Adakaar - 66 in Hindi Crime Stories by Amir Ali Daredia books and stories PDF | अदाकारा - 66

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अदाकारा - 66

*अदाकारा 66*

 
  कातिल हॉल में आ चुका था।और अब वह शर्मिला के खून से सने चाकू से बृजेश पर हमला करने के लिए ठीक बृजेश के पीछे आकर खडा हो गया जहां बृजेश बेहोश शर्मिला को अपने गले से लगाए हुए बैठा था।
और 
“शर्मी..शर्मी..शर्मी.”
कहकर शर्मिला को पुकार रहा था।
 
 कातिल ने बृजेश की पीठ के पीछे खड़े होकर अपना चाकू वाला हाथ बृजेश पर हमला करने के लिए जैसे ही उठाया।ठीक उसी वक्त सुनील ने अपने घर में पांव रखा।
उसने देखा की कातिल इंस्पेक्टर पर वार करने जा रहा है तो उसने स्फूर्ति से दौड़ कर कातिल का चाकू वाले हाथ की कलाई पकड़ लि। बृजेश ने घबराकर पीछे मुड़कर देखा तो कांस्टेबल जयसूर्या के हाथ में चाकू था और सुनील के हाथ में जयसूर्या के चाकू वाले हाथ की कलाई थी।
 
  बृजेश अवाक रह गया।जयसूर्या को इस रूप में देखकर।जिसे वह अपना बड़ा भाई मानता था और उसकी बे इंतहा इज्ज़त करता था। जिससे वह अपने से बड़ा होने के कारण हमेशा सलाह मशहरा कर लेता था। जिसका वह सबसे ज़्यादा आदर करता था।
 
वह जयसूर्या और कातिल?
 
शर्मिला को ज़मीन पर लिटाकर वह तेज़ी से खड़ा हुआ।और सुनील के साथ छीना झपटी करते हुए जयसूर्या के हाथ से उसने चाकू छीन लिया।
ओर आश्चर्य भरे स्वर मे बोला।
"जयसूर्या भाई।क्या तुम कातिल हो?शर्मिला ने मुझे फ़ोन पर बताया था कि उसे तुम पर शक है।लेकिन मैंने उसकी बात पर यकीन नहीं किया।क्यों जयसूर्या भाई?आखि़र क्यों तुमने ऐसा कदम क्यों उठाया?"
 
"ये।ये नागिन मुझे ब्लैकमेल करना चाहती थी।"
 
जयसूर्या ने आवेश में कहा।
 
"ब्लैकमेल?और तुम्हें?वो कैसे?ओर क्यूं"
 
ब्रजेश ने एक साथ चार सवाल दागे।
 
"याद है सर?पहले उसने तुम्हें अपने प्यार के जाल में फँसाया था और कहा था कि मेरा गैर-कानूनी काम करोगे?और तुमने उसे साफ़ मना कर दिया था और उससे किनारा कर लिया था?"
 
"हाँ।यह सच है।तो?"
 
"फिर उसने मुझे अपने मायाजाल में फँसा लिया।उसने हमारी बीच जो भी बातचीत हुई उसे रिकॉर्ड कर ली।इस मैडम ने हमारे बीच हुवे प्यार के खेल का वीडियो भी बना लिया और फिर उसने मुझसे वही सवाल पूछा जो तुमसे पूछा था।कि मैं उसके लिए गैर-कानूनी काम करूँ।मैंने भी पहले तो इंकार किया तो उसने मुझे ब्लैक मैल करते हुए धमकी दी कि अगर मेरा काम नहीं किया तो वह..वह वीडियो ओर वह कॉल रिकॉर्डिंग एक मेरे घर और दूसरा पुलिस स्टेशन मे आपको भेज देगी।"
 
"और वह गैर-कानूनी काम क्या था?"
 
 ब्रजेशने पूछा।
 
"याद है जब हमने पहली बार उससे MD नामक ड्रग्स ज़ब्त की थी?"
 
   "हा.हा मुझे अच्छी तरह याद है."
 
"उसे बस वो MD ड्रग्स वापस चाहिए थी और अपनी इज़्ज़त ओर नौकरी दोनो को बचाने के लिए मैंने आपसे छिपकर उसे वो ड्रग्स लौटा भी दिया था लेकिन..."
 
   "लेकिन क्या?"
 
 "फ़िर चार दिन बाद उसने फिर से मुझे हर हफ़्ते इतनी ही ड्रग्स लाने का ऑर्डर दिया.. और यह मेरे बस की बात नहीं थी।मैंने हाथ जोड़कर उससे कहा मैडम।मैं यह नहीं कर सकता तो उसकी धमकी तैयार ही थी कि मैं वीडियो पब्लिश कर दूँगी।तो उसके चंगुल से निकलने के लिए मैंने जग्गू को दो लाख रुपये की सुपारी दे दी।लेकिन जग्गू जब इसे मारने इसके घर गया तो वहां इसकी हमशक्ल बहन थी ओर जग्गू ने गलती से ईसकी बहन को मार डाला।और जब मैंने उर्मिला का मोबाइल चेक किया तो मुझे पता चला कि जिसका मर्डर हुआ था वह शर्मिला नही बल्कि उर्मिला थी।और मुझे अंदाजा आ गया की अब शर्मिला कहा हो सकती है।इसलिए मैं उसे खत्म करने यहाँ आया था."
 
जब जयसूर्या ने अपनी बात पूरी की तो बृजेश ने एक ठंडी आह भरते हुए कहा.
 
"तुमने एक गलत कदम उठाया और फिर उसे छिपाने के चक्कर मे किसकी हत्या की सुपारी दे दी।ओर अब दूसरा कत्ल भी करीब करीब अपने हाथों से कर चुके हो।देखो अब किस तरह खून से सना चप्पू लेकर तुम मेरे सामने खड़े हो।एक कातिल की तरह मुजरिम बनकर अगर तुमने इस बारे मे मुझसे बात की होती की शर्मिला तुम्हें ब्लैक मैल कर रही है तो हम बैठ कर कोई अच्छा हल निकाल सकते थे."
 
  बृजेश ने बहुत भारी मनसे और जयसूर्या को हथकड़ी पहनाई।
 
और शर्मिला को एम्बुलेंस से ब्रह्मा कुमारी हॉस्पिटल मे पहुंचाया।
 
जयसूर्या की बाते सुनकर शर्मिला के लिए जो उसके दिल में फीलिंग्स थी वो सारी पस्त हो गईं थी।
लेकिन फिरभी वह अगले दिन उसका हाल जानने के लिए ब्रह्मा कुमारी हॉस्पिटल गया।
 
शर्मिला बेड पर उलटी लेटी हुई थी।उसके कंधे से पीठ तक बहुत लंबा घाव हो गया था और डॉक्टर को वहाँ काफी टांके लगाने पड़े थे। शर्मिला को होश तो आ गया था।लेकिन बहुत ज़्यादा खून बह जाने के कारण उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया था।
 
“शर्मिला।मैंने तुजे क्या समझा था ओर तु क्या निकली?आखिर क्या मिला ये सब करके?”
 
बृजेश ने निराश स्वरमें कहा।
 
जवाब में शर्मिला ने रुस्क आवाज़ में अटक अटक कर कहा।
 
"मैं।मैं बहुत बुरी हूँ बृजेश।हो सके तो मुझे माफ़ कर देना।मैं सच में तुम्हारे लायक नहीं हूँ. और मैं तुमसे ये भी नहीं कहूंगी कि मुझे अपनालो।क्योंकि मैंने तुम्हें प्यारके बदले केवल धोखा ही दिया है।बहुत घिनौना कृत्य किया है।बड़ा विश्वासघात किया है मैने तुम्हारे साथ।लेकिन अब मैंने अपने मन में तय कर लिया है कि अब मैं इंडस्ट्री छोड़ दूँगी और एक हाउसवाइफ ही बनके रहूँगी..."
 
बृजेश शर्मिला की आँखों में झलकती सच्चाई देख रहा था।उसे शर्मिला की आँखों से बहते हुए आँसूओ के साथ सच्चाई भी छलकती हुई दिख रही थी.
 
 बृजेश ने अपने ऊपर के दाँत अपने नीचे वाले होंठ पर दबाए और फिर अपनी दो उंगलियों से शर्मिला की ठुड्डी को ऊपर उठाते हुए कहा.
 
"पहले तुम एक बार ठीक हो जाओ शर्मी।फिर एक कांस्टेबल को ब्लैकमेल करने के जुर्म कि सजा भुगत लो।तुम अपनी सज़ा काटकर जब लौट कर आवोगी तब तक मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा शर्मि।"
 
 
शर्मिला बहती हुई आँखों से बृजेश को देख रही थी।शर्मिला के बहते आँसूओ को बृजेश अपनी उंगलियाँ से पोंछ रहा था।
और इस वक्त शर्मिला की आंखों से जो अश्रु की धारा बह रही वह किसी एक्ट्रेस की एक्टिंग नहीं थी बल्कि यह एक औरत के ह्रदय की असली सच्चाई थी।
और था अपने गुनाहों का सच्चा प्रायश्चित।
 
                 समाप्त