Tera Lal Ishq - 7 in Hindi Crime Stories by Kaju books and stories PDF | तेरा लाल इश्क - 7

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तेरा लाल इश्क - 7





"अबे मर गया क्या खड़े खड़े,,," कृषि उसके कान के पास चिल्लाकर बोला।

"अआआआ,,,,क्या कर रहे हैं साहब,,,मुझे बहरा करने का इरादा है क्या,,,?" कामपाल होश में आते ही डर से चीख उठा ।

कृषि ने उसे तिरछी नजर से
घूरते हुए देखा और बोला "अगर ऐसे चिल्लाता नही तो पता कैसे चलता,,, जिंदा खड़ा भी है की नहीं,,, क्या पता निपट लिया सोच कर चार लोग तुझे कंधा देने आ जाते" 

उसकी ऐसी बात सुनकर कामलाल डर से हकलाते हुए उसकी तारीफ करते हुए बोला "अ,,अरे ससाहब,,, शु,, शुभ शुभ बोलिए,,, आ आप जैसे पवित्र
नाम वाले और क,, कमल की तरह खिलने वाले व्यक्ति को ऐसी अशुभ बाते शोभा नहीं देती" 


कृषि उसे घुरकर "अरे वाह,,,क्या बात है,,,अब बड़े इज्जत के फूल झड़ रहे हैं तेरे मुंह से,,,पहले क्या तारीफ की थी भूल गया क्या,,,?"

"अरे साहब,,, जाने दिजिए ना उस वक्त की बात को,,,वक्त गई बात गई" ये बोल वो खीखी हस्ते हुए नौ दो ग्यारह हो गया। 

"बोल तो ऐसे गया जैसे सालो साल पुरानी बात है,,,इस साले को एक दिन ऐसा सबक सिखाऊंगा की इस उम्र मे भी छटी का दूध याद आ जाएगा" 
वो उसे कोसते हुए बड़बड़ाया और लिफ्ट की के अंदर चला गया। 

यहां ऊपर ऑफिस में अलग ही हंगामा खड़ा हो गया था। अगर सही से कहूं तो ड्रामा कुश्ती प्रतियोगिता चल रहा था। 
काशी कनंत को गुस्से से पीटे जा रही थी।
बेचारा कनंत उससे बचने के लिए गिरते पड़ते हुए भागे जा रहा था।
वही एक लड़का सोफे पर बैठे दोनो की कुश्ती प्रतियोगिता देख रहा था उनका इधर से उधर उछलना कूदना अब उसे इरेटिड कर रहा था। 



"कृभिन" उम्र 25, जीनियस,स्मार्ट बंदा,,,दिखने में सीधा सादा लेकिन गलत समय पर इनके मुंह से आग ही निकलती है,,,जिससे पीटते पीटते बच जाते है और कभी तो पीट ही जाते है,,,



ऑफिस का नक्शा बदल रहा था धीरे धीरे 

कृभिन चिल्लाते हुए "अरेरेरे,,,क्या कर रहे हो दोनो,,,? 
रुको,,, टॉम जैरी  का सीन शूट कर रहे हो क्या,,?
ऑफिस का क्या हाल बना दिया,,,काशी छोड़ दो बिचारे को क्यों मार रही हो,,?" 

काशी कनंत के बाल खींच और पीठ पर मुक्का जड़ 
कर "नही,,, आज तो इसका खून करके जेल ही जाना है मुझे" 

"ऐसा भी क्या गुनाह कर दिया,,?
जो उसका कत्ल करने के लिए मरी जा रही हो,,,भगवान के लिए रुक जाओओओ,,,," वो लड़का चिल्लाते हुए बोला। 

काशी बोली "नही कृभिन,,,आज मैं इसे नही छोडूंगी आज मैं अपना हाथ अच्छे से साफ करूंगी इस डीसु पेपर पर,,,और किसी डस्बिन में फेक दूंगी" 

उसके इतना कहते की  कनंत जिसने अपना टूटा चश्मा आंखो पर जबरदस्ती चढ़ा रखा है 
जिसे काशी ने मुक्का मार कर तोड़ दिया था,,, एक आंख का ग्लास तो निकल ही गया था। 

और एक कान का हैंडल भी टूट गया था वो चश्मे को बार बार आखों से चिपकाते हुए 
"भगवान के लिए अगर थोड़ी सी भी हया दया है,,,तो किसी साफ सुथरे डस्बीन में ही फेकना plissssss" 

उसकी बात सुनकर कृभीन ने अपना सिर पीट लिया 
वो मन में बोला "मार खाते हुए भी नौटंकी सूझ
रही साले को,,,मरेगा ये आज"

"हा हा जरूर,,,बहुत बड़ा दिल है मेरा,,,वैसे आज हमारे ऑफिस का डस्बिन खाली है,,,कहो तो उसी में फेक दू,,," काशी गुस्से से तमतमा कर बोली।

"नहीईईई,,,," कनंत जोर से चिल्लाया।

क्योंकि काशी उसे पैर से खींचते हुए डस्बिनलेकर जा रही थी। 

कृभिन बस देख रहा था जैसे कोई मूवी का सीन चल रहा हो,,, कनंत उसे बड़ी उम्मीद भरी नजरो से देख रहा था। 

"ऐसे,,,क्या देख रहा है,,,?" कृभिन एक आईब्रो उचका कर बोला।

" भाईईई,,,,बचा ले मुझे इस महामारी से,,, मैं सौ साल तक तेरा दास बनकर तेरी सेवा करूंगा"  वो सोफे को पकड़े गिड़गिड़ाते हुए बोला।

कृभिन सोचते हुए "इतने साल तक क्या तू जिंदा रहेगा,,,?"
और अपनी उंगली से साल गिनने लगा। 

उसकी बात सुनकर और हरकत देख कर 
कनंत चिढ़चिढ़ाते हुए "साले,,, यहां मेरी जान पर बन आई है और तू,,, मदत करने की जगह साल का हिसाब किताब कर रहा है,,,धिक्कार है तेरी दोस्ती पर हूं"

उसकी बात सुनकर कृभिन ने उसे टेढ़ी स्माइल पास की और बोला "साले धिक्कार की औलाद,,,जब जान पर बन आई हो ना,,,तो अपनी कांव कांव करने वाली चोंच बंद रखनी चाहिए,,," 

कनंत फाटक से "ठीक है अगली बार से ध्यान रखूंगा,,,अब बचा ले" 

कृभिन मुंह बनाते हुए "क्या बचाले,,,? तूने ही बोला ना की साफ सुथरे डस्बीन में फेकना,,,वही तो कर रही है वो,,,और वैसे भी मुझे किसी पागल कुत्ते ने नही काटा,,,जो तुम दोनो के अखाड़े में कूद कर बली का बकरा बन जाऊ" 

"अभी,,,थोड़ी देर पहले तो कुत्ते की तरह ही भौंक रहा था,,, रुक जाओ,,, रुकोओओओ,,, काशीईई,,,क्यों मार रही हो बिचारे को,,,? " 
कनंत उसकी नकल करते हुए बोला। की काशी एक लात उसके पिछवाड़े पर जमा दी,,,

"अच्छा वो,,,वो मैने इसलिए नही बोला की मुझे तुझपर दया आ रही थीं,,,बल्कि मुझे तो
ऑफिस के हालात पर दया आ रही थी,,,पूरा नक्शा ही बदल कर रख दिया तुम दोनो ने" वो अफसोस जताते हुए बोला।

"ऑफिस का नक्शा सही सलामत है मेरे पास,,, तू कबसे झूठ बोलने लगा,,,? कोई कोर्स किया क्या,,,?" 


कृभिन चिल्लाकर "एक बार अपना अखाड़ा छोड़ कर आस पास का खूबसूरत नजारा देख लो,,," 
उसका इतना कहना सुनकर काशी ने कनंत का पैर छोड़ दिया।
और डरी हुई नजरो से चारो तरफ देखने लगी।
  कनंत अपना पैर सहलाते हुए बैठा पहले काशी को घूर कर देखा फिर उसकी नजरो का पीछा करते हुए इधर उधर  उसकी आंखे डर और हैरानी से बड़ी हो गई।

पूरा ऑफिस का कबाड़ा कर दिया था उन दोनों ने मिलकर
"अब ऐसे बुत बने क्यों देख रहे हो,,, लड़ो कुश्ती बागड़ बिल्ले जैसे,,,और वैसे भी ये तुम दोनो की पहली कुश्ती प्रतियोगिता नही है,,,है ना,,,जब भी प्रतियोगिता हुआ तो महान प्राइज भी प्राप्त हुए आप दोनो महान कुश्ती बाजों को,,,तो अब जब हमारी हिटलर लीडर आएगी तो उनको बताना जीत किसकी हुई" 
कृभिन उनको ताना मारते हुए बोला। दोनों उसके दीए गए ताने को अच्छे से समझ रहे थे

दोनों उसे घूरती नजरो से देख 
साथ में "अगर दुबारा चोट खाकर जमीन पर नही गिरना चाहते
और अगर गिर गए तो ऊपर का टिकट भी कट सकता है इसलिए अपना ये आग उगलने वाला मुंह  बंद रखो" कृभिन चुप हो गया।

कनंत और काशी सोच रहे थे की उनकी हिटलर लीडर के आने से पहले कैसे ऑफिस ठीक करे
की कृभिन फिर से उन्हे ताना
कसते हुए बोला "वैसे सोच रहे हो क्या,,,? की क्या इनाम होगा,,,?" 
काशी कनंत उसे पीटने ही वाले थे की,,,,

"इनाम तो मिलेगा लेकिन सिर्फ जितने वाले को नही हारने वाले को भी" 
इस आवाज को सुनकर तीनो डर गए।

और एक दूसरे को इशारों में धमकी दे रहे थे कृभिन इशारों में बोला " मेरा नाम मत लेना वरना तुम दोनो के बैंक खाते से सारे पैसे निकाल लूंगा" 

कनंत बोला,,,"मेरा नाम लिए तो तुम दोनो के फ्रीज के सारे आइस्क्रीम खा जाऊंगा" 

"मेरा नाम लिया तो आइस्क्रीम के साथ तुम दोनो को बदबूदार टॉयलेट में बंद कर दूंगी,,,फिर करना वही आइस्क्रीम पार्टी" काशी ने कहा।

फिर हिम्मत कर नजर उठाकर तीनों ने दरवाजे की तरफ देखा और हेराआआआन,,,, रह गए ।

तीनो एक साथ चीख पड़े "रिहा की बच्चीईईई,,,,,," रिहा उनकी शक्ल और हरकत देख कर हस हस कर लोट पोट हुए जा रही थी।



"रिहा" उम्र 24, खुसुरती की मिसाल,,, एक दम बिंदास और झल्ली लड़की,,,आवाज बदलने में माहिर खिलाड़ी की चालाक से चालाक लोमड़ी फस जाए,,,अपनी आवाज  बदल बदल कर टीम मेंबर्स को डराती रहती है और अभी 
उसने हमारी हिटलर लीडर की आवाज निकाल कर सबको डरा दिया । 

सभी उसे मुंह फूला कर घूर रहे थे।

रिहा हसी कंट्रोल करतें हुए "तो बताओ,,,कैसा लगा मेरे आवाज का जादू,,,,"

"अच्छी आवाज निकाल लेती हो,,," ये आवाज सुन सभी शॉक रह गए।

तो कोन है ये शक्स ? कौन सा भूचाल आने वाला है अब,,,? क्या होगा आगे ? जानने के लिए बने रहे स्टोरी के साथ "तेरा लाल इश्क"