Adhuri Kitaab - 6 in Hindi Horror Stories by kajal jha books and stories PDF | अधुरी खिताब - 6

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अधुरी खिताब - 6


🌙 एपिसोड 6 : "खामोश हवेली की नई परछाई"


⏳ धुंध की चादर और अधूरी किताब का रहस्य


मुंबई की उस पुरानी हवेली के सामने रीया शर्मा, राहुल वर्मा और काव्या मिश्रा खड़े थे। हवेली का दरवाज़ा सालों से जर्जर था। उसकी लकड़ी पर धूल की मोटी परत जम चुकी थी। दीवारों की दरारें और टूटे फर्श मानो अपने भीतर एक अनकहा किस्सा छुपाए हुए थे। धीरे-धीरे चारों कदम उस दरवाज़े की ओर बढ़े, जहाँ से उनकी अधूरी किताब की गुत्थी शुरू हुई थी।

काव्या ने फुसफुसाते हुए कहा –

“यह हवेली… यहाँ की परछाइयाँ हर कदम पर हमारे साथ चल रही हैं। यह हमें रोकने की कोशिश कर रही हैं।”


रीया का दिल तेजी से धड़क रहा था। एक अजीब सी सनसनी उसके पूरे अस्तित्व को घेर रही थी। जैसे हवेली हर सांस उसके साथ ले रही हो।

राहुल ने स्थिर आवाज़ में कहा –

“हमें आगे बढ़ना ही होगा। हमें सच का सामना करना है।”


🚪 अजनबी आवाज़ें


जैसे ही उन्होंने हवेली में प्रवेश किया, एक धीमी सी फुसफुसाहट ने वातावरण को और भी रहस्यमयी बना दिया –

“आओ… देखो… देखो… जो छुपा है…”

तीनों ठिठक गए। काव्या ने तुरंत मोमबत्ती जलाई। उसकी धुंधली रोशनी में दीवारों पर अजीब चित्र उभरने लगे। दीवारें मानो खुद-ब-खुद पुरानी बातें बयाँ कर रही थीं।


राहुल ने सवाल किया –

“यह आवाज कहाँ से आ रही है?”


रीया का स्वर कांप रहा था –

“यह… यह हवेली की उन आवाज़ों में से एक है… जो अरविंद देव के समय से यहाँ गूंजती आ रही है।”


काव्या ने गंभीरता से कहा –

“इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह चेतावनी भी हो सकती है।”


🌌 भूतिया कक्ष की खोज


तीनों कदम दर कदम हवेली के सबसे पुराने और अंधेरे कमरे की ओर बढ़े। कमरे का दरवाज़ा भारी और लोहे का था, जिस पर जालेदार धूल की परत जम चुकी थी।

रीया ने झिझकते हुए दरवाज़ा खोला। अंदर एक अजीब सा वातावरण था – दीवारों पर रहस्यमयी चित्र बने थे, फर्श पर गहरे निशान थे, और एक पुराना पेंडुलम धीरे-धीरे झूल रहा था।


काव्या ने गंभीर स्वर में कहा –

“यह वही कमरा है, जहाँ अरविंद देव ने अपने अंधे प्रयोग किए थे।”


रीया ने दृष्टि गहराई से उस कमरे की ओर लगाई। एक पुरानी किताब वहां रखी थी, जिसे समय की परछाइयों ने ढक रखा था। परंतु उसके आस-पास हल्की-हल्की आवाजें गूंज रही थीं, मानो पन्ने फुसफुसा रहे हों।


रीया ने कांपते स्वर में कहा –

“यह… यह वही अधूरी किताब है।”


📚 किताब का रहस्य खुलना शुरू होता है


रीया ने धीरे-धीरे किताब को उठाया। उसके पन्ने अपने आप पलटने लगे। हर पन्ना ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो वह जीवित हो उठा हो।

अचानक एक पन्ने पर लिखा था –

“जो भी इसे पढ़ेगा, उसके अंदर छुपा अंधकार मुक्त हो जाएगा।”


रीया की आँखें खुली की खुली रह गईं।

“काव्या जी, क्या हमें इसे पढ़ना चाहिए?” रीया ने डरते हुए पूछा।


काव्या ने गहरी सांस ली –

“सच का सामना करने के लिए हमें पढ़ना होगा।”


रीया ने पहला पन्ना पलटा। उस पन्ने पर लिखा था –

“यह पुस्तक तुम्हें तुम्हारी सबसे बड़ी भूल से मिलवाएगी। वह भूल जिसे समय ने दबा दिया था।”


📖 आरंभिक भूतिया संकेत


रीया ने आगे पढ़ना शुरू किया, तभी कमरे की रोशनी मंद हो गई। पेंडुलम की गति तेज हो गई।

राहुल ने घबराते हुए पूछा –

“यह क्या हो रहा है?”


काव्या ने पन्नों को ध्यान से पढ़ना शुरू किया –

“जो आत्मा इसमें बंद है, उसकी पुकार अनंतकाल से गूंजती आ रही है। केवल वही जो सच्चाई का सामना करने की हिम्मत रखता है, उसे यह रहस्य दिखेगा।”


तभी एक अचानक चीख की आवाज कमरे में गूँज उठी। रीया का शरीर काँप उठा। वह अपने आप से कह रही थी –

“यह आवाज… मेरी यादों की गहराई से निकल रही थी।”


👻 भूतिया दृश्य का सामना


कमरे के एक कोने से एक धुंधली परछाई उभरी। उसका चेहरा धुंधला था, पर उसकी आँखें रीया की आँखों में गहराई से झांक रही थीं।

“तुम… तुम ही हो…” परछाई ने फुसफुसाया –

“तुमने हमें बंधा था… पर हमें मुक्त करना तुम्हारा कर्म है।”


रीया के मन में तूफ़ान सा उठने लगा। अचानक स्मृतियों के अंधकार में झाँकते हुए उसने देखा –

– वह छोटी रीया थी, किताब के पन्नों को छू रही थी।

– मंत्र पढ़ते समय उसके हाथ से अनजानी ऊर्जा फूट रही थी।

– अरविंद देव की धुंधली परछाई उसके सामने प्रकट हो रही थी।


“मुझे नहीं पता था कि मैं क्या कर रही थी…” रीया ने आँसुओं के साथ कहा।


🌟 आत्मा की शांति


काव्या ने एक शक्तिशाली मंत्र पढ़ा –

“प्राचीन आत्मा, तुम्हें अब मुक्त किया जाता है। अधूरी किताब के पन्ने अब स्थिर हो रहे हैं।”


परछाई ने धीरे-धीरे आँखें बंद कीं। उसके होंठों से एक आखिरी फुसफुसाहट निकली –

“धन्यवाद… अब मैं शांति से जा सकती हूँ।”


कमरे की रोशनी वापस आ गई। पेंडुलम की गति शांत हो गई। किताब के पन्ने स्थिर हो गए।


🚪 नई शुरुआत की ओर कदम


तीनों ने धीरे-धीरे किताब को लोहे के बक्से में रख दिया। इस बार वे उसे पूरी तरह से सील कर चुके थे।

रीया ने खुद से कहा –

“अब मैं अपनी गलती से सीख चुकी हूँ। अतीत के अंधेरे को अपनी ताकत बना लूंगी।”


काव्या मुस्कुराई –

“अब तुम्हारे पास वह शक्ति है, जो सिर्फ सच्चाई और साहस से मिलती है।”


राहुल ने गर्व से कहा –

“हमने मिलकर अधूरी किताब के भुतिया पन्नों को बंद कर दिया। लेकिन सच की खोज कभी खत्म नहीं होती।”


🌅 भविष्य का संकेत


तीनों हवेली से बाहर निकल आए। बाहर की ठंडी हवा ने उन्हें नए जीवन की ओर बुलाया।

रीया के मन में डर नहीं था, बस एक नई उम्मीद थी –

“अधूरी किताब का सच अब अधूरा नहीं रहा। पर यह केवल एक अध्याय का अंत था। नए रहस्य कहीं और छुपे हैं।”


काव्या ने गंभीर स्वर में चेतावनी दी –

“अगला खतरा हमेशा करीब होता है। सतर्क रहना।”


रीया ने अपने दोस्तों की ओर मुस्कुराते हुए कहा –

“हम तैयार हैं।”


🔔 अधूरी किताब की गुत्थी अभी भी अधूरी है…


👉 क्या कोई नई आत्मा इसे फिर से खोलने की कोशिश करेगी?

👉 क्या यह किताब भविष्य में नए रहस्यों को जन्म देगी?


🌫️ अधूरी किताब – अगला अध्याय जल्द ही…



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