" ये कहते हुए उसने अपनी जेब से एक काला रूमाल निकाला और तेजी से पावनी की तरफ उछाल दिया।

"जल्दी से उसे उस जगह पर रखो और कवर कर लो," यह कहते हुए वह तुरंत दूसरी तरफ मुड़ गया। इसवक्त उसके दोनों हाथ मजबूती के साथ बंधे हुए थे। मानो वो किसी चीज को न करने के लिए खुद को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था।

लेकिन धीरे धीरे ये खूनी महक उसे जैसे पागल कर रहा था। उसका दिमाग चकराने लगा था और उसे डर था कि वो किसी भी पल अपना काबू खो सकता था। उसकी आंखें हल्की सी लाल रंग हो गई थी। जैसे उनमें ज्वाला उतपन्न हो गई हो।

लेकिन पावनी अपनी जगह पर एकदम बुत बनी खड़ी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह सब हो क्या रहा था। इनफैक्ट वो अभी तक भी डील्यूजन में थी।

"सुना नहीं तुमने, बेबी गर्ल? मैंने कहा, कवर करो… Hurry up!"  इतने में सिर्वेश इतने ज़ोर से चिल्लाया कि पावनी की रूह तक काँप गई।

उसकी आवाज बेहद डॉमिनेटिंग थी। पावनी तो इतना ज्यादा डर गई थी कि  उसने डरते हुए जल्दी से नीचे झुककर वह रूमाल उठाया, लेकिन जैसे ही उसने उसे उठाया, उसे अपने नजरों के सामने किसी के लंबे से लेग्स नजर आए ।

इतने में अचानक अपने सिर के ऊपर गर्म सासों के भपके से पावनी को अपने रीढ़ की हड्डी में एक कम्पन सी महसूस हुई  और जैसे ही हिम्मत जुटाते हुए उसने धीरे धीरे करके नजर ऊपर उठाकर देखा तो उसके बिल्कुल गर्दन के सामने अपना एक हाथ करके सिर्वेश खड़ा  हुआ था। वो इसवक्त उसके ऊपर लगभग आधा झुका हुआ था और उसकी लाल हो चुकी आंखें  मानो लहू उगल रही थी।

पावनी को तो समझ ही नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करे , काश उसे भी ये धरती अपने अंदर समेट लेती। लेकिन इतने में सिर्वेश पूरी तरह से अंडरकंट्रोल हो गया।  और उसने पावनी के नाजुक से गर्दन को काफी जोर से पकड़कर उसे एकदम से उठाते हुए उसका मासूम सा चेहरा अपने नजरों के बिल्कुल सामने रख लिया।

ये सब इतनी जल्दबाजी में हुआ था कि पावनी अभी तक भी सदमें में थी।  उसका दम घुट रहा था और उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसने जल्दी से अपने  एक हाथ  से उसके उस हाथ को पकड़ा और दूसरा हाथ उसे दूर पुश करने के लिए जोर से उसके सीन पर रख दिया और उसे घूरते हुए अपनी टूटती हुई आवाज में बोली-” दिमाग खराब हो गया है क्या छोड़ो मुझे, what the hell are you doing?"

इसवक्त पावनी का एक हाथ उसके सीने में उस लॉकेट के ऊपर था। जिससे हल्की हल्की सुकून देने वाली नीली रोशनी निकल रही थी। अचानक पावनी को अपने हाथ में फ्रीजर जितना कोल्ड फील हुआ और उसने जल्दी से नजर झुकाकर उसके सीने की तरफ घुमा दी।

“ये लाइट कैसा था? ये इतना ठंडा क्यों था और उसके छूते ही ये इस तरह से चमकने क्यों लगा था? क्योंकि अभी कुछ देर पहले तक तो उसने ऐसा कुछ भी चमकता हुआ नहीं देखा था।?”  पावनी यहीं सब सोच रही थी । कि इतने में उसे अपने नेक पर जो हार्डनेस था उसकी जगह सॉफ्टनेस फील होने लगा।

जैसे ही उसने महसूस किया कि जिस गिरफ्त में वो अभी घुट रही थी अब वहीं हाथ उसके नेक को इतने आराम से सहला रहा था। तो वो पैनिक नजरों से सिर्वेश को देखने लगी।

 

इसवक्त सिर्वेश काफी जेन्टली उसके नेक को मसाज कर रहा था और वो बिल्कुल भी उससे नजरें नहीं मिला पा रहा था। शायद पावनी के इस तरह से उस नेकलेस को छू लेने से वो काफी हद तक अपने सेंस में वापस आ गया था। लेकिन उसकी नजरें अब भी अपने ऑरिजनल फॉर्म में नहीं लौटी थी। वो अब भी खून की तरह सुर्ख लाल थे।

 

इतने में पावनी रोते हुए जोर से चिल्लाई-” तुम आखिर कर क्या रहे हो ये सब? प्लीज  छोड़ो मुझे।” लेकिन जब सिर्वेश ने उसे कोई जवाब नहीं दिया तो उसने अचानक ग़ुस्से में उसके फेस मास्क को छीनकर एकदम से दूर फेंक दिया।

जैसे ही सिर्वेश को ये एहसास हुआ तो उसके ब्यूटीफुल तरीके से ट्विस्टेड कान हल्के से खड़े हो गए और इतने में उसने उसे लगभग धकेलते हुए खुद से दूर कर दिया और उसने तेजी से अपना गर्दन मूव किया। जब पावनी ने खुद को संभालते हुए अपने नापाक नजरों के सामने देखा तो उसकी साँसें हलक में अटक गईं।

उसकी आँखें चौड़ी हो गईं जब उसने देखा कि उसके सामने खड़े उस अजनबी के मुँह से दो नुकीले दांत बाहर की तरफ निकले हुए थे, जैसे किसी शिकार के लिए तैयार शिकारी हो। उसके शरीर में एक ठंडक दौड़ गई, जैसे ही उसने महसूस किया कि उसका अंत अब बेहद करीब है।

"डैम, .नहीं नहीं.. नहीं... ये कैसे हो सकता है? ये कोई बुरा सपना है, हाँ, हाँ... सपना ही है! वैम्पायर…." पावनी ने खुद को समझाने की नाकाम कोशिश की, लेकिन उसका दिल बेतहाशा धड़क रहा था।

वो चीखना चाहती थी, दौड़ना चाहती थी, लेकिन उसके पैर जैसे जड़ हो गए थे। उसने महसूस किया कि उसकी पूरी दुनिया किसी और ही दिशा में घूम रही थी।

इतने में सिर्वेश आगे बढ़ा और उसने अचानक उसके नजरों के सामने अपनी मुट्ठी बन्द की और धीरे से उसकी तरफ फूँक मारते हुए उस बन्द मुठ्ठी को खोल लिया। पावनी के नजरों के सामने एक पल में सब कुछ धुंधला हो गया और उसके चारों ओर अंधेरा छाने लगा।

जब पावनी को होश आया, तो उसने खुद को एक आलीशान किंग-साइज़ बेड पर पाया। उसके सिर में हल्का सा दर्द था, लेकिन जब उसने अपना बदन टटोला, तो उसे एक भी घाव महसूस नहीं हुआ। वो घबरा कर उठ बैठी।

"ये... ये क्या हो रहा है? मैं यहाँ कैसे पहुँची?"