🌘 एपिसोड 33 — “खून से लिखी किताब”
(सीरीज़: अधूरी किताब)
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1. लाल स्याही की सुबह
दरभंगा की हवेली में सूरज नहीं उगा।
खिड़कियों से बस एक लाल धुंध भीतर घुस आई थी —
जैसे किसी ने रोशनी की जगह खून की बूंदें फैला दी हों।
टेबल पर वही किताब थी — The Soul Script —
पर अब उसका कवर गहरा नीला नहीं,
गाढ़ा लाल हो चुका था।
किताब के कोने से धीरे-धीरे धुआँ उठ रहा था,
और जब आर्या ने उसे छुआ —
उंगलियों पर लाल दाग़ रह गया।
> “अब स्याही खून बन चुकी है…”
उसके कानों में किसी की ठंडी आवाज़ गूंजी।
आर्या ने पीछे देखा —
दीवार पर परछाईं थी, पर कोई शरीर नहीं।
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2. टाइपराइटर की चीख
रात की खामोशी को एक अजीब आवाज़ ने तोड़ दिया —
“टिक... टिक... टक-टक...!”
आर्या ने मुड़कर देखा —
टाइपराइटर फिर चलने लगा था।
पर इस बार उसके की-बटन से स्याही नहीं,
खून की बूँदें टपक रही थीं।
हर शब्द के साथ हवा में गंध फैल रही थी —
धातु, राख और मौत की।
> “Chapter 2: The Blood Writes Back”
टाइपराइटर खुद बोल रहा था —
“रूह की कहानी अब मौत लिखेगी।”
आर्या काँप गई।
“कौन चाहता है ये सब?”
दीवार पर अक्षर उभरे —
> “किताब कभी अधूरी नहीं रहती...
जो उसे पढ़े, वो उसका हिस्सा बन जाता है।”
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3. खून के अक्षर
कमरे की दीवारों पर अब शब्द खुद-ब-खुद उभर रहे थे —
नीले नहीं, लाल चमकते अक्षर।
“रूहानी सेन — पहले लेखक”
“काव्या सेन — भटकी आत्मा”
“आर्या राठौर — रक्त से पुनर्जन्मी लेखिका”
आर्या पीछे हटने लगी, पर फर्श से स्याही की लकीर उठी,
और उसकी टखनों के चारों ओर घूम गई —
जैसे किसी ने उसे बाँध लिया हो।
वो चिल्लाई — “छोड़ दो मुझे!”
पर हवा में हँसी गूंजी —
> “अब तुम छोड़ नहीं सकती…
क्योंकि अब तुम ‘किताब’ हो।”
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4. हवेली की रूहें जागीं
अचानक हवेली की हर खिड़की खुल गई।
अंधड़ चला।
और दीवारों से रूहों के साए निकलने लगे।
रूहानी की रूह आगे आई —
चेहरा नीला नहीं, अब खून से लथपथ।
उसकी आँखों में आँसू नहीं, लाल धुंध थी।
> “आर्या... हमने लिखा था दर्द,
पर तुम लिख रही हो अंत…”
आर्या ने काँपते हुए कहा,
“मैं तो बस सच्चाई जानना चाहती थी।”
काव्या की रूह बोली —
> “सच्चाई जानने की कीमत...
हमेशा ‘खून’ होती है।”
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5. खून की किताब
टेबल पर रखी किताब अचानक खुली।
अंदर के पन्ने खाली नहीं थे —
बल्कि हर पन्ने पर किसी का नाम और मौत की तारीख लिखी थी।
आर्या ने देखा —
अगला खाली पन्ना चमक रहा था।
और फिर —
उसका नाम खुद उभर आया।
> “ARYA RATHORE — 31 October — Rewritten in Blood.”
वो चिल्लाई — “नहीं!!”
पर टाइपराइटर चलने लगा —
हर कीबोर्ड स्ट्राइक के साथ उसके दिल की धड़कन धीमी हो रही थी।
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6. आखिरी सीन — किताब का जन्म
हवेली के बाहर वही नीली लौ फिर जली,
पर इस बार उसके बीच लाल लपटें उठीं।
खिड़की से देखा जा सकता था —
आर्या अब इंसान नहीं, किताब बन चुकी थी।
उसका चेहरा धीरे-धीरे शब्दों में ढल गया।
आँखों से निकलती स्याही ने उसके शरीर को निगल लिया।
अब टेबल पर नई किताब रखी थी —
> “The Soul Script — Blood Edition”
By: Arya Rathore (The Cursed Writer)
और नीचे एक अंतिम पंक्ति उभरी —
> “हर अधूरी कहानी अपना लेखक खा जाती है…”
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🩸 एपिसोड 33 समाप्त
🕯️ आगामी एपिसोड 34 — “हवेली की खामोश पुकार”
जहाँ कोई अनजान पत्रकार दरभंगा पहुँचता है,
और उसे हवेली से वही खून की गंध आने लगती है...
पर इस बार किताब खुद उसे बुला रही है।