Tera Lal Ishq - 23 in Hindi Crime Stories by Kaju books and stories PDF | तेरा लाल इश्क - 23

The Author
Featured Books
Categories
Share

तेरा लाल इश्क - 23









ये ep समझने के लिए इससे पहले वाले ep जरूर पढ़ें।

मितेश मिकी को काला भंडार में जासूसी करने को बहका रहा था लेकीन बीच में वो ऐसी बात बोल दिया जिससे मिकी सतर्क हो गया। अब आगे,,,,

"एक बार फिर सोचले क्युकी ये काम थोड़ा रिस्की है" 

"कही वो अफवाह सच तो न की जो वहा अकेले जाता कभी वापस नहीं आता?" मितेश की बात सुन मिकी बोला और उसे शक और सवाल भरी नज़रों देखने लगा।
   
"शीट यार,,,मुझे ये रिस्की वाली बात बोलनी ही नही चहिए थी कही मेरा दाव उल्टा ना पड़ जाए" वो मन में खुद को कोसने लगा। 
फिर मिकी को पूरा भरोसा दिलाते हुए बोला "अरे यार तू रिपोर्टर होकर फेकिंग न्यूज के जाल में फस गया" 

"व्हाट,,,? फेकिंग न्यूज?" मिकी आंखे बड़ी कर हैरान रह गया।

मितेश आगे बोला "हा होते है ऐसे कुछ रिपोर्टर जिन्हे सच्ची news नही मिलती तो अपनी तरफ से कुछ कचरा फैला देते,,,ये सब छोड़,,,मैं तो तुझे इसलिए सतर्क कर रहा था क्युकी वो मुरीद news रिपोर्टर वाले को देखते ही गाली गलौज देकर भगा देता है इसलिए तुझे उसके पीठ पीछे सब कुछ पता लगाना होगा,,," 

"बिलकुल क्राइम रिपोर्टर की तरह,, है ना"  मिकी बीच में चहकते हुए बोला।

"हा हा यही सही मौका है अपनी टेलेंट को साबित करने का आज शाम को ही निकल जा"
उसकी बात सुन मिकी हैरानी से "शाम को लेकीन अंधेरा हो गया तो?" 

"अबे घोंचू,,,रात के अंधेरे में और भी ज्यादा आसान होगा ये काम करना,,,मैं चलता हू मुझे भी कुछ जरूरी काम है वरना मैं तेरे साथ चलता "उसकी बात सुन मिकी खुशी के मारे रो पड़ा और उसके गले लग गया "थैंक्स यार मीतू,,, मैं बहुत खुश नसीब हु की मुझे तेरे जैसा दोस्त मिला कितना सोचता है तू मेरे बारे में इतना तो अपना भी ना सोचे मुझे समझ में नहीं आ रहा की मैं और क्या कहूं" 

मितेश उसकी पीठ थपथपा कर चालाकियत से मुस्कुराया फिर अलग होकर "कुछ मत बोल मै सब समझता हूं आख़िर तेरा बेस्ट फ्रेंड हु,,,चल तू चुपके से संभल कर जाना और जब वहा से बाहर निकलो तो सबसे पहले मेरे घर आना,,,O my God मुझे देर हो रही मै चलता हू by" 
अपना काम होते ही मितेश बहाना मार के वहा से निकल लिया।

और फिर वो तयारी करने लगा काला भंडार में घुसने की
टैक्सी से वो काला भंडार एरिया से दूर ही उतर गया ताकि कोई देखे ना पर बिचारे को क्या पता काला भंडार में कितनी भी छुपे रुस्तब बनने की कोशिश कर लो किसी न किसी की नजर में आ जाओगे वही के टपरी के चाय वाले ने उसे देख लिया और तुरंत मुरीद को खबर करने भाग निकला इससे अनजान मिकी छुप छुप कर आगे बढ़ रहा था।
ऐसे ही आगे बढ़ते बढ़ते वो पुलिस चौकी के पास पहुंच गया और उस कबाड़ चौकी के दीवार से चिपक चिपक कर खिड़की की तरफ बढ़ने लगा खिड़की का कांच टूटा हुआ था अंदर का नजारा साफ देखा जा सकता था उसने जो देखा उसका दिमाग सुन्न पड़ गया।

वर्तमान 
काला भंडार
समय सुबह के 5 बजे 
हर तरफ अंधेरा धुंध ही धुंध और खामोशी  छाई हुई थी और उस खामोशी को चीरते हुए किसी की धीमी गति से चलने की आवाज आ रही थीं जैसे कोई एक एक कदम फूक फूक कर चल रहा हो।
तभी अचानक चट्ट की आवाज आई और किसी की फुसफुसाहट "क्या है ? मार क्यू रही? दिखता नहीं मैं काम कर रहा हू डिस्टर्ब मत करो और जाकर अपना काम करो" ये कनंत ही है जो लेखिका के नक्शे कदम पर फुक फुक कर चल रहा था की काशी ने उसे चाटा रसीद कर दिया।

"हा हा देख रही कैसे फूक फूक कर काम कर
रहे,,, बेवकूफ कही के" काशी गुस्से में धीमी आवाज में बोली।
कनंत खिसियानी हसी हस्ते हुए "मैं तो बस लेखिका की लिखी डायलॉग यूज कर के देख रहा था"

"ए चुप रह एक तो पहले ही बहुत टेंशन है" कृषभ झल्लाते हुए बोला।

"क्यू आपकी कौन सी गर्लफ्रेंड आपको छोड़ दी" कृषि की बात पर सभी कृषभ को घूरने लगे सभी के साथ आशना को भी अपनी तरफ़ घूरता देख कृषभ खीजते हुए "चुप साले मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं और,,, और ये ये कौन सी का क्या मतलब है हा,,,मैं क्या दस पंद्रह gf बनाता हु" 

"तो टेंशन इस बात की हैं की कोई बन नही रही?" इस बार कनंंत अपना तीर धारी शब्द छोड़ा कृषभ हड़बड़ी में बोला "हा,,, (ध्यान आते ही) ह क्या क्या बोला साले?" आशना छोड़ सभी मुंह दबाए हंसने लगे। 

"ही ही ही,,,टेंशन काहे ले रहे सर?" कनंंत खिसियानी हसी हंसकर बात ही बदल दिया तो
कृषभ उसे घूरते हुए गुस्से में "मिकी ने कहा था उसने एक लड़की को बेहोश होते देखा" 

"पर यहां तो कचरा भी नही है " काशी ने हताश होकर ।कहा। 

तो वही रिहा शक करते हुए "उस मिकी ने सच बोला या अपने दोस्त के साथ मिलके हम जासूसों को बेवकूफ बना रहा" 

"कुछ हाथ नही लगा जिससे शक तो मुझे भी ही हो रहा" कृषभ मुट्ठी भींच बोला। 

"अगर वो मिकी का बच्चा झूठ बोला होगा ना तो तो तो,,," कनंत अपनी बक बक फिर शुरू करने वाला था की 

"ए चुप चाप छान बीन करो,,, वरना लेखिका से कहकर तुम सबको को स्टोरी से बाहर फिकवा दूंगी भिकारियो की Industry में भी नही आओगे तुम लोग" इस लड़की की गुस्से भरी आवाज के बाद सुई तक गिरने की आवाज़ नही आई। तो अब समझ जाओ ये लड़की कौन और कौन आशना के अलावा।

जैसे ही मिकी ने बताया कि उसने काला भंडार के इंस्पेक्टर मुरीद को एक लड़की को बेहोश करते हुए देखा ये सुन सभी मिकी को वही क्लीनिक रूम बंद कर कृभिन और भीनी को उसकी निगरानी में छोड़ सभी काला भंडार की ओर निकल पड़े आखिर बहुत बड़ा राज बाहर आया था। 
लेकिन उनके पहुंचने से पहले ही मुरीद सारा काला धन समेट भाग निकला।
अब देखना ये था की सुबह की किरण कोई हमारे जासूसों के हाथ में सबूतों की आशा लेकर आती हैं या नहीं।

तो क्या होगा आगे जानने के लिए बने रहे स्टोरी के साथ।🙏🤗🤗🤗🤗🤗🤗😊😊😊😁🙏😁