MEHAMAN - Jo Kabhi Gaya Hi Nahi in Hindi Horror Stories by InkImagination books and stories PDF | MEHAMAN - Jo Kabhi Gaya Hi Nahi

Featured Books
Categories
Share

MEHAMAN - Jo Kabhi Gaya Hi Nahi

"कुछ कमरे कभी खाली नहीं होते..."


प्रिय पाठकों,


वक़्त बदलता है, लोग बदलते हैं, लेकिन कुछ यादें हमेशा वहीं ठहर जाती हैं। कुछ अधूरी बातें, अधूरे लोग, और अधूरे एहसास...


जब आरोही नए शहर में आई, तो उसे लगा था कि उसकी ज़िंदगी एक नई शुरुआत लेने जा रही है। नया कमरा, नई जगह, नई दोस्ती... सब कुछ एक नई सुबह जैसा था। लेकिन हर कमरा सिर्फ़ ईंटों और दीवारों से नहीं बना होता। कुछ कमरे अपने अंदर कहानियाँ समेटे रखते हैं। ऐसी कहानियाँ जिनका कोई अंत नहीं होता, जो अतीत से निकलकर आज में सांस लेती हैं।


इस कहानी में हम उन अनकहे राज़ों और अधूरे एहसासों की दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं, जो हर किसी के दिल में कहीं छुपे रहते हैं। जब भी आप इस सफर की शुरुआत करेंगे, तो याद रखिएगा—हर कमरा, हर मोड़, एक नई दास्तान लेकर आता है। ये कहानी है एक ऐसे मेहमान की… जो कभी गया ही नहीं।


तो आइए, मिलकर इस अनसुनी कहानी का हिस्सा बनें और महसूस करें वो अदृश्य एहसास, जो हम सभी के अंदर कहीं न कहीं बसा होता है।


— Inkimagination






**भाग 1: नई छत, नई रूममेट**


नया शहर, नई ज़िंदगी। आरोही की आँखों में उम्मीदों के असंख्य सपने झिलमिला रहे थे। जैसे ही उसने अपने छोटे से सूटकेस को खींचते हुए पीजी की सीढ़ियाँ चढ़ीं, उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं।

"कमरा नंबर 207," उसने खुद से बुदबुदाया और धीरे से दरवाज़ा धकेला।

कमरा साधारण था, लेकिन साफ-सुथरा। एक कोने में पहले से ही एक बेड पर सामान रखा हुआ था, जिससे अंदाजा हो रहा था कि उसकी रूममेट पहले से यहाँ रह रही है। आरोही ने अंदर कदम रखा ही था कि अचानक बाथरूम का दरवाज़ा खुला और एक लंबी, दुबली-पतली लड़की बाहर निकली।

"ओह, तुम नई हो?" लड़की ने हल्की मुस्कान के साथ पूछा।

"हाँ, मेरा नाम आरोही है," उसने झिझकते हुए जवाब दिया।

"मैं सिया," लड़की ने आगे बढ़कर हाथ मिलाया। उसकी मुस्कान में एक अजीब-सा आकर्षण था। आरोही को थोड़ी राहत महसूस हुई कि कम से कम उसकी रूममेट दोस्ताना स्वभाव की लग रही थी।

लेकिन इस नए कमरे में आते ही उसे अजीब-सी अनुभूति हो रही थी।

जैसे यहाँ कोई और भी हो।

रात होते-होते आरोही ने अपना सामान व्यवस्थित कर लिया। सिया अपने लैपटॉप में व्यस्त थी, शायद कोई सीरीज़ देख रही थी। आरोही ने खिड़की से बाहर झाँका। पीजी का यह कमरा दूसरी मंज़िल पर था, और बाहर हल्की ठंडी हवा बह रही थी।

"सिया, यहाँ कोई और भी रहता था क्या?" आरोही ने अचानक पूछ लिया।

सिया ने एक पल को उसे देखा, फिर मुस्कुरा दी। "क्यों? ऐसा क्यों पूछ रही हो?"

"बस यूँ ही…" आरोही ने टालने की कोशिश की, लेकिन सिया ने उसकी आँखों में उठते सवालों को भाँप लिया।

"यहाँ पहले कोई और रहता था," सिया ने धीमी आवाज़ में कहा। "लेकिन अब नहीं।"

"अब नहीं? मतलब वो यहाँ से शिफ्ट हो गया?"

सिया ने हल्की-सी हँसी हँसी, लेकिन उसमें कुछ अजीब था। "शायद…"

आरोही को यह जवाब अधूरा लगा। लेकिन उसने ज़्यादा पूछना सही नहीं समझा। वह थकी हुई थी और जल्द ही सोने चली गई। लेकिन रात के अंधेरे में जब सब कुछ शांत था, तभी उसे लगा कि कमरे में हल्की फुसफुसाहट गूँज रही है।

वह एकदम से उठ बैठी। सिया अपनी जगह पर सो रही थी। लेकिन उस अंधेरे कमरे में आरोही को लगा, **कोई और भी वहाँ मौजूद था।**

---

**प्रिय पाठकों,**

क्या आपको भी कभी किसी नए कमरे में जाने पर ऐसा महसूस हुआ है कि वहाँ पहले से कोई मौजूद था? क्या आरोही की शंका सिर्फ़ उसका वहम है या सच में कुछ रहस्यमय होने वाला है?

अगले भाग में और राज़ खुलेंगे, जुड़े रहिए!

**- Inkimagination**

---


Thankyou 🥰🥰...
Please share and comment🙏🙏...