*अदाकारा 62*
शर्मिलाने अपने दिमाग पर ज़ोर लगा कर याद करने की कोशिश की ऐसा कौन हो सकता है जो मुझसे इतनी नफ़रत करने लगा। और मुझे जान से मारने को तैयार हो गया? तभी एक नाम उसके मस्तिक मे उजागर हुआ और उसका शक अब यकीनमे तब्दील हो गया कि मैंने इसी आदमी को सबसे ज़्यादा परेशान किया है।और यही वो हो सकता है जो मुझे मरवा या मार सकता है।
लेकिन अब मैं क्या करूँ?वो चिंता में डूबी जा रही थी।डर के कारण सहमी जा रही थी
ये जाल खुद उसने बुना था।और अब वो खुद उसी जालमे उलझ गई थी।एयसे हालत का सामना करने की कुव्वत उसमें नहीं थी।
पहले तो अपने निडर स्वभाव की वजह से उसे अपनी ताकत पर भरोसा था।उसे हमेशा लगता था कि कौन और क्या उसका बिगाड़ लेगा?
लेकिन कातिलने उसे सामना करने के बजाय सैफ बिल मे छुपने को मजबूर कर दिया था।
शर्मिला की जगह गलत फहमी मे उस कातिल ने उर्मिला को मौत के घाट उतार कर उसका सेल्फ-कॉन्फिडेंस बिलकुल ही तोड़ दिया था। उसे लगा कि जब कातिल को पता चलेगा कि उसने जिसे मारा है वो शर्मिला नहीं बल्कि उर्मिला है तो वो मुझे भी नहीं छोड़ेगा।
अब अगर उसे उस कातिल के चंगुल से बचना है तो उसे किसी ना किसका तो सहारा लेना ही पड़ेगा।और वो जानती थी कि उसके लिए ऐसा सिर्फ़ एक ही मजबूत सहारा है।और वो था बृजेश।
और अगर उसे बृजेश की मदद लेनी है तो उसे पहले तो सारी बातें सच सच बतानी होंगी।उसे अब तक हुई हर जानकारी से वाकिफ कराना होगा।
और जब वह बृजेश को सच बता देगी तो वह बृजेश की नज़रों से उतर जायेगी।ओर हो सकता है कि बृजेश उससे नफ़रत भी करने लगे।
लेकिन अगर उसे अपनी जान बचानी है तो उसे बृजेश की नज़रों से उतर जाने का रिस्क उठाना होगा।अगर उसकी जान रही तो वह फिर से बृजेश को मना कर उसके करीब आ सकती है।
जान है तो ही जहान है।लेकिन अगर उसकी जान ही नहीं रही तो?
जो होगा देखा जायेगा यह सोच कर पक्के इरादे के साथ उसने अपना फ़ोन हाथ मे लिया जिसे उसने दो दिन से बंद करके रखा हुआ था।
"ले भाई तेरा काम हो गया।"
यह कहकर उर्मिला के कातिल ने उर्मिला का मोबाइल उस आदमी को दे दिया जिसके इशारे पर कातिल ने उर्मिला का मर्डर किया था।
"अब मेरा बचा हुआ माल मुझे दे दो ताकी मैं कुछ दिनों के लिए अंडरग्राउंड हो जाऊं।"
"मैंने तुम्हें पचास हज़ार रुपये एडवांस दिए हैं हैना।पहले उसे खतम करले बाद में देखते हैं।”
कातिलने बहुत शांति से कहा।
यह सुनते ही वह आदमी भड़क गया।
"देखो सर काम करा लेने के बाद अगर आप माल देने के लिए लटकावोगे तो अच्छा नहीं होगा।"
कातिलने आँखों से जैसे खून बरसाते हुए कहा।
"अच्छा?क्या कर लेगा तु?"
उस आदमी ने कातिल को चैलेंज करते हुए कहा।
तो कातिल का गुस्सा अब सातवें आसमान पर था।
"जो एक मर्डर कर सकता है तो वो दूसरा भी कर सकता है।"
कातिल ने अब खुली धमकी दी।
और उसकी खुली धमकी सुनने के बाद वह आदमी मज़ाकिया अंदाज़ मे बोला।
"अरे बापरे!में तो डर गया।ये तेरी धमकी तेरे पास ही रख ठीक है?मेरे पास अभी और तुझे देने के लिए पैसे नहीं हैं जब मेरे पास होंगे तो मैं खुद तुझे फ़ोन करके बुला लूँगा।"
उस आदमी ने कातिल को साफ़ साफ़ शब्दों में कह दिया।
कातिल ने भी उसे बड़ी-बड़ी आँखों से घूरते हुए देखा।
और फिर जाते जाते धमकाते हुवे कहता गया।
"तूने जग्गू से पंगा लिया है और यह तुजे बहुत महंगा पड़ने वाला है।"
"अबे जा।पुलिस स्टेशन जाकर कंप्लेंट लिखा मेरे नाम की।"
जग्गू गुस्से में वहाँ से पैर पटकते हुए चला गया।
और मर्डर करवाने वाले उस आदमी ने उर्मिला का मोबाइल हाथ में लेकर उसे ओपन किया। ओर वह उस फोनमे कुछ ढूंढने लगा।लेकिन यह क्या है?शर्मिला के साथ यहां ज्यादा से ज्यादा सुनील की ही तस्वीरें क्यों हैं?
और जब उसके दिमाग की बत्ती जली तो उसके मुँह से निकला।
”हे ईश्वर!यह तो गड़बड़ हो गई।मारना था शर्मिला को ओर उसकी जगह बेचारी उर्मिला बलि का बकरा बन गई।अब?"
वो बेचैन हो गया।ओर सोचने लगा जिस टेंशन से छुटकारा पाने के लिए इतना बड़ा रिस्क लेना पड़ा।वह टेंशन तो वहीं का वहीं रहा।
अब तक वह एक साफ सुथरी ओर टेंशन-फ्री ज़िंदगी जी रहा था।लेकिन उससे अपनी काम लालसा के कारण एक गलती हो गई।और उस गलती को सुधारने के लिए उसने शर्मिला को मरवाने का फैसला करना पड़ा।लेकिन वो भी उलटा पड़ गया।शर्मिला की जगह उर्मिला मारी गई।
और उसकी प्रॉब्लम तो जहां थी वहीं की वहीं थी।ओर अब वह जग्गू जैसे गुंडे से भी पंगा ले बैठा था।अगर वह अपनी इस उलझी हुई प्रॉब्लम को फिर से ठीक करना चाहता है तो अब आगे जो भी करना है उसे खुद ही करना होगा।
अगर वह अपनी आगे की ज़िंदगी बिना टेंशन के जीना चाहता है तो उसे शर्मिला की ज़िंदगी को अपने हाथों से ही खत्म करनी होगी।
और अब वह अच्छी तरह जानता था कि शर्मिला इस वक्त कहाँ होगी।उसने दृढ़ निश्चय के साथ किचन में से चिकन काटने वाला चाकू उठाया और वो निकल पड़ा बीमानगर की ओर।
(पाठको।क्या आप जान गए हो कि वह इंसान कौन है और वह शर्मिला को क्यों मारना चाहता था)