Adakaar - 14 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 14

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अदाकारा - 14

अभिनेत्री 14*

       "बताओ उर्मि।आज का क्या प्रोग्राम है? कहा जाना हे तुझे"

सुनील ने पूछा।

जवाब में,उर्मिला ने अपने दोनों हाथ सुनील के गले में डाले और उसकी आँखों में देखते हुए कहा।

"मैं तुम्हारी नाव हूँ,मेरे राजा।और तुम मेरा खेवैया हो।मुझे जहाँ चाहो ले चलो।"

"तो चलो कुछ एयसा करते हैं तीन से छह बजे तक की कोई पिक्चर देखते हैं।"

पिक्चर का नाम सुनते ही उर्मिला उछल पड़ी। उसे सिनेमा देखने का एक ज़माने में बहुत शौक था।शादी से पहले,वह हर शुक्रवार को नई फिल्म रिलीज़ होते ही फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने जाती थी।फिल्म कैसी भी हो और कैसी भी हो।फिल्म देखना है तो बस उसे देखना ही है।

लेकिन शादी के बाद सब कुछ बदल गया। ऐसा नहीं था कि अब वे बिल्कुल भी फिल्में नहीं देखते थे।वे देखते भी थे,लेकिन बहुत कम।दो-तीन महीने में एक देख लिए तो देख लिए।क्योंकि सुनील को फिल्में देखने में कोई ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी।उर्मी जब ज़ोर करती तो वो बस दो-तीन महीने में एक बार तैयार हो जाता।और आज जब सुनील ने फिल्म देखने का प्रस्ताव रखा खुद अपनी तरफ से रखा तो वो इतना बेवकूफ़ नहीं थी कि मना कर दे।

   उसने उत्साह से सुनील के होंठों को चूमते हुए कहा।

"सुनील तूने तो ने मेरे जन्मदिन को बहुत खुशनुमा बना दिया।अभी 12:30 बज रहे हैं। मैं जल्दी से खाना बनाती हूँ।फिर हम बाहर चलेंगे।"

   "उहूँ।"

   यह कहकर सुनील ने उसके चुंबन का जवाब चुंबन से दिया।

   "आज हम बाहर रेस्टोरेंट में खाना खाएँगे, जानू।"

   उर्मिला को आज एक के बाद एक सरप्राइज़ मिल रहे थे।

वह खुशी से झूमते हुए बोली।

"वाह!चलो ये तो सोने पे सुहागा हो गया।तुम तैयार हो जाओ। मैं भी जल्दी से तैयार हो जाती हूँ।"

वह नहाने के लिए बाथरूम की ओर भागी। तभी दरवाज़े की घंटी बजी और सुनील यह देखने के लिए लिविंग रूम की तरफ लपका कि कौन आया है।और उसी समय उर्मिला का फ़ोन बज उठा।

घंटी की आवाज़ सुनकर वह पीछे मुड़ी और स्क्रीन पर किसका फ़ोन था यह देखने लगी। स्क्रीन पर शर्मिला का नाम दिखाई दिया।और उसका दिल धड़क उठा।बहुत दिनों बाद शर्मिला का फ़ोन आया था।
सहसा उसके मुंह से निकल आया 
"हे भगवान!आज तो मुझे एक के बाद एक सरप्राइज़ मिल रहे हैं।"

वह मन ही मन बुदबुदाई।और धड़कते दिल से उसने फ़ोन उठा लिया।

"हैलो।"

वह काँपती हुई आवाज़ में बोली।सामने से शर्मिला की धीमी सी आवाज़ सुनाई दी।

"जन्मदिन मुबारक हो उर्मि।"

"तुम्हें भी शर्मिला.."

कई दिनों के बाद शर्मिला की आवाज़ सुनने की वजह से उर्मिला की आवाज़ नम हो गई। उसकी आँखें भी भर आई।शर्मिला समझ गई कि भावुक उर्मि की आँखें नम हो रही हैं। उसने रुँधे हुए स्वर में कहा।

"रो मत उर्मि।मैं हमारे बीच हुई हर बात भूल गई हूँ और तुम्हें भी भूल जाना चाहिए।चलो एक-दूसरे को आज हम माफ़ करते हैं और फिर से आगे बढ़ते हैं।"

मुंह फट शर्मिला की इतनी अच्छी और समझदारी भरी बातें सुनकर उर्मिला का दिल भर आया और वह फ़ोन पर ही बे तहसा रोने लगी। दूसरे छोर से से शर्मिला उसे शांत करने की कोशिश करने लगी।

"शांत हो जा उर्मी।रो मत।मैं बहुत जल्द आकर तुमसे मिलूँगी जैसे मैंने आज तुम्हें फ़ोन किया हे वैसे ही बहुत जल्द में तुमसे आकर मिलूंगी भी।"

लेकिन शांत होने के बजाय उर्मिला और भी ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।

सुनील दरवाज़े पर पहुँचा तो देखा कि उर्मिला के लिए एक कूरियर आया था लेकिन भेजने वाले ने अपना नाम नहीं लिखा था।सुनील समझ गया कि आज उर्मिला का जन्मदिन है, तो ज़रूर किसी ने उसके लिए कोई तोहफ़ा भेजा होगा।जब वह कूरियर लेकर बेडरूम में वापस आया तो उसने देखा कि उर्मिला फ़ोन पर ज़ोर-ज़ोर से रो रही थी।
आखिर फ़ोन पर कौन हो सकता है?उसके मन में एक सवाल उठा।उसने रोती हुई उर्मिला के हाथ से मोबाइल लिया और उसे अपने कान से लगाया।और उसने शर्मिला की बातें सुनीं।

"हम अपने बिगड़े हुए रिश्ते फिर से कायम करेंगे।उर्मि। बीती बातों को भूलकर हम आगे बढ़ेंगे...."

सुनील ने शर्मिला की आवाज़ पहचान ली और कड़वे स्वर में दहाड़ा।

"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ फ़ोन करने की? हमारा रिश्ता कभी अच्छा नहीं था और आगे भी कभी अच्छा नहीं होगा इसलिए दोबारा कभी यहां फ़ोन मत करना।"

"तुम्हें मुझे अपनी बहन से बात करने से रोकने का कोई हक़ नहीं है जीजू।अगर तुम मुझसे रिश्ता नहीं रखना चाहते तो ये तुम्हारी मर्ज़ी हे।लेकिन मैं उर्मिला को फ़ोन भी करूँगा और उससे मिलूँगी भी समजे?"

शर्मिला ने सुनील से दुगुनी कड़वाहट के साथ जवाब दिया।और सुनील उसके जवाब से ओर भी आगबबूला हो गया।

"मेरे घर में कदम रख कर तो देख।"

"मैं बहुत जल्द अपनी बहन से मिलने आऊँगी।जो भी कर सको कर लेना।"

शर्मिला ने सुनील को चुनौती देकर फ़ोन रख दिया।शर्मिला की चुनौती ने सुनील को सिर से पैर तक जला दिया। उसने गुस्से में उर्मिला से कहा।

"तुम्हें उसका फ़ोन उठाने की क्या ज़रूरत थी?"

"सुनील वो मेरी बहन है।"

"और उसके लक्षण क्या हैं?क्या तुम्हें पता है? मैं उससे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता ठीक है?"

(क्या सुनील भविष्य में उर्मिला और शर्मिला को मिलने देंगा?आगे क्या होगा जानने के लिए पढ़ते रहिए,अदाकारा)