Adakaar - 40 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 40

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अदाकारा - 40

*अदाकारा 40* 

 
      शर्मिला फिल्म *हो गए बर्बाद" की शूटिंग के लिए अपनी कार में अभी बैठी ही थीं के तभी उसका मोबाइल की रिंग बज उठी।
“मै तो दीवानी हो गई 
प्यार मे तेरे खो गई।
बृजेश का नाम स्क्रीन पर दिखते ही शर्मिला ने पहले तो अपना नाक सिकुड़ा।
लेकिन फिरभी उसने फोन कलेक्ट किया।
“कहिए इंस्पेक्टर साहब।क्या कुछ काम था?" 
" सॉरी।शर्मी।क्या अब तक मुझसे नाराज़ हो?”
बृजेश माफी मांगते हुए बोला।
लेकिन शर्मिला के एटीट्यूड मे कोई कमी नहीं आई।उसके आवाज़ से अकड़ टपक रही थी।
“में कौन होती हु नाराज़ होने वाली।”
" नाराज़ नहीं हे तो तु यह किस तरह से बाते कर रही है।" 
“देखो भई।में ठहरी गैर कानूनी कार्य करने वाली एक्ट्रेस।मुझसे दूरी बनाकर ही रखो।”
शर्मिला ने बृजेश को टोंट मारते हुए कहा।
 
बृजेश भी उसकी ये टोंट मारने वाली बातो से तंग आ गया था।
 
"बस,अब बहुत हो गया यार।मैं तुज से मिलना चाहता हूँ।"
 
लेकिन शर्मिला का बृजेश से दोबारा मिलने का बिलकुल ही मन नहीं था।उसने साफ मना करते हुए कह दिया।
 
"मैं पिछले कुछ दिनों से एक फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हूँ।इसलिए मिलना पोसीबल नही है। हम बाद में बात करते हैं।"
 
बृजेश को यह समझने में देर नहीं लगी कि शर्मिला उससे न मिलने के लिए झूठे बहाने बना रही हैं।
 
"मैं जानता हूँ शर्मिला।तु मुझसे न मिलने के बहाने बना रही हो।ठीक हे कोई बात नहीं।"
 
बृजेशने दिल पर पत्थर रखकर कहा और फिर फ़ोन काट दिया।
और वह बीती रात को जिस तरह शर्मिला के ख्यालों में खोया हुआ था उसी तरह वह आज फिर से शर्मिला के ख्यालों में खो गया।
 
  यह वही लड़की है जिसने उस दिन मेरे सामने खुद चलकर अपने शरीर को बिछा दिया था।और आज वह मेरे साथ ठीक से बात तक करने को तैयार नहीं हे।
इसकी आखिर क्या वजह हो सकती है?
बृजेशने अपनी तर्जनी उंगली अपनी दिमाग पर दो तीन बार थपथपाते हुए मन ही मन बुदबुदाया।
 
क्या हो सकता है?क्या वजह हो सकती है? और अचानक उसके मन में एक रोशनी सी कौंधी।एक डरने उसके मन को घेर लिया। शायद शर्मिला कोई गलत कामों की खिचड़ी जरूर पका रही होगी।वरना अचानक से इस तरह मुझसे दूरी बना लेने का कोई मतलब ही नहीं था?
 
और वह कितनी जल्दी और कितनी आसानी से उसके करीब आ गई थी।उसके करीब आने की वजह शायद मुझसे कोई गलत काम करवाना ही रहा होगा।और जब मैंने उसके वह गलत काम करने से मना कर दिया तो अब वह मुझसे किनारा कर रही होगी। 
मगर क्यों?
मुझे किसी भी तरह यह राज़ जानना ही होगा।
 
उसने पाटिल को फ़ोन मिलाया।
 
"नमस्ते।पाटिल।"
 
"हा.सर।नमस्ते"
 
“तुझे शर्मिला पर मैंने नज़र रखने के लिए कहा था।"
 
"जी सर।मैं उस पर नज़र रख रहा हूं।"
 
"कुछ संदिग्ध?"
 
"नहीं।अभी तक तो कुछ नहीं।"
 
"तु ऊस पर ठीक से नज़र रख रहा हैं है ना?"
 
"सर।कोई शक?"
 
पाटिलने मिथुन के अंदाज़ में कहा।
 
"शक तो है।लेकिन आप पर नहीं शर्मिला पर। कुछ दिन और उस पर नज़र रखना।"
 
"ठीक है सर।"
 
    शर्मिला फिल्म सिटी में *हो गए बर्बाद* के सेट पर पहुँचीं,
 
"आइए शर्मिला मैडम आइए।आपका हार्दिक स्वागत है"
 
रंजनने शर्मिला का गर्मजोशी से स्वागत किया।
 
शर्मिलाने भी।
 
"थैंक्यू।"
 
कहकर रंजन का अभिवादन स्वीकार किया।
 
"मैडम।मैंने कल वाले गाने की आज ठीक से रिहर्सल कर ली है।इसलिए शायद आज रीटेक बहुत कम होंगे।" 
 
रंजनने मुस्कुराते हुए कहा।
 
और शर्मिलाने भी उसी मुस्कान के साथ जवाब दिया।
 
"गुड बॉय।अगर तुमने शूटिंग के पहले दिन से ही यह काम कर लिया होता तो फिल्म का बीस प्रतिशत हिस्सा शूट हो चुका होता।"
 
रंजनने गंभीर स्वर से कहा।
 
"कोई बात नहीं मैडम।जब आंख खुली तब सवेरा।ठीक है?"
 
"ठीक है।तो चलिए काम शुरू करते हैं?"
 
यह कहकर शर्मिला तैयार होने के लिए मेकअप रूम में चली गईं।
 
और फिर से उस अधूरे छोड़े हुवे गाने की शूटिंग शुरू हो गई।
 
रंजन गा रहा था।
 
रहती हो दूर दूर क्यूं 
 
करीब आओ।
 
आँखों के रास्ते से
 
दिल में समा जाओ।
 
और इस बार गाने का मुखड़ा सिर्फ़ तीन टेक में तैयार हो गया।
 
मल्होत्रा भी खुश हुए।उन्होंने तालियां बजाकर दोनों की सराहना की।और उनकी तारीफ़ भी की।
 
"बहुत बढ़िया।चलो नाश्ता करते हैं और फिर गाने के अंतरे की शूटिंग शुरू करेंगे।"
 
"मुझे नाश्ता नहीं करना है।मैं बस कॉफ़ी पी लूँगी।"
 
शर्मिला ने कहा।
 
निर्देशकने शर्मिला के लिए कॉफ़ी और अपने ओर रंजन के लिए नाश्ता का ऑर्डर किया।
छोटे से ब्रेक के बाद गाने के अंतरे की शूटिंग शुरू हुई।
 
शर्मिला रंजन की बाहोंमें नागिन की तरह लहरा रही थीं।लहरा लहरा कर वह गा रही थीं।
 
शर्मिला। बाहों में तेरे पिघलती हु ऐसे 
            पिघलती हे शम्मा महफ़िल में जैसे
रंजन। बाहों में मेरे तु मचलती है ऐसे 
          तु ही बता खुद को संभालूं में कैसे
शर्मिला। कमसिन अभी हु चलो दूर जाओ 
रंजन। आंखों के रस्ते दिलमे समा ओ 
           रहती दूर दूर क्यूं करीब आ जाओ 
           आंखों के रस्ते दिलमे समा ओ।
ओर शाम तक में यह पूरा गाना शूट हो गया।
 
(क्या आपको लगता है पाठको। की बिना किसी रुकावट के फिल्म पूरी हो जाएगी? पढ़ते रहिए अदाकारा)