"वो जो मेरा था....
📚 Episode 1 – पहली मुलाकात: भीगी डायरी और अनजाने एहसास
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शहर की गलियों में उस दिन बरसात कुछ ज़्यादा ही बेक़रार थी...
जैसे बादलों के पास कहने को बहुत कुछ हो और वो किसी से छुप-छुप कर रो रहे हों।
काव्या, एक छतरी के बिना, बूँदों से भीगती चली जा रही थी। हाथों में एक पुरानी डायरी, जो अब आधी गीली हो चुकी थी, और दिल में कुछ टूटे हुए सपनों की स्याही फैली हुई थी।
“बारिश को लोग romantic कहते हैं, पर मेरे लिए तो ये हर बार कुछ छीन कर ले जाती है…”, उसने मन ही मन बुदबुदाया।
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⏳ Flashback – दो दिन पहले:
उसका ब्वॉयफ्रेंड समीर, जिसे वो पूरे दिल से चाहती थी, उसे छोड़कर चला गया था। वजह — उसकी ज़िंदगी में "practicality" की कमी और "feelings" की ज़्यादा भरमार।
"काव्या, तुम्हारी दुनिया बहुत फिल्मी है... और मुझे अब रियल लाइफ चाहिए," ये कह कर उसने रिश्ता ख़त्म कर दिया।
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🌧️ वर्तमान – मुंबई की सड़कों पर
काव्या अब भीगती हुई "ब्लू बेल कैफे" की तरफ बढ़ रही थी। वहीं उसका एक इंटरव्यू था — एक छोटे पब्लिशिंग हाउस में एडिटर की नौकरी के लिए।
लेकिन जैसे ही उसने अंदर कदम रखा, एक तेज़ झोंका आया और उसके हाथ की डायरी नीचे गिर गई।
पन्ने बिखर गए… और वो सारी बातें जो उसने कभी किसी को नहीं बताईं थीं — उन पन्नों पर लिखी थीं।
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“Excuse me... ये आपकी डायरी है?”
उसकी आँखें ऊपर उठीं — सामने एक लंबा, हैंडसम, सख्त नजरों वाला शख्स खड़ा था। उसने डायरी उठाई, और अनजाने में एक पन्ना पढ़ भी लिया था।
आरव मल्होत्रा। उम्र करीब 30 के आस-पास। sharp features, intense eyes — और उस दिन, एक सूट में, जैसे कोई magazine से उतर आया हो।
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काव्या ने झट से डायरी खींची:
“आपको पढ़ने का कोई हक नहीं था।”
आरव (थोड़ा मुस्कराते हुए):
“अगर ये पन्ने बारिश में भीग कर मेरे पैरों से टकराते, तो मैं इन्हें किसी कविता की तरह ही पढ़ता… वैसे आपने बहुत अच्छा लिखा है।”
काव्या (गुस्से में):
“ये आपकी तारीफ नहीं है, ये मेरी प्राइवेट चीज़ है।”
वो उठी, और जाते-जाते डायरी कस कर पकड़ी… जैसे उसमें उसका टूटा हुआ दिल छुपा हो।
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🌟 कैफे के भीतर – संयोग नहीं, कहानी की शुरुआत
वो इंटरव्यू रूम में पहुँची… और उसके सामने जो चेहरा बैठा था — वो कोई और नहीं, आरव मल्होत्रा था।
काव्या की आँखें चौड़ी हो गईं:
“आप…?”
आरव (थोड़ा ठंडे स्वर में):
“हमें strong editors की ज़रूरत है, न कि emotional writers की।”
काव्या (संभलते हुए):
“मैं अपने काम और जज़्बात को अलग रखना जानती हूँ, सर।”
आरव:
“अच्छा… तो फिर बताओ — क्या किसी कहानी में character को रुलाने से उसका depth बढ़ता है या सिर्फ writer के आँसू निकलते हैं?”
उसने ये सवाल जानबूझकर काव्या की डायरी को याद दिलाते हुए पूछा था।
काव्या (थोड़ी देर चुप रहकर):
“कभी-कभी writer के आँसू ही कहानी की आत्मा बनते हैं, और किसी पाठक के सीने से लग जाते हैं…”
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🖋️ इंटरव्यू खत्म – पर मुलाकात बाकी थी
इंटरव्यू खत्म होते-होते, आरव ने एक कागज़ की ओर इशारा किया।
"आपको एक हफ्ते की ट्रायल मिली है। हम देखेंगे आप प्रोफेशनल हैं या सिर्फ इमोशनल।"
काव्या ने धीरे से हामी में सिर हिलाया।
मगर उसके मन में आरव को लेकर एक झिझक घर कर चुकी थी।
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🕯️ रात – काव्या का कमरा
कमरे में अंधेरा था… और दिल में हलचल।
उसने डायरी खोली, और नया पन्ना जोड़ा:
> “आज किसी ने मेरी अधूरी कहानी पढ़ ली... और मुझे लगता है, वो खुद भी किसी अधूरी कहानी का किरदार है…”
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🌌 दूसरी ओर – आरव की दुनिया
आरव, अपनी महंगी गाड़ी में बैठा, डायरी का वो एक पन्ना फिर से पढ़ रहा था जो उसने चुपके से बचा लिया था।
उस पन्ने पर लिखा था:
> "प्यार वही होता है जो तुम्हारे चले जाने के बाद भी तुम्हारा इंतज़ार करता रहे…"
वो पन्ना उसने अपने सीने के पास रखा... और आँखें मूंद लीं।
उसकी साँसों में भी शायद किसी पुराने प्यार की कहानी बाकी थी… कोई अधूरा नाम… कोई अधूरी मोहब्बत...
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🧩 To Be Continued…
अगला एपिसोड:
"आरव की अधूरी कहानी — और एक पुराने खत की वापसी..."
(कल का एपिसोड और भी इमोशनल और twist से भरपूर होगा)