Age Doesn't Matter in Love - 22 in Hindi Love Stories by Rubina Bagawan books and stories PDF | Age Doesn't Matter in Love - 22

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Age Doesn't Matter in Love - 22

आन्या अपने कमरे में अकेली थी। खिड़की से आती हल्की सी ठंडी हवा उसके चेहरे को छू रही थी, पर उसके दिल में तूफ़ान मचा हुआ था। कांपते हाथों से उसने फोन उठाया और नंबर डायल कर दिया।

फोन बजते ही उसकी धड़कनें और तेज़ हो गईं। जैसे ही अभिमान ने रिसीव किया, दोनों का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा।

"मा... मान..." – आन्या रोते हुए बोली।

अभिमान के कानों में उसकी टूटी हुई, कांपती आवाज़ जैसे ही पहुँची, उसका दिल पिघल गया। वह बेचैन हो उठा, उसकी सांसें तेज़ हो गईं।

"क्या हुआ मेरा बच्चा? रो मत प्लीज़... बच्चा रो मत, मैं हूँ ना।" – अभिमान की आवाज़ में प्यार और चिंता साफ़ झलक रही थी।

लेकिन आज जैसे आन्या के आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

अभिमान ने थोड़ी सख़्त आवाज़ में कहा –
"अनू... रोना बंद करो, प्लीज़ बच्चा, डोंट क्राय... मैं हूँ ना।"

आन्या ने आँसू पोंछे और भरे गले से धीमे-धीमे बोली –
"पा... पा... पापा..."

यह सुनते ही अभिमान का दिल जोर से धड़कने लगा। एक पल को उसे लगा कि शायद आन्या के पापा ने उसे मना कर दिया, इसलिए वो यूँ रो रही है।

वह गहरी सोच में ही था कि तभी उसकी कानों में फिर से आन्या की मासूम सी आवाज़ गूँजी –
"मान... आप सुन रहे हैं?"

"हम्म..." – अभिमान ने जवाब दिया।

आन्या धीरे से मुस्कुराकर बोली –
"पापा ने कहा है कि आप और माँ-पापा कल हमारे घर आ जाइए..."

अभिमान हैरान रह गया –
"सच में, अनू?"

"हाँ..." – आन्या हल्की सी हंसी के साथ बोली –
"आप टाइम से आ जाना।"

अभिमान की आँखों में खुशी चमकने लगी। उसने फोन पर ही आन्या को किस करते हुए कहा –
"I love you so much, बच्चा।"


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अगले दिन

आन्या का घर रोशनी और चहल-पहल से भरा हुआ था। तभी एक बड़ी सी BMW कार घर के सामने आकर रुकी।

कार से अभिमान उतरा। उसने ब्लैक शर्ट और ब्लू जीन्स पहनी हुई थी, कलाई पर ब्रांडेड वॉच, आँखों में आत्मविश्वास और चेहरे पर हल्की सी मुस्कान। वह बेहद हैंडसम लग रहा था।

अमित जी और सरस्वती जी घर के बाहर खड़े थे। ड्राइवर मिठाइयों और शगुन का सामान लेकर खड़ा हो गया।

घर के आँगन में ममता जी, उनकी जेठानी कामिनी जी और देवर संजय जी खड़े थे।

अंदर आते ही अभिमान ने सबसे पैर छुए।
ममता जी ने उसकी तरफ देखते हुए कहा –
"हमें आपसे कुछ बात करनी है, बेटा।"

अभिमान ने सम्मान से कहा –
"जी माँ, कहिए।"

ममता जी हल्की घबराई सी बोलीं –
"बेटा, आन्या को कभी दुख मत देना। मेरी बच्ची प्यार के लिए तरसी है... आगे ना तरसे।"

अभिमान उनकी आँखों में गहराई से देखते हुए बोला –
"माँ, आप फिक्र मत कीजिए। वो मेरी जान है... उसे दुख देकर मैं खुद को ही दर्द दूँगा। मैं उसे हमेशा प्यार ही दूँगा।"

ममता जी की आँखें नम हो गईं। सरस्वती जी मुस्कुराईं और बोलीं –
"आप तो बहुत खूबसूरत हैं... मेरी बहू भी आपकी तरह ही खूबसूरत होगी।"

अभिमान के चेहरे पर हल्की मुस्कान फैल गई।


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चाय का लम्हा

कुछ देर बाद आन्या चाय का ट्रे लेकर अंदर आई।

उसने ब्लू रंग की साड़ी पहनी हुई थी। बालों की प्यारी सी चोटी, हाथों में चूड़ियाँ, माथे पर छोटी सी बिंदी... वह बेहद खूबसूरत लग रही थी।

अभिमान की नज़रें बस उसी पर ठहर गईं। जैसे दुनिया थम सी गई हो।

सरस्वती जी ने आगे बढ़कर ट्रे उसके हाथ से लेकर टेबल पर रख दी और प्यार से बोलीं –
"तुम तो बहुत खूबसूरत हो, बेटी।"

आन्या शरमा गई और मुस्कुराकर सिर झुका लिया।


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रिश्ता पक्का

तूकाराम जी ने सख़्त लेकिन ठोस आवाज़ में कहा –
"मुझे ये रिश्ता मंज़ूर है।"

इतना सुनते ही अभिमान खड़ा हो गया। उसकी आँखों में खुशी की चमक थी।

आन्या की आँखों में आँसू छलक आए। ममता जी ने राहत की सांस ली। अमित जी ने तूकाराम जी को गले लगा लिया।

खुशी के मारे अभिमान ने बिना सोचे-समझे आन्या को अपनी बाहों में भर लिया।

"आई लव यू सो मच, अनू।" – अभिमान ने उसके कानों में फुसफुसाते हुए कहा।

आन्या शरमा गई, उसके गाल लाल हो गए। सभी ने इधर-उधर नज़रें फेर लीं।

अभिमान ने उसके माथे को चूम लिया। फिर मौका देखकर जल्दी से उसके होंठों को भी हल्के से चूम लिया।

आन्या हैरान रह गई, लेकिन उसका हाथ धीरे से अभिमान के गाल पर चला गया।

अभिमान ने उसका हाथ पकड़कर अपने होंठों से लगाया और धीरे से कहा –
"मैं बहुत खुश हूँ, अनू।"

आन्या उसकी आँखों में खो सी गई। अभिमान ने उसे कसकर सीने से लगा लिया और उसके बालों को सहलाते हुए बोला –
"रो मत बच्चा... प्लीज़।"


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सगाई की बात

अचानक अमित जी ने हल्की सी नकली खाँसी की और बोले –
"भाईसाहब, पानी..."

सब हँस पड़े और माहौल हल्का हो गया।

पंडित जी ने मुहूर्त निकालकर पाँच दिन बाद शादी की तारीख फिक्स कर दी।

अभिमान बोला –
"मुझे सिम्पल शादी चाहिए... सिर्फ फैमिली और कुछ करीबी दोस्त।"

तूकाराम जी सख़्त आवाज़ में बोले –
"ठीक है।"

सरस्वती जी ने ममता जी से कहा –
"अगर आपको कोई एतराज़ न हो तो आज ही सगाई कर लें।"

ममता जी थोड़ा हिचकीं, लेकिन संजय जी तुरंत बोले –
"क्यों नहीं? हम अंगूठी ले आते हैं।"


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कमरे का पल

थोड़ी देर बाद आन्या अपने कमरे में थी।

उसने लाल रंग का लहंगा पहना था। ममता जी उसे तैयार कर रही थीं। उनकी आँखें नम थीं।

"बेटा... हमें माफ कर दोगी ना?" – ममता जी बोलीं।

आन्या मासूमियत से मुस्कुराई और बोली –
"माँ, आपने मेरा प्यार समझा... मुझे समझा। अब माफी क्यों माँग रही हैं? मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है।"

यह सुनकर ममता जी ने उसे गले से लगा लिया। दोनों की आँखों से आँसू बह निकले।


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✨ इस तरह कहानी का हर सीन और भी गहरा, सिनेमैटिक और भावुक हो गया।