अदाकारा 23*
"अगर तुम उर्मिला से शादी करना चाहते हो, तो तुम्हें हमारे साथ घर-जवाई बनकर रहना होगा।क्या यह मंजूर है?"
मुनमुन सुनील के चेहरे को घूर के देखते हुए कहा।जवाब में सुनील शांत शब्दों में बोला।
"नहीं बिल्कुल नहीं...."
इसके पहले कि वह आगे कुछ कह पाता, मुनमुन ऊँची आवाज़ में बोल पड़ी।
"तो यह शादी नहीं होगी। तुम...."
इस बार सुनील ने मुनमुन को हाथ इशारे से बोलने से बीच में ही रोक दिया।और उसने उत्तम से पूछा।
"पापा।मुझे पता है कि आपकी भी मम्मी से लव मैरेज ही हुआ था।लेकिन में आपसे पूछता हूं अगर आपकी सास ने आपके सामने ऐसी शर्त रखी होती तो आप क्या करते?"
उत्तम को तुरंत समझ नहीं आया कि सुनील के सवाल का क्या जवाब दे।लेकिन सुनील द्वारा पापा कहे जाने की वजह ने उसे सुनील की ओर ज़रूर आकर्षित किया था।इससे पहले कि वह कुछ जवाब दे पाता मुनमुन बीच में ही बोल पड़ी।
"सवाल यह नहीं है कि वहघर दामाद बनता या नहीं,सवाल यह है कि तुम घर दामाद बनना चाहते हो या नहीं?"
"मैं अनाथ हूँ।लेकिन साथ ही,मैं एक खुद्दार भी हूँ और इसलिए मुझे घर दामाद बनना मंज़ूर नहीं है।"
सुनील ने साफ़ शब्दों में कहा।
तो मुनमुन ने भी साफ़ साफ़ कह दिया।
"तो दरवाज़ा खुला है और तुम जा सकते हो।"
"मुन,रुको प्लीज।अब तुम हद कर रही हो।"
उत्तम,जो अब तक चुपचाप बैठा सिर्फ सुन था,उसने मुँह अब अपना खोला और कहा।
"हाँ भाई सुनील।दामाद न बनने का तुम्हारा फ़ैसला मुझे मंज़ूर है।लेकिन तुम अपने मन में कोई ऐसा तरीक़ा निकालो जिससे हम भी संतुष्ट हो जाएँ।"
उत्तम ने सुनील से कहा।
सुनील को सोचने में थोड़ा वक़्त लगा।उर्मिला उत्सुकता और धड़कते दिल से सुनील के चेहरे को देख रही थी।सुनील अपने पिता को क्या जवाब देगा,यह सुनने के लिए उसके कान खड़े हो गए।
कुछ देर सोचने के बाद,सुनील बोला।
"पापा, मम्मी,मैं समझ सकता हूँ कि आप दोनों उर्मिला को लेकर चिंतित हैं।मैं आपके लिए बिल्कुल अजनबी हूँ,इसलिए मुझ पर भरोसा करते हुए आपका झिझकना स्वाभाविक है।इसके लिए मैं इतना तो कर ही सकता हूँ कि आपसे पाँच-सात किलोमीटर दूर एक घर किराए पर ले लूँगा।ताकि आप जब चाहें उर्मिला से मिल सकें।"
"मुन। सुनील का यह प्रस्ताव ग़लत नहीं है। अगर वह उर्मि की खातिर पुणे छोड़कर यहाँ रहने को तैयार है,तो हमें भी थोडा झुकना चाहिए।है ना?"
मुनमुन ने गहरी साँस लेते हुए कहा।
"ठीक है।तुम पुणे जाओ और जो भी सामान वहा से लाना है,उसे ले आवो।तब तक हम तुम्हारे लिए एक घर यहां ढूँढ लेंते हे।"
"ठीक है,तो मैं चलता हूँ?"
सुनील ने छुट्टी माँगी।
"दोपहर में खाना खाने के बाद चले जाना। हमारी शर्मिला भी तीन बजे तक आ जाएगी, इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम उससे भी मिल लो।"
उत्तम ने ज़िद करते हुवे कहा।
उत्तम के कहने के मुताबिक शर्मिला तीन बजे आ गई।
उर्मिला ने उसका परिचय सुनील से करवाते हुए कहा।
"अपने यह होने वाले जीजाजी से मिलो।"
"वाह!उर्मिला कितनी खूबसूरत पर्सनालिटी है। बहुत बढ़िया माल पटाया है तुने।"
शर्मिला के ऐसे बेतुके शब्दों के इस्तेमाल से सुनील अचंभित रह गया।लेकिन उर्मिला ने उसे डाँटा।
"क्या बक रही हो?ज़रा सोच-समझकर बोलो।"
"मैं तो ऐसी हूँ ही।"
शर्मिला ने कंधे उचकाते हुए कहा।
"और उर्मि,ज़रा ध्यान रखना,जो तुम्हें पसंद आती हे,वो मुझे भी पसंद आ जाती है।"
शर्मिला ने आँख मारते हुए कहा।तो उर्मिला ने भी मुंह तोड़ जवाब दिया।
"कपड़े-लत्ते की बात अलग थी,शर्मि।ये मेरा प्यार है।छोटी बहन होने के नाते,साली के रिश्ते से अगर इनसे मिलोगी तब तक कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।लेकिन अगर किसी और निगाहों से इसे देखा तो देख लेना।"
जवाब में,शर्मिला ज़ोर जोर से हँस पड़ीं।
"मैं समझ गई।मैं समझ गई।देखा तुम्हें कैसे चिढ़ाया मैने?मैं तो बस मज़ाक कर रही थी।"
सुनील पुणे चला गया और मुनमुन ने सुनील और उर्मिला के लिए आस-पास ही घर ढूँढना शुरू कर दिया।और उसे मरोल में मनचाहा घर मिल गया।घर बुक करने के बाद,उसने उर्मिला और सुनील की शादी की तारीख भी तय कर दी।
(क्या सुनील और उर्मिला की शादी बिना विघ्न से होगी?जानने के लिए पढ़ते रहिए)